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Jammu Kashmir Delimitation : PoK को भी परिसीमन के दायरे में लाने की उठने लगी आवाज

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने कहा कि जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए परिसीमन आयोग से मुलाकात के दौरान हमने गुलाम कश्मीर का मुद्दा उठाया है। हमने कहा कि गुलाम कश्मीर की 24 आरक्षित सीटों में से 35 फीसद को खोल देना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 07:18 AM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 09:45 AM (IST)
Jammu Kashmir Delimitation : PoK को भी परिसीमन के दायरे में लाने की उठने लगी आवाज
जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए परिसीमन आयोग से मुलाकात के दौरान हमने गुलाम कश्मीर का मुद्दा उठाया है।

नवीन नवाज, श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में जारी परिसीमन की प्रक्रिया के बीच गुलाम कश्मीर को भी आयोग के दायरे में लाने की आवाज उठने लगी है। जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में आकर बसे गुलाम कश्मीर के विस्थापित और अन्य सामाजिक और सियासी संगठन चाहते हैं कि बेशक सांकेतिक ही सही, परिसीमन की प्रक्रिया को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार लेकर जाया जाए। साथ ही गुलाम कश्मीर की सभी सीटों पर विस्थापितों को प्रतिनिधित्व दिया जाए।

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तर्क यह दिया जा रहा है कि ऐसा करने से पाकिस्तान पर दबाव बनेगा और हम दुनिया को याद दिलाने में सफल होंगे कि कश्मीर के बड़े भूभाग पर पाकिस्तान ने कब्जा जमाया है। मीरपुर के कोटली से आए और डिफेंस एस्टेट विभाग से सेवानिवृत्त विनोद कुमार दत्ता कहते हैं कि हम जम्मू कश्मीर के मूल निवासी हैं, बावजूद इसके हमें विधानसभा में प्रतिनिधित्व नहीं मिला। गुलाम कश्मीर की 24 सीटों को खाली रखा जा रहा है। आवश्यक है कि परिसीमन की प्रक्रिया के दायरे में गुलाम कश्मीर को भी रखा जाए।

कश्मीरी पंडितों की तर्ज पर मिले मतदान का अधिकार : गुलाम कश्मीर के विस्थापितों के लिए संघर्षरत एसओएस इंटरनेशनल के अध्यक्ष राजीव चुन्नी ने कहा कि जब संसद में गुलाम कश्मीर पर प्रस्ताव पारित है तो फिर उसे परिसीमन से अलग क्यों किया जा रहा है। वहां परिसीमन आयोग के जाने की जरूरत नहीं है, आप सांकेतिक तौर पर यह काम कर सकते हैं। विस्थापितों की आबादी को ध्यान में रखते हुए सीटों का निर्धारण किया जाए। प्रत्येक क्षेत्र से विस्थापित अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए मतदान करें। अगर कश्मीरी पंडितों के संदर्भ में ऐसा हो सकता है तो हमारे मामले में क्यों नहीं? इससे जम्मू कश्मीर की विधानसभा में मीरपुर, कोटली, बाग, मुजफ्फराबाद, नीलम, शारदा, दोमेल की चर्चा हुआ करेगी।

विदेश में बसे विस्थापितों को भी दें अधिकार : जम्मू कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अजात जम्वाल ने कहा कि गुलाम कश्मीर में एक बड़ा तबका पाकिस्तान से आजादी चाहता है और जम्मू कश्मीर का हिस्सा बनना चाहता है। इस तबके से जुड़े कई लोग पाकिस्तानी उत्पीडऩ से तंग आकर यूरोप, अमेरिका में बसेे हैं। वह भी पोस्टल बैलेट से मतदान कर सकते हैं। इससे पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुद्दे पर कमजोर होगा।

हमने आयोग के समक्ष उठाया है मुद्दा : कविंद्र गुप्ता - भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने कहा कि जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए परिसीमन आयोग से मुलाकात के दौरान हमने गुलाम कश्मीर का मुद्दा उठाया है। हमने कहा कि गुलाम कश्मीर की 24 आरक्षित सीटों में से 35 फीसद को खोल देना चाहिए। इन सीटों पर देश-विदेश में बसे गुलाम कश्मीर के विस्थापितों को मतदान का अधिकार होना चाहिए। इस तरह से इन लोगों की आवाज बतौर गुलाम कश्मीर नागरिक जम्मू कश्मीर की विधानसभा में गूंजेगी और पाकिस्तान बेनकाब होगा।

13 लाख है गुलाम कश्मीर के विस्थापितों की संख्या : गुलाम कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से पलायन कर आए हिंदू व सिख समुदाय की आबादी इस समय करीब 13 लाख है और इनमें से अधिकांश जम्मू संभाग में ही रहते हैं। इनके अलावा दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और विदेशों में भी बड़ी संख्या में गुलाम कश्मीर के विस्थापित बसे हुए हैं।

पुनर्गठन अधिनियम में परिसीमन की पक्रिया से बाहर है गुलाम कश्मीर : परिसीमन आयोग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू कश्मीर में गुलाम कश्मीर के कोटे की 24 सीटें खाली रहेंगी, इन पर चुनाव नहीं होगा। इन आरक्षित सीटों को जम्मू कश्मीर समेत देश के विभिन्न हिस्सों में बसे गुलाम कश्मीर के विस्थापितों के लिए नहीं खोला जा सकता। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के भाग पांच के मुताबिक, गुलाम कश्मीर को परिसीमन की पक्रिया से बाहर रखा गया है।

परिसीमन प्रदेश की 83 विधानसभा क्षेत्रों तक सीमित : जम्मू कश्मीर में विधानसभा के गठन से पूर्व परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करते हुए 107 निर्वाचन क्षेत्रों को बढ़ाकर 114 किया जाना है। परिसीमन की इस प्रक्रिया को सिर्फ जम्मू कश्मीर के 83 विधानसभा क्षेत्रों तक सीमित रखा गया है। गुलाम कश्मीर की 24 सीटों को न सिर्फ परिसीमन की प्रक्रिया से बाहर किया गया है, बल्कि इन सीटों के लिए चुनाव भी नहीं होगा। यह सीटें पहले की तरह ही खाली रहेंगी और इन पर तभी चुनाव होगा जब गुलाम कश्मीर को आजाद करा जम्मू कश्मीर के साथ पूरी तरह मिलाकर भारतीय संविधान और भारतीय संघ का हिस्सा बनाया जाएगा।

ऐसा है गुलाम कश्मीर : गुलाम कश्मीर 13,297 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसमें गिलगित, बाल्तिस्तान और पाकिस्तान द्वारा चीन को दिया गया जम्मू कश्मीर का हिस्सा शामिल नहीं है। गुलाम कश्मीर में 10 जिले हैं और इसकी राजधानी मुजफ्फराबाद है। 


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