Water bodies in J&K: जम्मू कश्मीर में 50 फीसद से अधिक जलस्रोत का दायरा घटा, चौंका देगी आपको यह ग्राउंड रिपोर्ट
जम्मू कश्मीर में सरकारी सर्वे के अनुसार 50 फीसद से अधिक जल स्रोतों का दायरा घटा है और ग्लेशियर क्षेत्र भी 20 से 25 फीसद तक कम हुए हैं। पर्यावरण व रिमोट सेंसिंग विभाग की ओर से यह सर्वे किया गया था। इसमें रिमोट सेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
जम्मू, जागरण संवाददाता: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में आमजन की लापरवाही व बढ़ते प्रदूषण का प्रभाव जल स्रोतों पर भी पड़ा है। आमतौर पर पर्यावरण के अनुकूल व ठंडे माने जाने वाले पर्वतीय प्रदेश जम्मू कश्मीर के सामान्य तापमान में भी एक से डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है, जिसके आने वाले वर्षों में और बढऩे का अनुमान लगाया जा रहा है। जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से वर्ष 2019 में करवाए गए सर्वे में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। हर साल होने वाला यह सर्वे 2020 में कोरोना महामारी के कारण नहीं हो पाया और अब इस साल के मध्य में सरकार की ओर से ताजा सर्वे करवाए जाने की उम्मीद है।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर व लद्दाख में 1230 झीलें व जल स्रोत हैं। सरकारी सर्वे के अनुसार 50 फीसद से अधिक जल स्रोतों का दायरा घटा है और ग्लेशियर क्षेत्र भी 20 से 25 फीसद तक कम हुए हैैं। पर्यावरण व रिमोट सेंसिंग विभाग की ओर से यह सर्वे किया गया था। इसमें रिमोट सेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। सर्वे में कुल 1230 झील व जल स्रोत चिन्हित किए गए। इनमें 150 जम्मू संभाग में, 415 कश्मीर संभाग व 655 केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चिन्हित किए गए थे।
सर्वे में बताए गए जल स्रोत सिकुडऩे के यह कारण
- सीवेज व घरेलू कचरे के निस्तारण पर किसी तरह की कोई नहीं रोक नहीं लगाई गई और न ही प्रदेश में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर ठोस कदम उठाए गए।
- झीलों के किनारों का खेती के लिए उपयोग से सिल्ट की मात्रा बढ़ी
जल संरक्षण को लेकर सचेत हुई सरकार
वर्ष 2019 में हुए सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आने के बाद प्रदेश सरकार इस गंभीर स्थिति को लेकर कुछ सचेत भी हुई। सरकार ने जल स्रोतों के संरक्षण को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है। वन विभाग के प्रशासनिक सचिव को इस कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है जबकि वन विभाग के विशेष सचिव कमेटी के सदस्य सचिव हैैं। इसके अलावा जल शक्ति विभाग, आवास व शहरी विकास विभाग, राजस्व विभाग, ग्रामीण विकास विभाग व प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिवों तथा सायल एंड वाटर कंजर्वेशन विभाग के निदेशक को इस कमेटी का सदस्य बनाया गया है। इस कमेटी को जल स्रोतों के तय मानकों के अनुसार पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने व इन्हें संरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाते हुए समय-समय पर जल शक्ति मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
मिसाल बना श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड
जल संरक्षण के क्षेत्र में जम्मू कश्मीर में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने दूसरों के लिए मिसाल कायम की है। श्राइन बोर्ड को जल संरक्षण व प्रबंधन के लिए जल शक्ति मंत्रालय द्वारा हाल ही में राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। श्राइन बोर्ड ने श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा पर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए त्रिकुटा पहाड़ों की ढलान पर जल संचयन (Water Harvesting) के लिए तालाबों का निर्माण किया। टायलेट ब्लाक के निस्तारण के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी की रिसाइकलिंग की गई। ताराकोट मार्ग पर बनाए गए शेड बारिश का पानी को एकत्रित कर एक स्टोरेज टैंक तक ले जाते हैं, ताकि बारिश के पानी का उचित इस्तेमाल हो सके। इन सब सराहनीय कार्यों के लिए बोर्ड को नवंबर 2020 में राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।
- जम्मू कश्मीर में तालाबों व झीलों सहित करीब 3800 जल स्रोतों की निशानदेही की गई है। इनके कायाकल्प के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इनकी जियो-टैगिंग, पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, इनकी निगरानी मानकों के आधार पर ग्रेडिंग करने की प्रक्रिया शुरू की गई है और सरकार ने जो कमेटी गठित की है, वो बहुत जल्द इसमें अपनी रिपोर्ट भी पेश करेगी। -संजीव वर्मा, सचिव, वन विभाग
- जम्मू शहर में विभिन्न जल स्रोतों के संरक्षण के लिए नगर निगम ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इंजीनियरों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इसके लिए एस्टीमेट तैयार कर काम शुरू करें। कोरोना महामारी के चलते विकास कार्य प्रभावित हुए थे। हालात सामान्य होने के साथ पहले दूसरे कार्यों को शुरू किया गया। अब जल स्रोतों पर भी काम शुरू किए जाएंगे। नगर निगम सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने की दिशा में काम कर रहा है। इससे सूर्य पुत्री तवी नदी को कचरे से निजात मिलेगी। तवी नदी के सौंदर्यीकरण का काम भी जल्द शुरू होगा। -चंद्रमोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू नगर निगम