फारूक-उमर की दायर याचिका पर हाइर्कोट ने प्रदेश प्रशासन को भेजा नोटिस, कहा अपना पक्ष रखें
डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने अपने 16 पार्टिजनों की नजरबंदी को असंवैधानिक और अवैध ठहराते हुए उनकी तत्काल रिहाई के लिए 13 जुलाई को 16 याचिकाएं दायर की थी।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ फारुक अब्दुल्ला और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने 16 पार्टीजनों की रिहाई के लिए अलग-अलग दायर याचिकाओं का संज्ञान लेते हुए प्रदेश प्रशासन को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है।
डाॅ फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने अपने 16 पार्टिजनों की नजरबंदी को असंवैधानिक और अवैध ठहराते हुए उनकी तत्काल रिहाई के लिए 13 जुलाई को 16 याचिकाएं दायर की थी। इनमे से 13 की अलग-अलग सुनवाई जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस ताशी राबस्तान और जस्टिस सिंधु शर्मा की एकल पीठ ने की। मिली जानकारी के मुताबिक, अब्दुल रहीम राथर, आगा सईद रुहुल्ला, मु़बारक गुल, बशारत बुखारी, शमीमा फिरदौस, मोहम्मद शफी उड़ी, अब्दुल मजीद लारमी, नासिर सोगामी, चौधरी मोहम्मद रमजान, बशीर अहमद वीरी, मोहम्मद इरफान शाह और सैफदीन बट से संबधित याचिकाओं पर आज नोटिस जारी किए गए हैं।
डाॅ फारुक अब्दुल्ला ने अली मोहम्मद सागर, अब्दुल रहीम राथर, नासिर असलम वानी, आगा सईद महमूद, मोहम्मद खलील बंड, इरफान शाह और शमीमा फिरदौस की नजरबंदी को अवैध ठहराते हुए अदालत में रिहाई की याचिका दायर कर रखी है। उमर अब्दुल्ला ने मोहम्मद शफी उड़ी, आगा सईद रुहुल्ला, चौधरी मोहम्मद रमजान, मुबारक गुल, डाॅ बशीर वीरी, अब्दुल मजीद लारमी, बशारत बुखारी, सैफदीन बट और मोहम्मद शफी की रिहाई लिए याचिकाएं दायर की है। नेशनल कांफ्रेंस की तरफ से एडवोकेट शारिक रियाज ने याचिका दायर की है।
जिन नेताओं की रिहाई के लिए नेकां ने याचिका दायर की है, इन सभी को पांच अगसत 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने क मद्देनजर प्रदेश प्रशासन ने एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया था। बाद में इन नेताओं को रिहा कर दिया गया, लेकिन घरो में नजरबंद रखा गया है। इन नेताओ के कहीं भी आने जाने और विभिन्न प्रकार की सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियोंमें भाग लेने पर भी रोक है।