कानूनी मोर्चे पर महिलाओं की धाक, जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 2237 सदस्यों में 474 महिला वकील
11 अगस्त 2018 को जम्मू-कश्मीर को पहली महिला चीफ जस्टिस मिलीं। जस्टिस गीता मित्तल ने राज्य के 33वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली।
जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर जैसे छोटे से राज्य में महिलाओं को अक्सर काले कोट से दूर रहते ही देखा गया है, लेकिन पिछले एक दशक में हालात बदले हैं। महिलाओं ने धीरे-धीरे वकालत के पेशे को अपनाना शुरू कर दिया है। पिछले एक साल में इसे गति भी मिली है। अब महिलाएं भी काला कोट पहनकर अदालतों में जिरह करती नजर आ रही हैं। आज जम्मू में कुल वकीलों की एक चौथाई ही सही, लेकिन महिलाएं काला कोट पहनकर अदालतों में अपना लोहा मनवा रही हैं।
जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के इस समय 2237 सदस्य हैं, जिसमें 474 महिला वकील हैं। इस समय बार एसोसिएशन के चुनाव को लेकर अदालतों में माहौल गर्माया हुआ है, लेकिन एसोसिएशन के इतिहास पर नजर डालें तो गिनी-चुनी महिलाएं ही इस चुनाव में भाग लेती नजर आती हैं। सीनियर एडवोकेट सुरेंद्र कौर बार एसोसिएशन की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। उनके बाद एडवोकेट सिंधु शर्मा ने यह चुनाव लड़े थे और विजयी रही थीं। अब एक बार फिर एक महिला वकील सनिग्धा शेखर सह-सचिव पद के लिए चुनाव मैदान में उतरी हैं।
2018 में हाईकोर्ट को मिली थी पहली महिला जज
पहली अगस्त 2018 को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट को पहली महिला जज मिलीं। एडवोकेट सिंधु शर्मा को हाईकोर्ट का जज बनाया गया। एडवोकेट सिंधु उस समय असिस्टेंट सॉलिस्टर जनरल ऑफ इंडिया थीं। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की स्थापना वर्ष 1928 में हुई थी और करीब नब्बे साल में एक भी महिला जज नहीं रहीं। इन नब्बे वर्षो में हाईकोर्ट के 107 जज रहे, लेकिन इनमें कभी कोई महिला शामिल नहीं रही। वह राज्य की पहली महिला वकील रहीं, जिन्हें इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया। सिंधु ने 1996 में पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से एलएलबी की। इसी साल उन्होंने राज्य हाईकोर्ट व जिला कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी। वर्ष 2013 में वह जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की उपाध्यक्ष भी चुनी गई थीं।
राज्य को मिलीं पहली महिला चीफ जस्टिस
11 अगस्त 2018 को जम्मू-कश्मीर को पहली महिला चीफ जस्टिस मिलीं। जस्टिस गीता मित्तल ने राज्य के 33वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली। जस्टिस मित्तल दिल्ली हाईकोर्ट की वरिष्ठ जज थीं और अप्रैल 2017 से दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस थीं। गीता मित्तल के आने से वकालत के पेशे में आई महिलाओं को प्रोत्साहन मिला।
महिलाओं के लिए सुविधाओं का अभाव: एडवोकेट सनिग्धा शेखर
जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सह-सचिव पद के लिए चुनाव लड़ रहीं एडवोकेट सनिग्धा शेखर के अनुसार पिछले कुछ साल में काफी संख्या में महिलाओं ने इस पेशे को अपनाया है लेकिन कोर्ट परिसरों में अभी भी महिला वकीलों के लिए सुविधाओं का अभाव है। बार एसोसिएशन का चुनाव लडऩे वाली एकमात्र महिला वकील ने बताया कि उनके चुनाव लडऩे का उद्देश्य महिला वकीलों के उत्थान के लिए काम करना है। वह सीनियर-जूनियर कल्चर के भी विरोध में हैं। आज हालत यह है कि जूनियर वकीलों की समस्याओं को लेकर कोई गंभीर नहीं। बातें बहुत होती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर काम नहीं होता। बार एसोसिएशन एक परिवार की तरह है जहां जूनियर्स को अपने सीनियर्स का सम्मान करना चाहिए और सीनियर्स को भी जूनियर्स की परेशानियां समझनी चाहिए।