नेशनल कांफ्रेंस की बढ़ी गतिविधियों को उमर नहीं मानते चुनावी तैयारी, अपने ही सांसद के बयान का किया खंडन
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी कश्मीर से जम्मू तक लगातार जनसभा कर रहे हैं। लेकिन उमर अब्दुल्ला ने वीरवार को मीडिया के सामने कहा कि उनकी पार्टी की गतिविधयां चुनावी नहीं है। यह रुटीन का काम है।
जम्मू, जेएनएन : विधानसभा चुनाव की आहट को देखते हुए जम्मू्-कश्मीर में विभिन्न पार्टियों ने अपनी गतिविधियां काफी बढ़ा दी हैं। भाजपा, कांग्रेस के अलावा नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की आए दिन जनसभा और कार्यकर्ता सम्मेलन हो रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी कश्मीर से जम्मू तक लगातार जनसभा कर रहे हैं। लेकिन उमर अब्दुल्ला ने वीरवार को मीडिया के सामने कहा कि उनकी पार्टी की गतिविधयां चुनावी नहीं है। यह रुटीन का काम है। उमर ने अपनी ही पार्टी के सांसद मुहम्मद अकबर लोन के बयान का खंडन किया।
दरअसल, अभी परिसीमन आयोग की रिपोर्ट सामने आई नहीं है। केंद्र सरकार के रुख से ऐसी पूरी संभावना जताई जा रही है कि परिसीमन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद विधानसभा चुनाव कराए जाने पर कुछ स्पष्ट फैसला सामने आ सकता है। परिसीमन आयोग को रिपोर्ट पेश करने के लिए मिली समय सीमा भी समाप्त होने को है। लिहाजा भाजपा और कांग्रेस के अलावा प्रदेश की प्रमुख पार्टी नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से सक्रियता काफी बढ़ा दी गई है। पूरे प्रदेश में जनसभाओं का दौर जारी है। पार्टियों में जोड़-तोड़ भी चल रहा है।
नेशनल कांफ्रेंस के सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेेता मुहम्मद अकबर लोन ने पार्टी की सक्रियता को चुनावी अभियान बताया था। अब अपने ही सांसद के बयान का पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खंडन कर रहे हैं। उमर का कहना है कि पार्टी की रैलियां चुनावी अभियान का हिस्सा नहीं है। वीरवार को बांडीपोरा में पार्टी की रैली के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की पहल मात्र है। इसे चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
ज्ञात रहे कि पिछले दिनों नेशनल कांफ्रेंस की ओेर से एक पत्र परिसीमन आयोग को लिखा गया, जिसमेें परिसीमन आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक से पूर्व बैठक का एजेंडा मांगा गया था। ताकि पार्टी एजेंडे के आधार पर तय कर सके कि बैठक में पार्टी के तीनों सांसदों को हिस्सा लेना है कि नहीं। माना जा रहा है कि संभवत: पार्टी की इसी रणनीति के तहत उमर यह बताना चाह रहे हैं कि वह परिसीमन आयोग से असंतुष्ट हैं और बिना मन मुताबिक रिपोर्ट मिले चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं।