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Jammu Kashmir: पीडीपी नेता वहीद परा की जमानत याचिका खारिज

आतंकी-राजनीतिक गठजोड़ काे मजबूत बनाने और आतंकियों की विभिन्न प्रकार से मदद करने के आरोपित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष वहीद उर रहमान परा की जमानत याचिका वीरवार को एक बार फिर खारिज हो गई।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 09:23 PM (IST)Updated: Thu, 15 Jul 2021 09:23 PM (IST)
वहीद परा पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी माने जाते हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आतंकी-राजनीतिक गठजोड़ काे मजबूत बनाने और आतंकियों की विभिन्न प्रकार से मदद करने के आरोपित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा इकाई के अध्यक्ष वहीद उर रहमान परा की जमानत याचिका वीरवार को एक बार फिर खारिज हो गई। बीते पांच माह में दूसरी बार उनकी जमानत याचिका रद हुई है। अलबत्ता, अदालत ने उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर शुक्रवार को सुनवाई का फैसला किया है। वहीद परा पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी माने जाते हैं।

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वहीद परा को बीते साल 25 नवंबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआइए ने गिरफतार किया था। परा की गिरफ्तारी हिज्ब आतंकी नवीद मुश्ताक बाबू आैर पुलिस विभाग से बेदखल हो चुके आतंकियों के मददगार पूर्व डीएसपी देवेंद्र सिंह से पूछताछ के दाैरान मिले सुरागाें के आधार पर हुई थी। एनआइए की अदालत से इसी साल नौ जनवरी को परा जमानत पर छूटा था, लेकिन जम्मू कश्मीर पुलिस के काउंटर इंटेलीजेंस विंग ने एक अन्य मामले में उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद से वह जेल में ही है।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि वहीद परा की जमानत याचिका पर इन कैमरा सुनवाई हुई। उनके वकील और सरकारी वकील के बीच परा के खिलाफ मामले की वैधता व अन्य मुद्दों पर तीखी बहस हुई है। उन्हें जमानत प्रदान करने के उनके वकील के तर्क, सरकारी वकील के तर्कों के आगे नहीं ठहर सके। अदालत ने जमानत याचिका खारिज करने के साथ ही परा के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर शुक्रवार से सुनवाई का भी निर्णय सुनाया है। इससे पूर्व फरवरी में भी पीडीपी की युवा इकाई के प्रधान की जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर हैं। उनके खिलाफ शुरुआती जांच में जो सुबूत मिले हैं, उनसे पता चलता है कि वह राजनीति की आड़ में जम्मू कश्मीर में आतकवाद को बढ़ावा दे रहे थे।

वहीद परा के वकील ने उनकी जमानत पर जोर देते हुए कहा था कि एनआइए की हिरासत में रहते हुए मेरे मुवक्किल परा ने जिला विकास परिषद का चुनाव जीता है। उनके खिलाफ राजनीतिक दुराग्रह के कारण आरोप लगाए गए हैं। एनआइए ने अपनी जांच में बताया है कि वहीद परा ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी नवीद मुश्ताक को 2019 में संसदीय चुनावों के दौरान दक्षिण कश्मीर में पीडीपी की मदद के लिए 10 लाख रुपये दिए थे।

जम्मू कश्मीर पुलिस ने भी बीते महा परा के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दायर किया है। उनके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और राष्ट्रद्रोह अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस के काउंटर इंटेलीजेंस विंग ने बीते साल अपने विश्वसनीय और गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर राजनीतिकों व आतंकियों के गठजोड़ पर मामला दर्ज कर छानबीन शुरु की थी। काउंटर इंटेलीजेंस विंग को पता चला था कि मुख्यधारा की राजनीति में शामिल कई नेता आतंकियों और अलगाववादियों की मदद कर रहे हैं। पुलिस ने वहीद परा के फोन और लैपटाप की भी जांच की।

उनके इंटरनेट प्रोटोकाल डिटेल रिकार्ड का भी आंकलन किया गया है और उससे भी पता चला है कि वह न सिर्फ जम्मू कश्मीर के भीतर सक्रिय आतंकियों से बल्कि एलओसी पार गुलाम कश्मीर में बैठे आतंकियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों के साथ भी लगातार सपंर्क में थे।

इस बीच, एनआइए ने भी अदालत में उनके खिलाफ एक आरोपपत्र दायर करते हुए बताया कि उन्होंने जुलाई 2016 में आतंकी बुरहान की मौत के बाद वादी में सिलसिलेवार हिंसक प्रदर्शनों का दौर जारी रखने के लिए कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ शाह उर्फ फंतोश को पांच करोड़ रूपये दिए हैं । 


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