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रंगमंच के क्षेत्र में पवन को यूथ आइकॉन अवार्ड, नटरंग नाट्य संस्था के साथ शुरू किया था सफर

वहीं रंगलीला नाट्य उत्सव में मुंशी प्रेमचंद के लिखे नाटक रसिक संपादक का मंचन अभिनव थियेटर में हुआ। नाटक ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।

By Edited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:21 PM (IST)
रंगमंच के क्षेत्र में पवन को यूथ आइकॉन अवार्ड, नटरंग नाट्य संस्था के साथ शुरू किया था सफर
रंगमंच के क्षेत्र में पवन को यूथ आइकॉन अवार्ड, नटरंग नाट्य संस्था के साथ शुरू किया था सफर

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू के रंगकर्मी पवन वर्मा को यूथ आइकॉन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। पवन को यह सम्मान इंडियन लीजेंड अवार्ड 2019 में उनके रंगमंच के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए दिया गया है। जम्मू के मुबारक मंडी इलाके में रहने वाले पवन वर्मा ने नटरंग नाट्य संस्था के साथ रंगमंच का सफर शुरू किया।

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अपने 19 वर्ष के इस सफर में पवन 70 से ज्यादा नाटकों में काम कर चुके हैं। वे देश के अलावा विदेशों में भी अभिनय कर चुके हैं। पवन इयर ऑफ इंडिया इन रशिया फेस्टिवल, फ्रैंकफर्ट इंटरनेशनल थियेटर फेस्टिवल, सातवें इंटरनेशनल थियेटर फेस्टिवल में भाग लेकर भारतीय रंगमंच को दुनिया के सामने रख चुके हैं। पवन को यूथ आइकॉन अवार्ड दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में मिला। पवन को यह सम्मान सेवानिवृत्त मेजर जनरल जीडी बख्शी ने भेंट किया।

इस मौके पर फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी और कामेडियन ख्याली शरण भी मौजूद थे। वहीं अपनी इस उपलब्धि का श्रेय पवन ने नटरंग के निर्देशक पदमश्री बलवंत ठाकुर व अपने सहयोगी कलाकारों को दिया है। पवन का कहना है कि रंगमंच उनका पहला प्यार है। अभी उनको इस क्षेत्र में बहुत काम करना है। वहीं पवन के गुरु बलवंत ठाकुर ने भी उनको इस सम्मान पर बधाई दी है।

रसिक संपादक के मंचन ने दर्शकों को किया लोटपोट

रंगलीला नाट्य उत्सव में मुंशी प्रेमचंद के लिखे नाटक रसिक संपादक का मंचन अभिनव थियेटर में हुआ। नाटक ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। नाटक को देख दर्शक लोटपोट हो गए। इप्टा, मध्यप्रदेश की ओर से मंचित इस नाटक का निर्देशन वीना शर्मा ने किया। नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों ने भी अपने पात्रों को बखूबी निभाया। नाटक रसिक संपादक नवरस में संपादक पंडित चोखेलाल की स्थिति को दिखाया है जिनकी पत्नी का देहांत हो गया है। पत्नी के देहांत के बाद वह रसिक हो जाते हैं। वह अपने पत्र में सिर्फ महिलाओं के लेख को ही महत्व देने लगते हैं जबकि पुरुष लेखकों के अच्छे लेख भी बिना पढ़े रद्दी में फेंक देते हैं। एक दिन चोखे लाल को एक ऐसी लेखिका की कविता मिली, जिसे पढ़कर वह रोमांचित हो उठे और उससे मिलने के सपने देखने लगते हैं। जब मिले तो मोटी महिला को देख संपादक का सारा रसिकपन समाप्त हो जाता है। नाटक के हर दृश्य ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। नाटक में संपादक की भूमिका निभा रहे कलाकार का अभिनय सराहनीय था।


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