Jammu: अब बारहमासी हो गई मशरूम की खेती, जम्मू में 30-35 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी मशरूम की खेती शुरू
कृषि विभाग के स्पॉन प्रोडक्शन जम्मू अमन ज्योति का कहना है कि मिल्की मशरूम का यह विकल्प मिलने पर अब पूरे साल मशरूम का उत्पादन संभव हो गया है। ग्रामीण युवाओं को मशरूम की खेती को बड़े कारोबार के तौर पर करना चाहिए।
जम्मू, जागरण संवाददाता: विटामिन बी, डी, आयरन समेत अन्य पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम की खेती अब बारहमासी हो गई है। ऐसा मिल्की मशरूम की पैदावार शुरू होने के चलते संभव हुआ है। जम्मू के गर्म इलाकों में 30-35 डिग्री सेल्सियस के तापमान में मिल्की मशरूम की पैदावार होने लगी है। इस बार जम्मू संभाग के जम्मू, रियासी, कठुआ व सांबा जिले में 2500 लिफाफा मिल्की मशरूम का लगाया गया है। इससे पांच हजार किलो मिल्की मशरूम का उत्पादन होगा।
कृषि विभाग के स्पॉन प्रोडक्शन जम्मू अमन ज्योति का कहना है कि मिल्की मशरूम का यह विकल्प मिलने पर अब पूरे साल मशरूम का उत्पादन संभव हो गया है। ग्रामीण युवाओं को मशरूम की खेती को बड़े कारोबार के तौर पर करना चाहिए। कृषि विभाग इन युवाओं को हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि मिल्की मशरूम आने से अब जम्मू कश्मीर के गर्म इलाकों में किसान साल भर इसकी उपज ले सकते हैं। उन्हें अपने शेड गर्मी में खाली रखने की जरूरत नहीं है।
वर्तमान में कृषि विभाग किसानों को मिल्की मशरूम के बारे में लगातार जागरूक कर रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान गर्म जलवायु में भी इसकी खेती करने के लिए आगे आएं। किसानों के लिए यह फायदे का सौदा है। सीजन में मिल्की मशरूम डेढ़ सौ रुपये प्रति किलो में बिक जाती है। जम्मू के नजदीक पुरखू गांव के अशोक गुप्ता ने अपने शेड में इस मशरूम के 300 लिफाफे लगाए हैं। उनका कहना है कि अब वह पूरे साल मशरूम की खेती में व्यस्त रहेंगे। अखनूर के मु_ी नेहरा के किसान राम लाल ने भी अपने शेड में मिल्की मशरूम को जगह दी है।
यह है मिल्की मशरूक: यह मशरूम दूधिया रंग का होता है और आकार में बटन मशरूम से बड़ा। चूंकि गर्मी में बटन या ढींगरी मशरूम नहीं मिलता, ऐसे में मिल्की मशरूम की अहमियत और बढ़ जाती है। शादी विवाह में मिल्की मशरूम की अच्छी खपत है।
आसान है खेती: सबसे बड़ी बात यह है कि मिल्की मशरूम का उगाना-लगाना आसान है। इसे कंपोस्ट बनाने की जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता। भूसे को बेवीसिन पाउडर व फार्मलीन मिले पानी से गुजार कर फंगस फ्री किया जाता है। बाद में जब भूसे में 70 फीसद नमी रह जाए तो लिफाफे में भरकर बीज लगा दिया जाता है। शेड का तापमान उपयुक्त रहना चाहिए। पांच सप्ताह बाद मिल्की मशरूम आना शुरू हो जाएगा। एक लिफाफे से दो किलो मिल्की मशरूम प्राप्त की जा सकता है।
जम्मू में मशरूम की खेती
- मिल्की मशरूम: जून से सितंबर तक
- बटन मशरूम : अक्तूबर से मार्च तक दो फसलें
- ढींगरी मशरूम: 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक पहली फसल
- ढींगरी मशरूम: 15 जनवरी से अप्रैल तक दूसरी फसल