ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में अभी भी फर्राटे भर रहीं पुरानी बसें
जागरण संवाददाता, जम्मू : आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हो रही
जागरण संवाददाता, जम्मू : आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हो रही हैं। औसतन रोजाना विभिन्न सड़क हादसों में चार से पांच लोगों की मौत हो जाती है। इसमें यात्री वाहनों की खस्ता हालत सड़क हादसों का बड़ा कारण है। सड़क हादसों की बढ़ती संख्या के बीच आरटीओ कार्यालय में यात्री वाहनों को फिटनेस का प्रमाणपत्र देने में लापरवाही बरतने के आरोप लगते रहते हैं। बिना पर्याप्त जांच के वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। यही कारण है कि अनफिट और जर्जर वाहन भी सड़क पर दौड़ रहे हैं, जो भीषण सड़क हादसे का कारण बनते है।
बुधवार से राज्य प्रशासन ने पंद्रह वर्ष पुरानी बसों को सड़कों पर न दौड़ने देने का फैसला लिया है। यह कदम सड़क हादसे रोकने और प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए उठाया गया है। प्रशासन ने इस योजना को नई ट्रांसपोर्ट सब्सिडी योजना का नाम दिया है। इस योजना के तहत संबंधित बस मालिकों व ट्रांसपोर्टरों को 15 साल या उससे पुरानी सभी बसों को बदलकर नई खरीदने के लिए पांच लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। पुरानी बस को नष्ट कर दिया जाएगा। फिलहाल यह योजना सिर्फ बसों के लिए है, लेकिन निकट भविष्य में यह मिनीबसों (मेटाडोर) के लिए भी लागू की जा सकती है। बता दें कि जम्मू कश्मीर में हर साल करीब एक हजार लोगों की मौत सड़क हादसों में हो जाती है।
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नहीं मान रहे कई बस चालक
बुधवार से हालांकि राज्य भर में पंद्रह वर्ष से पुरानी बसों के चलने पर रोक लगा दी गई है, लेकिन अभी भी ग्रामीण एवं पहाड़ी क्षेत्रों में पुरानी बसों को दौड़ते हुए देखा जा सकता है। ऐसी ही एक बस अरनिया बिश्नाह के बीच भी दौड़ते हुए देखी गई। उक्त बस नंबर जेके02एफ-6325 (वर्ष 1996) की है। इसके अलावा संभाग के पहाड़ी जिले ऊधमपुर, डोडा, किश्तवाड़, रामबन में भी पुरानी बसें अभी भी दौड़ते हुए देखी जा सकती हैं।
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फिटनेस के तरीके पर उठते रहे सवाल
जम्मू के फिटनेस ग्राउंड में प्रतिदिन सौ से अधिक कमर्शियल वाहनों की फिटनेस की जांच होती है। फिटनेस जांच के प्रति संजीदगी इस बात से पता चलती है कि एक घंटे में ही वाहनों की फिटनेस जांच लगभग पूरी कर दी जाती है। इसमें केवल चेसिस नंबर देखा जाता है। गाड़ी का इंजन, सीट, फर्स्ट एड बक्स, टायर आदि की जांच तक नहीं होती। फिटनेस प्रक्रिया में गाड़ी को पास कराने में दलालों का बड़ा योगदान है।
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कार्रवाई की जाएगी
परिवहन विभाग के प्रधान सचिव असगर सामून का कहना है कि नई नीति के तहत पंद्रह वर्ष से अधिक पुरानी बस को राज्य की सड़कों पर दौड़ने नहीं दिया जाएगा। आरटीओ स्तर के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि पंद्रह वर्ष से पुरानी बस यदि सड़क पर दौड़ती है तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाए। नई योजना के लाभ बताते हुए असगर सामून ने कहा कि नई बसें कम ईंधन खर्च वाली पर्यावरण अनुकूल होंगी। इनकी खरीद के लिए सब्सिडी दी जाएगी। इससे ट्रैफिक जाम, भीड़, सड़क हादसे और प्रदूषण की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी। यह योजना राज्य में बढ़ते निजी वाहनों विशेषकर कारों, वाहन पार्किग की बढ़ती समस्या और सड़कों की घटती जगह से जुड़े मुद्दों को हल करने में भी मदद करेगी।