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Jammu Kashmir PDP: महबूबा से विचार के बाद ही चुनावों में शामिल होने का फैसला लेगी पीडीपी

यहां डर और असुरक्षा का माहाैल है। नेशनल कांफ्रेंस पीडीपी कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर अंकुश लगाया गया है। लोगों की सियासी उम्मीदों को दबाया जा रहा है। सिर्फ भाजपा को ही रैलियां और बैठकें चल रही हैं। यह कैसा लोकतंत्र है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 12:59 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 12:59 PM (IST)
Jammu Kashmir PDP: महबूबा से विचार के बाद ही चुनावों में शामिल होने का फैसला लेगी पीडीपी
पार्टी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाकर रखा गया है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो।पीपुल्स डेमाेक्रेटिक पार्टी के महासचिव गुलाम नबी लोन हंजूरा ने चुनावी सियासत में शामिल होने का संकेत देते हुए कहा कि इस विषय पर पार्टी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती के साथ विचार विमर्श के बाद ही फैसला लिया जा सकता है। इसलिए उनकी रिहाई जरुरी है या फिर पार्टी नेताओ को उनके साथ बिना किसी रुकावट मुलाकात की इजाजत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीडीपी स्टेटहुड नहीं बल्कि चार अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को जो दर्जा था, वापस चाहती है।

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पूर्व कृषि मंत्री गुलाम नबी लोन हंजूरा ने देर शाम गए पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि जम्मू-कश्मीर का चार अगस्त 2019 का दर्जाबहालहोना चाहिए।केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने से पहले जम्मू-कश्मीर से छीनी गई उसकी विशिष्ट पहचान लौटानी होगी। माैजूदा हालात में जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि पीडीपी ने कभी स्टेटहुड की मांग नहीं की है,हमारी मांग पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने से पहले की जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिती की बहाली है। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2019 के बाद की जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियां सभी के सामने हैं।

यहां डर और असुरक्षा का माहाैल है। नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर अंकुश लगाया गया है। लोगों की सियासी उम्मीदों को दबाया जा रहा है। सिर्फ भाजपा को ही रैलियां और बैठकें चल रही हैं। यह कैसा लोकतंत्र है।पीडीपी महासचिव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर मे चुनाव कराने संबंधी रक्षा मंत्री का बयान स्वागत योग्य है, लेकिन मौजूदा हालात में यह चुनाव व्यर्थ हैं। पीडीपी चुनावों में भाग लेने के मुद्दे पर तभी विचार कर सकती है, जब पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती रिहा हों। पार्टी की कोर समिति की बैठक होगी, जिसमें चुनावों में भाग लेने या न लेने का फैसला लिया जाएगा।

कोर समिति की बैठक तभी होगी जब महबूबा मुफ्ती रिहा होंगी। हमारी पार्टी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाकर रखा गया है। पार्टी नेताओं को उनसे मिलने की इजाजत तक नहीं दी जा रही है। हमने उनसे मुलाकात की इजाजत के लिए प्रशासन से संपर्क किया था। इसके लिए आवश्यक लिखित औपचारिकता को भी पूरा किया, लेकिन आज तक यह इजाजत नहीं मिली है। 


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