Jammu Kashmir : अब फेसबुक पर भी होने लगी ठगी, सस्ती गाड़ी बेचने का झांसा देकर ठगने वाले सक्रिय
अगर आप कभी फेसबुक पर किसी सस्ती गाड़ी के बिकने का पोस्ट पढ़ें तो उसे नजरअंदाज कर दें। अगर सस्ती गाड़ी खरीदने के चक्कर में आपने पोस्ट के साथ दिए गए नंबर संपर्क क लिया तो हो सकता है
जम्मू, सुरेंद्र सिंह । अगर आप फेसबुक पर सक्रिय हैं तो सावधान हो जाएं। फेसबुक को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए ही इस्तेमाल करें। अगर आप कभी फेसबुक पर किसी सस्ती गाड़ी के बिकने का पोस्ट पढ़ें तो उसे नजरअंदाज कर दें। अगर सस्ती गाड़ी खरीदने के चक्कर में आपने पोस्ट के साथ दिए गए नंबर संपर्क क लिया तो हो सकता है आपको बड़ा नुकसान झेलना पड़ जाए।
गाड़ी की डिलीवरी से पहले अपने अकाउंट में डलवा लेते हैं पैसे
दरअसल इन दिनों फेसबुक पर लगातार कुछ लोग अपनी सस्ती गाड़ी जिनमें स्कूटियां ज्यादातर हैं, को बेचने के पोस्ट डाल रहे हैं। पोस्ट के साथ बकायदा उन लोगों ने उस गाड़ी का फाेटाे भी डाल रखा होता है और उसके साथ ही अपना फोन नंबर भी लिखा होता है जिस पर लोग उनसे संपर्क कर सकते हैं। जब कोई उनसे संपर्क करता है तो उनमें से अधिकतर खुद को सीआईएसएफ, सीआरपीएफ या सेना का जवान बताते है और जब उनसे गाड़ी बारे पूछा जाता है तो उनका यही जबाव मिलता है कि गाड़ी इस समय कश्मीर है क्योंकि वे खुद भी वहां पर तैनात हैं। इसके बाद शुरू होता है शिकार को ठगने का खेल। अपने शिकार में भरोसा पैदा करने के लिए ठग बकायदा व्हाट्एसएप कर अपनी कुछ फाेटो और बकायदा पहचान पत्र आदि भेजता है। अगर किसी ने उस पर भरोसा कर लिया तो गाड़ी की डिलीवरी से पहले ठग अपने अकाउंट में कुछ पैसे डालने को बाेलता है। यह पैसे वह डिलीवरी चार्ज के रूप में लेने की बात करता है और अगर कोई इन ठगों के झांसे में आ गया तो वह उससे तब तक कुछ कुछ रकम अकाउंट में डलवाते रहेंगे जब तक शिकार को अपने साथ ठगी का अहसास न हो जाए।
फर्जी होते हैं पहचान पत्र
इस तरह की ठगी कोेेे अंजाम देने वाले ठग बहुत ही शातिर हैं। वे फर्जी पहचान पत्र और किसी दूसरे की फोटो अपने शिकार को भेजते हैं ताकि भरोसा कायम किया जा सके। इस तरह के मामले सामने आने के बाद जब ठगी का शिकार व्यक्ति पुलिस के पास पहुंचता है तो जांच के बाद पता चलता है कि जिसका पहचान पत्र, फोटो या गाड़ी का फोटो डाला गया था, उसे इस बात का पता ही नहीं था। ऐसे मामलों में पुलिस के लिए ठग को पकड़ना आसान नहीं रहता क्योंकि वे दूर किसी अन्य राज्य में बैठकर ठगी को अंजाम दे रहा होता है।
पते के नाम पर शिकार से भी मंगवाते हैं ठग उसका पहचान पत्र
ये ठग अपने शिकार को ठगने के बाद भी नहीं छोड़ते। वे गाड़ी की डिलीवरी भेजने के नाम पर अपने शिकार से उसका पहचानपत्र जैसे आईडी कार्ड या आधारकार्ड की फोटो व्हाट्सएप पर मंगवा लेते हैं। इसके बाद आगे चलकर वे कभी न कभी उसकी आईडी कार्ड का इस्तेमाल कर और उसकी फोठो उसकी फेसबुक से निकाल कर किसी दूसरे को ठग लेते हैं। एेसे में शिकार खुद भी कई बार ठगी के मामले में पुलिस की चपेट में आ जाता है और उसे खुद को निर्दोष साबित करना पड़ता है। ऐसे में किसी को भी अपना आईडी कार्ड न भेजें।
अंजान व्यक्ति से आनलाइन खरीद कभी न करें
अनजान व्यक्ति से कभी भी आनलाइन खरीद न करें। जब कभी पुरानी गाड़ी या कुछ सामान किसी से खरीद रहे हैं तो पहले खुद जाकर उसे देखें। सोशल साइट्स पर भरोसा कर खरीदारी न करें। गाड़ियों के मामले में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है। उनके दस्तावेज आरटीओ कार्यालय से पहले जांच करवाएं। उसके बाद पता करें कि कहीं गाड़ी किसी अपराधिक गतिविधि में तो इस्तेमाल नहीं हुई। सब कुछ परखने के बाद गाड़ी की मालिक से आमने सामने खरीद करें। खुद सावधान और सतर्क रहें।- एसएसपी जम्मू, श्रीधर पाटिल