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Jammu Kashmir: उमर ने किया मुद्रीकरण नीति का समर्थन, कहा-सरकारी उपक्रमों से कमाई होती है तो इसमें बुराई क्या है

केंद्र सरकार पहले यह तय करे कि तालिबान को वह आतंकी संगठन मानती है या नहीं। अगर तालिबान आतंकी हैं तो फिर उनसे बातचीत क्यों? अगर वह आतंकी नहीं है तो फिर केंद्र सरकार को उसे सयुंक्त राष्ट्र की आतंकी सूची से बाहर क्यों नहीं निकलवाती।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 08:46 AM (IST)Updated: Thu, 02 Sep 2021 08:46 AM (IST)
Jammu Kashmir: उमर ने किया मुद्रीकरण नीति का समर्थन, कहा-सरकारी उपक्रमों से कमाई होती है तो इसमें बुराई क्या है
उमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए की पुनर्बहाली के लिए हम अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन नीति का समर्थन किया है। साथ ही कहा कि वह सरकारी संपत्तियों और उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ नहीं हैं। अगर सरकारी उपक्रमों से कमाई होती है तो इसमें बुराई क्या है? इसके अलावा उमर ने केंद्र सरकार की तालिबान से बातचीत पर भी सवाल उठाए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने केंद्र सरकार को तालिबान पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा कि वह इसे आतंकी संगठन मानती है या नहीं।

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राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन नीति का समर्थन करते हुए उमर ने कहा कि निजीकरण में आप सरकारी संपत्तियों और उपक्रमों को बेचते हैं, उनके मालिकाना हक किसी दूसरे को देते हैं। मुद्रीकरण पाइपलाइन नीति में ऐसा नहीं है। बेकार पड़ी सरकारी संपत्तियां और उपक्रमों से अगर कमाई होती है तो उसमें कोई बुराई नहीं है। बशर्ते यह प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। इसमें भाग लेने का अधिकार सभी को बराबरी पर मिले। यह भाजपा के चंद खास चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं होनी चाहिए।

अपने पिता और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला की मौजूदगी में जम्मू संभाग के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन के बाद जम्मू में पत्रकारों से बातचीत में उमर ने तालिबान के साथ केंद्र की सरकार द्वारा बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पहले यह तय करे कि तालिबान को वह आतंकी संगठन मानती है या नहीं। अगर तालिबान आतंकी हैं तो फिर उनसे बातचीत क्यों? अगर वह आतंकी नहीं है तो फिर केंद्र सरकार को उसे सयुंक्त राष्ट्र की आतंकी सूची से बाहर क्यों नहीं निकलवाती। उसे इसके लिए एक प्रस्ताव लाना चाहिए।

तालिबान पर दिए बयान पर महबूबा ही जानें: पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा केंद्र सरकार को अफगानिस्तान के हालात और तालिबान की जीत से सबक लेने संबंधी बयान पर उमर ने कहा कि मैं महबूबा या उनकी पार्टी के किसी बयान अथवा गतिविधि के लिए जिम्मेदार नहीं हूं। मैं तो पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन का प्रवक्ता भी नहीं हूं और न कोई पदाधिकारी। महबूबा ने जो बयान दिया है, वह उन्होंने पीएजीडी के मंच से नहीं दिया है। उन्होंने यह बात पीडीपी के मंच से कही है। इसलिए इस पर वही या पीडीपी के अन्य नेता ही स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं।

जम्मू कश्मीर को राज्य दर्जे में देरी क्यों: उमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए की पुनर्बहाली के लिए हम अंतिम सांस तक लड़ेंगे। हम सर्वाेच्च न्यायालय में लड़ रह हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पहले राज्य का दर्जा बहाल हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बार-बार कह चुके हैं कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। हम कहते हैं कि अच्छे काम में देरी क्यों।

बेरोजगारी पर भी घेरा: उमर ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे बातें करती थी, जैसे जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के समाप्त होते ही विकास हो जाएगा। बेराजगारी लगातार बढ़ रही है। कारोबारी गतिविधियां धीमी पड़ रही हैं। उन्होंने मीडियाकॢमयों से ही सवाल किया कि आप ही बताइए कि यहां अनुच्छेद 370 की समाप्ति से किसे फायदा पहुंचा है। दरबार मूव की प्रक्रिया को बंद कर दिया गया है, इससे सबसे ज्यादा वित्तीय लाभ तो जम्मू को ही होता था। 


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