Jammu : स्थायी करने की मांग पर हड़ताल पर बैठे नर्सिग स्टाफ को हिरासत में लेने पर फूटा गुस्सा
सरकार के इस आदेश के आते ही स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर चले गए थे। इनमें नेशनल हेल्थ मिशन के तहत एक साल के लिए नियुक्त स्टाफ नर्सिंग और एनेस्थिया असिस्टेंट दूसरे दिन भी जीएमसी के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।
जागरण संवाददाता, जम्मू : नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत राजकीय मेडिकल कालेज (जीएमसी) व उसके अधीनस्थ अस्पतालों में कांट्रैक्ट पर तैनात नर्सिग स्टाफ ने वीरवार को अस्पताल परिसर के बाहर प्रदर्शन उन्हें स्थायी करने की मांग की। इस दौरान उनका आंदोलन खत्म करवाने के लिए पुलिस ने कुछ स्वास्थ्य कर्मियों को हिरासत में ले लिया, जिस पर हड़ताली कर्मियों का गुस्सा भड़क गया।
उन्होंने पुलिस की गाड़ी के आगे खड़े होकर उसे आगे नहीं जाने दिया और अपने साथियों को पुलिस से छुड़ा लिया। ऐसा माना जा रहा है कि सरसंघचालक मोहन भागवत के जम्मू दौरे को देखते हुए पुलिस ने एहतियातन यह कदम उठाया था। जानकारी के मुताबिक, बुधवार को दोपहर में करीब तीन बजे बख्शी नगर के डीएसपी राहुल नागर पुलिस दलबल के साथ जीएमसी के सामने सीडी अस्पताल के बाहर हड़ताल पर बैठे नर्सिंग स्टाफ को हटाने पहुंचे। पुलिस के वहां पहुंचते ही हड़ताली स्वास्थ्य कर्मियों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस बीच पुलिस ने जबरदस्ती कुछ महिला व पुरुष कर्मियों को हिरासत में लेकर वाहन में बैठा लिया। इससे नाराज होकर स्वास्थ्य कर्मी पुलिस के वाहन के आगे खड़े हो गए। मजबूरी में पुलिस को सभी को छोड़ना पड़ा। डीएसपी राहुल नागर का कहना था कि वे जीएमसी की ¨प्रसिपल शशि सूदन से बातचीत करने आए हैं। वे स्वास्थ्य कर्मियों से भी बातचीत करना चाहते थे। वहीं, हड़ताल कर रहे नर्सिग स्टाफ का कहना था कि अगर जीएमसी का कोई भी प्रतिनिधि उनसे बातचीत करना चाहता है, तो वह धरनास्थल पर आकर बात करे। बंद दरवाजे में कोई बात नहीं होगी।
कर्मियों के अड़ियल रवैये को देखते हुए पुलिस धरने पर बैठे स्वास्थ्य कर्मियों में वहां से खदेड़ने के लिए जोर जबरदस्ती की। देर रात तक स्वास्थ्य कर्मी सीडी अस्पताल के सामने धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। धरने के दौरान महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने हाथों में थाली लेकर उसे खूब बजाया। एक अक्टूबर से 1600 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा समाप्त स्वास्थ्य विभाग ने 29 सितंबर को देर रात एक आदेश जारी कर सरकारी मेडिकल कालेज जम्मू और उसके अधीनस्थ श्री महाराजा गुलाब ¨सह अस्पताल (एसएमजीएस) और चेस्ट डिजीज अस्पताल में कांट्रेक्ट पर नियुक्त करीब 1600 स्वास्थ्य कर्मियों को पहली अक्टूबर से सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी किया था।
सरकार के इस आदेश के आते ही स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर चले गए थे। इनमें नेशनल हेल्थ मिशन के तहत एक साल के लिए नियुक्त स्टाफ नर्सिंग और एनेस्थिया असिस्टेंट दूसरे दिन भी जीएमसी के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। पहले कोरोना महामारी में सेवा ली, अब दिखा दिया बाहर का रास्ता धरने पर बैठे नर्सिंग स्टाफ के सदस्यों का कहना था कि उपराज्यपाल प्रशासन ने कोरोना महामारी में उनकी सेवाएं लीं और अब जब कोविड-19 महामारी जम्मू कश्मीर में खत्म हो गई है तो उन्हें नौकरी से बेदखल कर दिया गया। उनका यह भी कहना था कि उनकी नियुक्तियां नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से की गई हैं, जिसमें एक साल बाद सभी को स्थायी नौकरी देने की शर्त भी है।
नर्सिंग स्टाफ के सदस्यों का कहना है कि उन्हें नौकरी से बेदखल करने के लिए इमरजेंसी कोविड रेस्पांस पैकेज में जानबूझ कर डाल दिया, जिससे कि स्वास्थ्य कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सके। कुछ स्वास्थ्य कर्मियों का कहना था कि यह उपराज्यपाल प्रशासन की चाल है। उन्होंने तर्क दिया कि एनएचएम की लक्ष्य योजना के तहत आइसीयू और प्रसूति वार्ड में कांट्रैक्ट पर काम चल रहा है। ऐसे में उनकी सेवा नहीं समाप्त की जा सकती। जब सभी नर्सो का एक जैसा काम है, तो एनएचएम उनसे दोहरा मापदंड क्यों अपना रहा है?