Terror Funding : पुलिस की FIR के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा पीडीपी नेता परा, FIR रद करने की मांग की
Terror Funding In Kashmir याचिका में पीडीपी नेता की ओर से एडवोकेट शारिक रेयाज ने कहा है कि एनआइए और जम्मू कश्मीर पुलिस के काउंटर इंटेलीजेंस विंग ने एक ही तरह के आरोपों की अलग-अलग जांच की जो कि दंड प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की युवा इकाई का अध्यक्ष वहीद-उर-रहमान परा खुद को बचाने के लिए हाईकोर्ट पहुंचा है। पीडीपी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का यह करीबी नेता ने जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा दर्ज एफआइआर को रद करने की मांग की है। इसमें उसने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का हवाला दिया है। परा ने कहा है कि एनआइए पहले से ही ऐसे आरेापों की जांच कर रही है, इसलिए पुलिस की एफआइआर को रद किया जाए।
याचिका में पीडीपी नेता की ओर से एडवोकेट शारिक रेयाज ने कहा है कि एनआइए और जम्मू कश्मीर पुलिस के काउंटर इंटेलीजेंस विंग ने एक ही तरह के आरोपों की अलग-अलग जांच की जो कि दंड प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन है। न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल ने आरोपों को चुनौती देने वाली याचिका की दलीलें सुनने के बाद काउंटर इंटलीजेंस कश्मीर को एक महीने के भीतर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं। याचिका में परा ने यह भी आरोप लगाया कि काउंटर इंटेलीजेंस कश्मीर की ओर से दर्ज एफआइआर सही नहीं है।
परा के वकील ने गैर कानूनी गतिविधियां अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी देने को चुनौती देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के तहत कानून और व्यवस्था केंद्र का मुद्दा है और संबंधित अधिकारी जम्मू कश्मीर के गृह सचिव ऐसा आदेश करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। न्यायालय ने जुलाई में परा के खिलाफ पुलिस की चार्जशीट पर आतंकियों के साथ सांठगांठ के आरोप दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
पुलिस की चार्जशीट कहती है कि परा पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों के आकाओं के लिए एक प्रमुख हथियार था। चार्जशीट में उसके 13 साल के पत्रकारीय जीवन और राजनीति का सफर दोषपूर्ण बताया गया है। एनआइए के विशेष जज ने परा पर आतंकी संगठन का सदस्य होने के आरेाप दर्ज करने आदेश दिए हैं कि वह आतंकियों और अपने लिए धनराशि जुटाता था।