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जम्मू-कश्मीर में अर्ल्ट : पूर्व आतंकियों के हाथों में फिर बंदूक थमाने की साजिश रच रहा पाकिस्तान

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 समाप्त होने के बाद इन आतंकी संगठनों ने जम्मू संभाग में भी अपनी पकड़ फिर से मजबूत करने का प्रयास किया परंतु वे उपस्थिति स्थापित नहीं कर पाए हैं। यह भी बात सामने आ रही है कि अब आतंकी कैडरों के मनोबल में कमी आ रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 17 Dec 2021 10:48 AM (IST)Updated: Fri, 17 Dec 2021 01:16 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में अर्ल्ट : पूर्व आतंकियों के हाथों में फिर बंदूक थमाने की साजिश रच रहा पाकिस्तान
जिला पुंछ मुठभेड़ में जिस पाकिस्तानी आतंकवादी आरिफ को मार गिराया था। उसे इसी मकसद से यहां भेजा गया था।

श्रीनगर, जेएनएन : हथियार डाल मुख्यधारा में शामिल हुए पूर्व आतंकियों को फिर से कथित जेहाद के नाम पर बंदूक उठाने के लिए उकसाया जा रहा है। पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों के सरगना उन्हें ऐसा करने के लिए कह रहे हैं। आतंकी संगठनों के कमांडर लगातार इन पूर्व आतंकवादियों से संपर्क कर उन्हें फिर से आतंकवाद में शामिल होने के लिए कह रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को यह जानकारी इन्हीं में से कुछ पूर्व आतंकवादियों ने दी है। इस साजिश का पता चलते ही सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर पुलिस व सेना के लिए अर्ल्ट जारी करते हुए ऐसे आत्मसमर्पित आतंकवादियों पर नजर रखने को कहा है।

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सूत्रों ने बताया कि यह खुलासा हाल ही में हुआ है। जम्मू क्षेत्र में अपने परिवारों के साथ आम जिंदगी जी रहे पूर्व आतंकवादियों ने स्वयं इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन के कमांडर लगातार उनसे संपर्क कर रहे हैं। उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे फिर से आतंकी रैंक में शामिल हों। एक समाचार एजेंसी ने भी इसका हवाला दिया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने गुलाम कश्मीर स्थित बिम्बर इलाके में हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठनों के शीर्ष कमांडरों के साथ एक गुप्त बैठक की। बैठक का मकसद कश्मीर के साथ-साथ जम्मू में भी आतंकी गतिविधियों को बढ़ाना था। इसके लिए आत्मसमर्पित आतंकवादियों की मदद लेने पर भी जोर दिया गया।

यह भी पता चला है कि पिछले महीने सुरक्षाबलों ने जिला पुंछ में मुठभेड़ के दौरान जिस पाकिस्तानी आतंकवादी आरिफ को मार गिराया था। उसे इसी मकसद से यहां भेजा गया था। आइएसआइ ने उसे यह काम सौंपा था कि वह पूर्व आतंकवादियों से संपर्क करे और उन्हें फिर से आतंकवाद की राह पर चलने के लिए मजबूर करे। परंतु उसकी मौत के बाद इस सारी योजना पर पानी फिर गया। सैन्य सूत्रों ने बताया कि आरिफ ने कुछ आत्मसमर्पित आतंकवादियों से संपर्क भी किया था, उन्होंने ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों की इस साजिश से अवगत कराया।

सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में कश्मीर में आतंकी संगठनों को काफी नुकसान पहुंचा है। विभिन्न आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, द रजिस्टेंस फ्रंट, हिजबुल मुजाहिदीन सहित अन्यों के लगभग सभी शीर्ष आतंकी कमांडर सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराए हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद इन आतंकी संगठनों ने जम्मू संभाग में भी अपनी पकड़ फिर से मजबूत करने का प्रयास किया परंतु वे उपस्थिति स्थापित नहीं कर पाए हैं। यह भी बात सामने आ रही है कि अब आतंकी कैडरों के मनोबल में कमी आ रही है।

आतंकी संगठन अपने कैडर के मनोबल को बढ़ाने के लिए जम्मू में अपनी उपस्थिति स्थापित करने के लिए उत्सुक है। खासकर पुंछ, राजौरी, डोडा और किश्तवाड़ के इलाकों में। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ भी इसमें आतंकी संगठनों का पूरा सहयोग कर रही है। गुलाम कश्मीर में सक्रिय आतंकी शिविरो में आतंकी संगठनों को आधुनिक हथियारों के साथ ड्रोन हमलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जम्मू संभाग में आतंकवादियों को प्रवेश कराने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पुंछ-राजौरी में घुसपैठ के कई प्रयास भी करवाए परंतु भारत के सतर्क जवानों ने हर बार उनकी साजिश को नाकाम बना दिया।

अब आतंकी संगठनों ने पूर्व आतंकवादियों से संपर्क कर उन्हें फिर से आतंकवाद की राह पर चलने को उकसाना शुरू किया है। समय रहते इस साजिश का पता चलने पर सुरक्षा एजेंसियों ने पुलिस व सेना से पूर्व आतंकवादियों से सपंर्क कर इस बारे में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने व उन पर नजर रखने की हिदायत भी दी है।


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