जम्मू-कश्मीर: संघर्ष विराम के 15 वर्षो से मिले सिर्फ जख्म
सीमा पर संघर्ष विराम के पंद्रह वर्षो में सीमांतवासियों, सरहद के रखवालों को पाकिस्तान से सिर्फ जख्म ही मिले। हर बार पड़ोसी देश ने हालात बेहतरी की उम्मीदों पर पानी फेरा।
जम्मू, विवेक सिंह, सीमा पर संघर्ष विराम के पंद्रह वर्षो में सीमांतवासियों, सरहद के रखवालों को पाकिस्तान से सिर्फ जख्म ही मिले। हर बार पड़ोसी देश ने हालात बेहतरी की उम्मीदों पर पानी फेरा। अब फिर दोनों देशों के बीच करतारपुर कॉरिडोर बनाने की पहल से उम्मीदें बंधी हैं कि शायद पड़ोसी नापाक हरकतों से बाज आ जाए। कश्मीर में हालात बिगाड़ने को आतंकवादियों की घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तान ने नित नए तरीके तलाश कर सीमा पर संघर्ष विराम को औपचारिकता बना दिया।
पाक की तोपें, बंदूकें अकारण आग उगलती रहती हैं। इसका संताप आज भी राज्य के विभिन्न जिलों में सीमांत क्षेत्रों में बसे हजारों परिवार भुगत रहे हैं। रविवार को खोखले संघर्ष विराम के पंद्रह साल पूरे हो गए। 2003 की मध्यरात्रि हुआ संघर्ष विराम दोनों देशों में 25 नंवबर 2003 की मध्यरात्रि को संघर्ष विराम हुआ था। इसकी आड़ में पाकिस्तान ने लगातार घुसपैठ करवाने की कोशिशें कीं। कई बार आतंकियों ने खून की होली खेली। पिछले तीन वर्षो में पाक गोलाबारी व आतंकी गतिविधियों में चार सौ से अधिक आम नागरिकों, सुरक्षाकर्मियों की जानें गई हैं। जुलाई 2016 से जुलाई 2018 तक ही सीमा पर 109 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 53 नागरिक व अन्य सेना, सीमा सुरक्षा बल के जवान थे। सीमा पर मौतों का सिलसिला लगातार जारी है।
आए दिन पाकिस्तान की ओर से सीमा के हालात खराब करने की साजिशें हो रही हैं। साल दर साल से जारी पाकिस्तान गोलाबारी ने कठुआ से कश्मीर के कुपवाड़ा तक सीमा पर बसने वाले लोगों का जीना मुहाल किया है। 12 वर्षो में दर्जनों बार ऐसे हालात पैदा हुए जब भारी गोलाबारी के बीच लोग घर छोड़ने को मजबूर हो गए। जम्मू के अरनिया इलाके में पाक गोलीबारी के साए में जीवन चलता है। इलाके में ऐसे दर्जनों घर हैं, जिनमें गोलीबारी के जख्म व निशान मौजूद हैं। सीमा से सटे खेतों में किसान रोज जान हथेली पर रखकर चलते हैं। इस समय भी किसान पाकिस्तान की बंदूकों के साये में फसल की कटाई कर रहे हैं।
पाकिस्तान ने दिया अपने शांति विरोधी होने का सबूत जम्मू कश्मीर को लेकर खराब मंसूबे रखने वाला पाकिस्तान संघर्ष विराम का औचारिकता बनाकर अपने शांतिवरोधी होने का सुबूत दे रहा है। आतंकवाद को शह देने के लिए पाकिस्तान ने कभी भी संघर्ष विराम के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों व अलगाववादियों का हौसला बढ़ाने के लिए पाकिस्तान ने सीमा पर गोले दाग कर लोगों व सुरक्षाबलों का निशाना बनाया। यह जख्म देने की पाकिस्तान नीति का हिस्सा है।
यह कहना है सेना के सेवानृवित मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल का। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने कारगिल में सीध युद्ध कर मुंह की खाई । अब वह सीधे युद्ध करने की हिम्मत नहीं रखता है। ऐसे में वह सीमांत क्षेत्रों में गोलीबारी करने के साथ सीमा प्रहरियों को निशाना बनाकर घुसपैठ की निरंतर कोशिशें कर रहा है। उसने कारगिल के बाद कभी भी सीमा को शांत नहीं होने दिया।
दुश्मन से दोस्ती की बड़ी उम्मीदें तीन दशक से आतंकवाद की आग में झुलस रहे जम्मू कश्मीर को दुश्मन से दोस्ती की बड़ी उम्मीदें हैं। दुश्मन सीमा पर गोले दागे कर लोगों की जान लेता है तो इस तरफ से सुचेतगढ़ व रावलाकोट मार्ग खोलने की बात होती है। पड़ोसी आतंकी भेज रहा है तो इस ओर से गुलाम कश्मीर के रास्ते व्यापार व बिछुड़े परिवार को मिलाने के लिए राह-ए-मिलन पर कारवां-ए-अमन जारी है।
जम्मू संभाग में कठुआ से लेकर पुंछ तक पांच जिलों में सीमा पर बसे लोग सिर्फ दुआ मांगते हैं कि पड़ोसी देश का हृदय परिवर्तन हो ताकि वह शांत के मायने को समझ पाए। जम्मू संभाग में लोगों में पाकिस्तान को लेकर गुस्सा है। कश्मीर के लोगों भी पाकिस्तान की साजिशों के कारण कठिन दौर से गुजर रहे हैं।
आए दिन आतंकवादी हमलों, अलगाववादियों के बंद, प्रदर्शनों जनजीवन के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। दुश्मन देश कश्मीर की युवा पीढ़ी को बरगलाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे हालात में कश्मीर केंद्रित पार्टियां भले ही खुलकर अलगाववादियों, आतंकवादियों के खिलाफ न बोलती हों लेकिन वह केंद्र सरकार पर पूरा दवाब बनाती हैं कि पड़ोसी देश को हालात बेहतरी के लिए मेज पर लाया जाए।