सुरक्षा घेरे में खुला आतंकियों द्वारा बंद कराया गया घाटी का यह इकलौता सिनेमाघर, कश्मीर के लोग लेंगे फिल्मों का आनंद
अनंतनाग में फिर खुला हीवन सिनेमाहाल सीआरपीएफ के सुरक्षा घेरे में कश्मीर घाटी में यह इकलौता सिनेमाघर है-1989 में शुरू हुआ था हीवन सिनेमाहाल 1991 में आतंकियों ने करा दिया था बंद
श्रीनगर, नवीन नवाज। कश्मीर के लोग अब फिर बॉलीवुड की फिल्मों का आनंद ले सकेंगे। आतंकियों का गढ़ कहे जाने वाले दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग में पांच अगस्त से बंद सिनेमाहाल हीवन एक बार फिर आम दर्शकों के लिए खोल दिया गया है। राज्य प्रशासन व सुरक्षाबलों ने सामान्य होते हालात को देखते हुए सिनेमाहाल शुरू करने का फैसला लिया है। हालांकि यह सिनेमाहाल करीब 28 वर्ष बाद इसी साल छह मार्च को फिर से सीआरपीएफ के प्रयासों से बहाल हुआ था, लेकिन सुचारु रूप से नहीं चल पाया। अब प्रशासन व सुरक्षाबलों का पूरा प्रयास है कि इसे लगातार चलाया जाए।
कश्मीर घाटी में यह इकलौता सिनेमाघर है, जहां आम लोग भी फिल्म देखने का आनंद ले सकते हैं।हीवन सिनेमाहाल वर्ष 1989 में एक स्थानीय बिजनेसमैन ने शुरू किया था। वर्ष 1991 में आतंकियों ने इसे बंद करा दिया था। कश्मीर में निजाम-ए-मुस्तफा का नारा लगाने वाले आतंकियों के ग्रेनेड हमले में यह सिनेमाहाल क्षतिग्रस्त हो गया और उसके बाद यहां फिर कोई फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई। सिनेमा के शौकीन लोग भी आना बंद हो गए। कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए वादी में तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने बेकार हो चुकी सिनेमाहाल की इमारत में अपना मुख्यालय स्थापित कर लिया। फिलहाल, सीआरपीएफ की 40वीं वाहिनी का मुख्यालय भी हीवन सिनेमाहाल परिसर में है।
सिनेमाहाल में करीब 525 लोगों के बैठने की क्षमता :
सीआरपीएफ ने स्थानीय लोगों को मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करीब 28 साल बाद छह मार्च 2018 को हीवन सिनेमा को शुरू कराया था। शाहिद कपूर व श्रद्धा कपूर की फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू फिल्म का प्रदर्शन हुआ था। सीआरपीएफ ने शुरू के कुछ दिनों तक स्थानीय लोगों के लिए बिना टिकट फिल्म देखने की सुविधा उपलब्ध कराई थी। बाद में नो प्राफिट-नो लॉस के आधार पर टिकटों की बिक्री की प्रक्रिया को अपनाया गया। जीर्णाेद्धार के बाद दोबारा बहाल हुए हीवन सिनेमाहाल में करीब 525 लोगों के बैठने की क्षमता है। सीआरपीएफ ने 70 एमएम की सिल्वर स्क्रीन और साउंड सिस्टम को दिल्ली से मंगवाया है।
गीत संगीत और मनोरंजन का मजा लेना चाहते हैं कश्मीर के लोग :
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यहां लोगों के पास मनोरंजन के साधनों की कमी है। तनाव से मुक्ति के लिए लोग किसी जगह आराम से दो चार घंटे बैठना चाहते हैं, गीत संगीत का मजा लेना चाहते हैं। कश्मीर के नागरिक जब बाहर जाते हैं तो वह सिनेमाहाल में जरूर जाते हैं। अगर उनके शहर में कोई सिनेमाहाल है तो वह क्यों बंद रहे। इसलिए हमने स्थानीय लोगों की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए ही इसे शुरू किया है। इस परिसर में हमारा शिविर भी है। सुरक्षा का हमने कड़ा बंदोबस्त रखा है, ताकि शरारती तत्व किसी तरह की गड़बड़ी न कर सकें। लोग बेखौफ होकर आएं।
कभी ब्लैक में भी नहीं मिलती थी टिकट :
अरशद हुसैन नामक एक स्थानीय ठेकेदार ने कहा कि जब यह सिनेमाहाल बना था तो मैं करीब 25-26 साल का था। मैंने उन्हीं दिनों ठेकेदारी शुरू की थी। मुझे आज भी अच्छी तरह याद है कि उस समय यहां अमिताभ बच्चन की फिल्म कालिया लगी थी। फिल्म सुपरहिट थी, ब्लैक में भी टिकट आसानी से नहीं मिलती थी। यहां लोगों में फिल्मों को लेकर बहुत क्रेज है। सिनेमाहाल का शुरू होना बहुत अच्छा है।
घाटी में 1990 तक थे एक दर्जन सिनेमाघर, आतंकी हमलों के कारण हो गए बंद :
कश्मीर घाटी में 1990 तक करीब एक दर्जन सिनेमाघर थे। सबसे ज्यादा सिनेमाघर श्रीनगर शहर में ही थे, जो आतंकियों की धमकियों और हमलों के कारण बंद हो गए थे। वर्ष 1999 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर में तीन सिनेमाहाल रीगल, नीलम और ब्राडवे को शुरू कराया था। रीगल सिनेमा खुलने के एक दिन बाद ही बदं हो गया था। रीगल सिनेमा में पहले ही दिन आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और 12 अन्य जख्मी हो गए थे। बाद में ब्राडवे भी बंद हो गया। नीलम सिनेमा वर्ष 2005 के सितंबर माह तक चला, लेकिन आतंकियों के एक आत्मघाती दस्ते के हमले के बाद यह भी बंद हो गया।