जम्मू दूरदर्शन बंद करने का आदेश गलत, डोगरा संस्कृति को मिटाने की हो रही साजिश
प्रो. ललित मगोत्रा ने आरोप लगाया कि प्रसार भारती जम्मू से न्याय नहीं कर रही। एक आदेश जून में और दूसरा जुलाई में जारी कर जम्मू दूरदर्शन को मिटाया गया है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू दूरदर्शन को काशिर चैनल की झोली में डाल देने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ टीम जम्मू और साहित्यिक संगठन डोगरी संस्था ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में डोगरा संस्कृति को मिटाने की साजिश बताया। जम्मू से भेदभाव का आरोप लगाते हुए डोगरी संस्था के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने कहा कि जम्मू के लोग वर्षो से अलग डुग्गर चैनल की मांग करते आ रहे हैं। उन्हें चैनल देने के बजाय उनसे जम्मू दूरदर्शन भी छीन लिया गया है। जम्मू के लोग इस भेदभाव को कभी सहन नहीं करेंगे। अपने हक के लिए आंदोलन करके अपना हक लेंगे।
वहीं टीम जम्मू के अध्यक्ष जोरावर सिंह जम्वाल ने कहा कि जिस सरकार को लोगों ने इस उम्मीद से बनाया था कि उन्हें डुग्गर चैनल मिलेगा। उसने ही जम्मू दूरदर्शन भी छीनने का काम कर लोगों की भावनाओं से खेलने का काम किया है। जम्मू और कश्मीर की भौगोलिक और सांस्कृतिक विभिन्नता इतनी ज्यादा है कि दोनों को अलग-अलग चैनल की जरूरत है। बड़ी बात यह है कि जम्मू का अधिकतर क्षेत्र पाकिस्तान की सीमाओं से लगता है। ऐसे में पाकिस्तान के मीडिया के दुष्प्रचार का जवाब भी जम्मू दूरदर्शन ही दे सकता है।
जब तक डुग्गर चैनल नहीं बन जाता जम्मू दूरदर्शन जैसे पहले चलता था, चलता रहना चाहिए। इसके अलावा काशिर चैनल से जम्मू को अपना पूरा हक मिलना चाहिए। जो काशिर चैनल ने कभी नहीं दिया है। काशिर चैनल से जितने कार्यक्रम कश्मीरी में प्रसारित होते हैं। उतने ही डोगरी में भी प्रसारित होने चाहिए। जम्मू संभाग में बोली जाने वाली दूसरी भाषाओं को भी उनका हक मिलना चाहिए।
प्रो. ललित मगोत्रा ने आरोप लगाया कि प्रसार भारती जम्मू से न्याय नहीं कर रही। एक आदेश जून में और दूसरा जुलाई में जारी कर जम्मू दूरदर्शन को मिटाया गया है। जम्मू दूरदर्शन ही एक मात्र माध्यम है, जहां से जम्मू के किसानों, साहित्य, संस्कृति, पर्व त्यौहरों आदि की बात की जा सकती है। जिस तरह की साजिश हो रही है। उसे देखते हुए डोगरें फिर से उसी तरह का आंदोलन करने को तैयार हैं, जैसा उन्होंने डोगरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए किया था। डुग्गर संस्कृति को मिटाने की जो साजिश जम्मू दूरदर्शन को काशिर चैनल की झोली में डाल कर की गई है। उसे सहन नहीं किया जाएगा।
सरकार को जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक और भोगोलिक स्थितियों में अंतर समझना चाहिए। देश के दूसरे हिस्सों में जिस तरह के आदेश लागू किए जाते हैं। वही आदेश यहां पर लागू करने का कोई औचित्य नहीं है। जम्मू की राष्ट्र भक्त जनता कभी नहीं चाहेगी कि उनके साथ दूसरे दर्जे का व्यवहार किया जाए। डोगरों को शुरू से ही फारग्रांटेड लिया गया है। अब यह सहन नहीं होगा। सरकार जल्द जम्मू दूरदर्शन को लेकर जारी आदेशों को वापस ले और जम्मू को उसका हक दे।