कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देख लिया फैसला, हाईकोर्ट में अब केवल जरूरी मामलों की होगी सुनवाई
बार एसोसिएशन और एडवोकेट से यह कहा गया है कि अगर जरूरी हो तभी याचिकाकर्ता को बुलाया जाए। एक मामले में एक से अधिक व्यक्ति को न बुलाया जाए।
राज्य ब्यूरो, जम्मू: कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में अब सिर्फ जरूरी मामलों की ही सुनवाई होगी। 16 मार्च से ही यह फैसला प्रभावी हो गया है। अगले आदेश तक कैंटीन और बार रूम भी बंद कर दिए गए हैं। फैसले के अनुसार एडवोकेट और याचिकाकर्ता को नियमित आधार पर रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल जम्मू और श्रीनगर के पास अपने मामले की गंभीरता तथा उसकी स्टेज के बारे में दोपहर तीन बजे तक ई-मेल के माध्यम से जानकारी देनी होगी। मामले की गंभीरता की संतुष्टि के बाद ही उस पर सुनवाई होगी। सभी सूचित मामलों में तिथि बेंच सचिव देंगे और तिथि ई-मेल के माध्यम से बताई जाएगी।
बार एसोसिएशन और एडवोकेट से यह कहा गया है कि अगर जरूरी हो तभी याचिकाकर्ता को बुलाया जाए। एक मामले में एक से अधिक व्यक्ति को न बुलाया जाए। रजिस्ट्रार जनरल संजय धर द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार हाईकोर्ट के दोनों विंग की बार एसोसिएशन को यह सुनिश्चित बनाना होगा कि कोर्ट में कहीं पर भी अधिक लोग न जुटें। वकीलों के चैंबर में भीड़ नहीं होनी चाहिए। उन्हें सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों को स्थगित करना होगा। वकीलों को अपने मुवक्किलों को यह कहना होगा कि अगर कोर्ट उन्हें नहीं बुलाता है तो उन्हें आने की जरूरत नहीं होगी। सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि दोनों विंग के रजिस्ट्रार जनरल पूरे कांप्लेक्स को सैनिटाइज करवाने के कोर्ट रूम और अन्य जगहों पर सैनिटाइजर उपलब्ध करवाएं। थर्मल स्क्रीनिंग हो। सभी अधिकारिक कार्यक्रम जिनमें अधिक लोगों को आमंत्रित किया गया है, उन्हें रद कर दिया गया है। रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी एक अन्य सर्कुलर में जिला कोर्ट को भी ऐसे निर्देश जारी किए गए हैं।
कैदियों की पेशी वीडियो कांफ्रेंस सेः सुबूतों की रिकार्डिंग और आरोपितों को रिमांड देने व अंडर ट्रायल कैदियों को पेश करने के लिए वीडियो कांफ्रेंस का सहारा लिया जाए। सभी लोक अदालतें और लीगल सर्विंस प्रोग्राम अगले आदेश तक नहीं होंगे। मुवक्किलों को उनके मामलों को नियमित रूप से अपडेट देने के लिए हर जिले और मुंसिफ कोर्ट में हेल्पलाइन बनाई जाएगी। एक टीम भी हर जिले में बनाई जाएगी जो कि मामलों का जायजा लेगी। आपराधिक मामलों में आरोपितों की उपस्थिति से छूट देने पर विचार हो। विशेष ट्रैफिक जज केवल जब्त किए गए वाहनों को छोडऩे के मामलों की ही सुनवाई करें। अन्य को छोड़ दें।