बरसात की आहट से घबराने लगे लोग, अम्बेडकर नगर-त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन में लोगों ने शुरू की तैयारियां
त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन के रहने वाले राम कुमार ने भी घर के गेट के आगे दीवार चढ़ा दी है ताकि घर में बारिश में कोई नुकसान न हो। वह कहते हैं कि बहुत नुकसान हुआ। कोई पूछ भी नहीं रहा।
जम्मू, जागरण संवाददाता: शहर के निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बरसात की आहट भयभीत करने लगी है। हर साल बरसात में नुकसान झेलने वाले शहर के वार्ड नंबर 52, त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन और अम्बेडकर नगर के लोगों ने बरसात से बचने के लिए घरों के गेटों व अलमारियों के आगे चारदीवारी चढ़ाना शुरू कर दी है।
पिछली बरसात में भी अम्बेडकर नगर में करीब चार फुट पानी चढ़ा था। बहुत से लोगों को नुकसान झेलना पड़ा था। चूंकि यह निचला क्षेत्र है। नाला भर जाने पर इस मुहल्ले का पानी बाहर नहीं निकलता और जलभराव हो जाता है। इस बार हालांकि नाले की सफाई हुई है लेकिन जलभराव का खतरा बरकरार है क्योंकि नालियों को खुला अथवा गहरा नहीं किया जा सका है।
शहर के लवली शर्मा का कहना का कहना है कि मजबूरी में अब गेट व अलमारियों के आगे दीवारें लगानी पड़ रही हैं। पिछली बार अलमारी से पानी अंदर घुस गया था। इसलिए बचाव कर रहे हैं। पहले ही घर की अलमारियों के आगे दीवार बनवा रहे हैं ताकि नुकसान न झेलना पड़े। वहीं त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन के रहने वाले राम कुमार ने भी घर के गेट के आगे दीवार चढ़ा दी है ताकि घर में बारिश में कोई नुकसान न हो। वह कहते हैं कि बहुत नुकसान हुआ। कोई पूछ भी नहीं रहा। अम्बेडकर नगर के रहने वाले बिक्रमजीत सिंह का कहना है कि उन्होंने पहले ही गेट के आगे दीवार बना दी है ताकि पानी घर में घुसने से रोका जा सके।
स्थानीय निवासी राजेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले कई सालों से वह घर में दो पहिया तक खड़ा नहीं कर पा रहे क्योंकि गेट के आगे दीवार लगा रखी है। समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। सरकार की तरफ से कुछ नहीं किया जा रहा। नाले को चौड़ा और गहरा करने की जरूरत है, ऐसा नहीं हो पा रहा। अब मजबूरी में हम बरसात से पहले ही घरों के गेट के आगे दीवारें बना रहे हैं। इतना ही नहीं घर से निकलने वाली पाइपों को भी आगे से बंद कर देते हैं।
वहीं कॉरपोरेटर अजय गुप्ता का कहना है कि लोगों की समस्या को ध्यान में रखते हुए इस बार नाले की सफाई करवा ली गई है। उम्मीद है कि जलभराव नहीं होगा। निचला क्षेत्र होने के चलते दिक्कतें हैं। कोशिश कर रहे हैं कि ऐसे सारे प्वाइंट ठीक कर लिए जाएं जहां से जलभराव का खतरा बना रहता है।