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Jammu Kashmir: महाजन-खत्री बिरादरी के लोग नहीं खरीद सकते जम्मू-कश्मीर में जमीन, जानिए आखिर क्या है वजह

जम्मू सेंट्रल महाजन सभा के अनुसार जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद 26 अक्टूबर 2020 को लागू हुए नए जमीन कानून के तहत महाजन व खत्री बिरादरी से जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि खरीदने का अधिकार छीन लिया गया है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 06:44 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 06:48 PM (IST)
Jammu Kashmir: महाजन-खत्री बिरादरी के लोग नहीं खरीद सकते जम्मू-कश्मीर में जमीन, जानिए आखिर क्या है वजह
नए जमीन कानून के तहत महाजन, खत्री बिरादरी से जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि खरीदने का अधिकार छीन लिया गया है।

जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू सेंट्रल महाजन सभा के अनुसार जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद 26 अक्टूबर 2020 को लागू हुए नए जमीन कानून के तहत महाजन व खत्री बिरादरी से जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि खरीदने का अधिकार छीन लिया गया है। सभा ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को एक पत्र लिखकर इस कानून को खारिज करके दोनों बिरादरियों के साथ भेदभाव को समाप्त करने की मांग की है।

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वहीं राजस्व विभाग के एक आला अधिकारी ने ऐसे किसी कानून के प्रभावी होने से इंकार करते हुए कहा है कि पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य में यह कानून था कि महाजन व खत्री बड़ी मात्रा में कृषि जमीन नहीं खरीद सकते। जेएंडके लैंड रेवन्यू एक्ट 1996 में स्पष्ट है कि केवल किसान ही कृषि जमीन खरीद सकते हैं। चूंकि इन दोनों बिरादरियों का कृषि से कोई लेनादेना नहीं था, इसलिए पुराने कानून में ऐसा था कि ये दोनों बिरदारियां कृषि जमीन नहीं खरीद सकती। यह पुराना आदेश है और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद अभी तक नए जमीन कानून को लेकर नियम तय नहीं हुए है।

इस बीच महाजन सभा के प्रधान रमेश चंद्र गुप्ता ने उपराज्यपाल को लिखे पत्र में कहा है कि राजस्व अधिकारी जमीन के नए कानून के तहत रजिस्ट्री कर रहे हैं और इसमें महाजन व खत्री विभाग के साथ भेदभाव करते हुए उनके नाम पर रजिस्ट्री करने से इंकार किया जा रहा है। महाजन ने कहा है कि भारतीय संविधान में सबको बराबर अधिकार मिले है और जमीन की खरीद-फरोख्त में जाति आधारित भेदभाव नहीं किया जा सकता, लिहाजा उपराज्यपाल संबंधित राजस्व अधिकारियों को ये भेदभाव समाप्त करने का निर्देश दे।


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