Move to Jagran APP

नया कश्मीर: अब न हड़ताल, न पथराव और न ही आतंकियों के जनाजे में उमड़ती है भीड़

डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक अगर आंकड़ों की बात करें तो आतंकी हिंसा में 40 फीसद और कानून व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं में 73 फीसद की कमी आई है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 10:39 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 04:18 PM (IST)
नया कश्मीर: अब न हड़ताल, न पथराव और न ही आतंकियों के जनाजे में उमड़ती है भीड़

श्रीनगर, नवीन नवाज : 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को इस बार कश्मीर में किसी संगठन ने हड़ताल का आह्वान नहीं किया। मई में दरबार (नागरिक सचिवालय) के जम्मू से श्रीनगर आगमन पर अलगाववादियों की कोई विरोध रैली नहीं हुई। वहीं, मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के जनाजों पर भी भीड़ जमा नहीं होती। कश्मीर में यह सामान्य घटनाक्रम नहीं है। यह कश्मीर में आतंकवाद व अलगाववाद के लगातार घटते प्रभाव और उनके कुनबे के बिखरने का स्पष्ट संकेत है। सोशल मीडिया पर स्थानीय लोग अब खुलकर आतंकवाद और अलगाववाद की निंदा करते हैं। आम कश्मीरी हड़ताल नहीं, काम-धंधे की बात करता है। वह अपने बच्चों के हाथ में पत्थर और बंदूक नहीं कलम और कंप्यूटर देखना चाहता है। यह सब संभव हुआ है अनुच्छेद-370 हटने और जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद। बीते एक साल में नया जम्मू-कश्मीर खुली फिजा में सांस ले रहा है।

loksabha election banner

जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह के मुताबिक, अगर आंकड़ों की बात करें तो आतंकी हिंसा में 40 फीसद और कानून व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं में 73 फीसद की कमी आई है। सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक सुधार आया है। आतंकी जो कर रहे हैं, वह पाकिस्तान की शह पर कर रहे हैं। वहीं, आंकड़ों की बात की जाए तो इस साल 15 जुलाई तक 120 आतंकी घटनाएं हुई हैं। जबकि बीते साल इसी अवधि में 188 आतंकी घटनाएं हुई थी। पहली जनवरी 2020 से 15 जुलाई 2020 तक मारे गए 136 आतंकियों में 121 विदेशी ही हैं।

बीते साल इस अवधि में 126 आतंकी मार गए थे। आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की बात की जाए तो पहली जनवरी 2019 से 15 जुलाई 2019 तक 135 स्थानीय युवक आतंकी बने थे, जबकि इस साल यह आंकड़ा 79 है। आज कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों के पास कोई बड़ा कमांडर नहीं है। रियाज नाइकू, जुनैद, वलीद, बुरहान कोका, कारी यासिर समेत सभी प्रमुख कमांडर मारे जा चुके हैं। इसी तरह पत्थरबाजी की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। वर्ष 2018 में पहले छह माह के दौरान पत्थरबाजी की 944 घटनाओं की तुलना में इस साल पहले छह माह के दौरान पत्थरबाजी की 211 घटनाएं हुई हैं और यह भी छिटपुट घटनाएं हैं।

आतंकियों की तरह अलगाववादी खेमा भी अत्यंत दबाव में है। करीब दो दर्जन प्रमुख अलगाववादी इस समय जेल में बंद हैं, लेकिन कश्मीर में कोई भी इनका जिक्र नहीं कर रहा है। मीरवाइज मौलवी उमर फारूक अपने घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी को पाकिस्तान ने ठेंगा दिखा दिया है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ :

कश्मीरी कभी पाकिस्तानी या जिहादी नहीं था और न होगा : कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ रमीज मखदूमी ने कहा कि बीते एक साल में कश्मीर के हालात को महसूस किया जा सकता है। अगर आतंकियों के जनाजे पर आज भीड़ नहीं है तो यह कोरोना या सुरक्षाबलों की सख्ती के कारण नहीं बल्कि लोगों द्वारा खुद लिया गया फैसला है। कश्मीरी कभी भी पाकिस्तानी या जिहादी नहीं था और न होगा। आज पाकिस्तान और उसके एजेंट पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं।

हुर्रियत का एजेंडा सही होता तो आज लोग उसके साथ होते : वरिष्ठ पत्रकार रशीद राही ने कहा कि कश्मीर में पहले जब किसी का लड़का आतंकी बनता था तो उससे मुख्यधारा में लौटने की अपील करने वाला डरता था कि कहीं शाम को उसके घर में गोली की आवाज न गूंजे। आज लोग अपने बच्चों से लौटने की अपील खुलेआम कर रहे हैं। मार्च के अंतिम सप्ताह में कोरोना का लॉकडाउन शुरू होने से पहले कश्मीर में कोई हड़ताल नहीं हुई। आज हुर्रियत के कर्णधार और सियासतदान भी सवालों के घेरे में हैं। लोगों को अमन चाहिए, तरक्की और खुशहाली चाहिए।

कश्मीर में खंड-खंड हो चुकी है पाकिस्तान की छवि : रक्षा मामलों के विशेषज्ञ अशकूर वानी ने कहा कि बीता एक साल बहुत अहम है। कश्मीरियों के एक वर्ग विशेष में पाकिस्तान की जो छवि थी, वह खंड-खंड हो चुकी है। लोगों ने खुद देखा है कि कश्मीर में जिहाद और आजादी का नारा देने वाला पाकिस्तान व उसके समर्थक संगठन कश्मीरियों को नशे का गुलाम बना रहे हैं। कश्मीर में नशे की कमाई से कथित जिहाद चलाया जा रहा है। आतंकियों और अलगाववादियों की फंडिंग हो रही है, यह अब कश्मीर को पसंद नहीं आ रहा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.