Jammu Kashmir : मरने के बाद भी दूसरों की जिंदगी बचाकर कमा सकते हैं पुण्य
कोई भी व्यक्ति जिसका ब्रेन डेड हो जाए उसके शरीर के अन्य अंग और टिश्यू सही होते रहते हैं। अगर वे अपने अंग दान करता है तो इससे कम से कम 37 लोगों की कीमती जिंदगी बच सकती है। मृत्यु के बाद सभी को अंगदान करना चाहिए।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्टेट आर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन ने रिजनल आर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन चंडीगढ़ के सहयोग से सोमवार को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जम्मू में सेमिनार का आयोजन किया। इसमें जीएमसी की प्रिंसिपल डा. शशि सूदन मुख्य अतिथि थीं। डा. शशि ने राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जिसका ब्रेन डेड हो जाए, उसके शरीर के अन्य अंग और टिश्यू सही होते रहते हैं। अगर वे अपने अंग दान करता है तो इससे कम से कम 37 लोगों की कीमती जिंदगी बच सकती है। मृत्यु के बाद सभी को अंगदान करना चाहिए। नोडल अधिकारी रोटो चंडीगढ़ डा. विपिन कौशल ने पंजीकृत आर्गन और टिश्यू सेंटरों के काम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य के अस्पतालों में इंटेसिंव केयर यूनिट में भर्ती ब्रेन डेड लोगों को मृत्यु प्रमाणपत्र देने के लिए समिति गठित होती है।
डाक्टर जब ऐसे मरीजों की जांच करते हैं और उन्हें लगता है कि वे ठीक नहीं होंगे तो इसके बाद प्रमाणपत्र दिया जाता है। इसके लिए पूरी प्रक्रिया बनी हुई है। सोटो जम्मू-कश्मीर के नोडल अधिकारी डा. इलियास शर्मा ने किडनी प्रत्यारोपण पर विचार रखे। नेत्र रोग विभाग के एचओडी डा. सतीश गुप्ता ने कार्निया ट्रांसप्लांट, इससे जुड़ी भ्रांतियां और नेत्र दान पर अपने विचार दिए।उन्होंने कहा कि मृत्यु के बाद भी नेत्रदान कर दूसरों की जिंदगी में उजाला फैलाने का पुण्य अर्जित किया जा सकता है। डा. राहुल गुप्ता ने कहा कि जिस प्रकार से अंग प्रत्यारोपण के लिए अंगों की मांग है, उसे पूरा करने के लिए ब्रेन डेड लोगों के अंग दान करने की जरूरत है।
रोटा चंडीगढ़ के डा. प्रणय महाजन ने लोगों में अंगदान को लेकर जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से अंगदान के लिए शपथ लेने को कहा। उन्होंने कहा कि कई लोगों की मौत अंग न मिलने के कारण हो जाती है। अगर लोग अंगदान करें तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है। डा. अमन गुप्ता, सरयू मादरा आदि ने भी विचार रखे। डा. एसएल काचरू, अश्विनी खजूरिया, डा. मनोज चलोत्रा, इरफान अहमद लोन और अंशु शर्मा, निशा कुमारी भी मौजूद थीं।