पीडीपी में और बढ़ी अंतर्कलह, महबूबा के निर्देश को भी दरकिनार कर रहे पार्टी नेता, दूसरे दिन भी नहीं हुई बैठक
वहीं दो नेताओं ने कथित तौर पर किसी के घर के बजाय पार्टी मुख्यालय में ही बैठक करने की बात पर जोर दिया था। इस नेता ने बीते एक साल में बेग की भूमिका पर नाराजगी भी जताई है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: लगातार बिखर रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में अंतर्कलह अभी शांत नहीं हुई है। दूसरे दिन सोमवार को बुलाई गई बैठक में भी पार्टी नेता हिस्सा लेने नहीं पहुंचे, जिसके बाद इसे स्थगित कर दिया गया। बड़ी बात है कि यह बैठक पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के निर्देश पर बुलाई गई थी। इसे भी पार्टी नेताओं ने दरकिनार कर दिया। पीडीपी ने अधिकारिक तौर पर अपने नेताओं की नजरबंदी का हवाला देते हुए बैठक टालने की बात की है, जबकि पार्टी से जुड़े सूत्रों का दावा है कि संगठनात्मक ढांचे को लेकर नेताओं की नाराजगी से रद हुई है।
दरअसल, पार्टी के कुछ नेता यह भी चाहते हैं कि मौजूदा हालात और गुपकार घोषणा पर चर्चा के साथ ही संगठनात्मक बदलाव पर भी बातचीत हो, लेकिन इससे बचने का प्रयास किया जा रहा है। यह भी आरोप है कि नीतिगत फैसले चंद लोगों की मर्जी तक सीमित हैं। वहीं, बताया जाता है कि बैठक में बुलाए गए तीन नेताओं के बारे में चर्चा है कि वह अल्ताफ बुखारी की जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी में जाने के मूड में हैं।
यह बैठक पार्टी के संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग के निवास पर होनी थी। इसमें 26 नेताओं को बुलाया गया था। नाम न बताने पर पीडीपी के एक नेता ने कहा कि इस बैठक के लिए करीब एक दर्जन नेताओं को रविवार की शाम को संपर्क किया गया था। इनमें से अधिकांश ने कोई जवाब ही नहीं दिया। वहीं, दो नेताओं ने कथित तौर पर किसी के घर के बजाय पार्टी मुख्यालय में ही बैठक करने की बात पर जोर दिया था। इस नेता ने बीते एक साल में बेग की भूमिका पर नाराजगी भी जताई है। साथ ही पार्टी अध्यक्ष के ट्वीटर हैंडल पर कुछ नीतिगत मुद्दों पर हुए ट्वीट पर भी रोष जताया है।
श्रीनगर शहर से पीडीपी के एक नेता ने यहां तक कहा कि ऐसे ट्वीट पार्टी नेताओं से विचार विमर्श के बाद ही होने चाहिए थे। पार्टी प्रमुख के हैंडल पर नीतिगित मामलों पर ट्वीट कई बार मुश्किल पैदा करते हैं। हमने इस मुद्दे पर कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं। पार्टी की युवा इकाई के प्रधान वहीद उर रहमान पारा ने कहा कि हमने बैठक के लिए पार्टी नेताओं की सूची भी प्रशासन को सौंपी थी, लेकिन अनुमति दिए जाने संबंधी कोई जानकारी नहीं दी गई। इसलिए इसे स्थगित करना पड़ा। पुलिस के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि हम किसी को रिहा तभी करेंगे जब वह बंदी नहीं होगा।
बेग के रवैये से नाखुशी भी जगजाहिर: पीडीपी का एक बड़ा वर्ग मुजफ्फर हुसैन बेग साहब के रवैये से नाखुश है। पार्टी नेता यहां तक कहने लगे हैं कि भले ही वह पार्टी संरक्षक हैं, लेकिन उन्होंने बीते एक साल में संगठन के लिए क्या किया? उन्होंने सार्वजनिक तौर पर पार्टी अध्यक्ष को फटकारा। वह पार्टी नेताओं की रिहाई के लिए अदालत तक नहीं गए। उन्होंने पार्टी छोड़कर जाने वालों को रोकने का प्रयास तक नहीं किया। पार्टी हितों के लिए काम करने वालों की उपेक्षा की जा रही है।
गत रोज का घटनाक्रम भी रहा रोचक: पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता बताया कि रविवार को पार्टी के पूर्व महासचिव निजामदीन बट ने वरिष्ठ नेताओं की अपने घर पर बैठक बुलाई थी। तभी पता चला कि मुजफ्फर हुसैन बेग के घर बैठक होने जा रही है। इसके बाद दोनों जगह बैठक नहीं हुई।