अब सेना के खोजी कुत्ते खंगालेंगे नशे की खेप, फिलहाल छह प्रशिक्षित कुत्तों को किया जा चुका है शामिल
इन सभी कुत्तों को उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे उन सभी अग्रिम इलाकों में सेना की पड़ताल चौकियों पर तैनात कर रहे हैं जहां से अक्सर आम लोग अपने वाहनों को लेकर गुजरते हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। पाकिस्तान से आए नशीले पदार्थों को जम्मू कश्मीर से होते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में भेजने वाले तस्कर अब बच नहीं पाएंगे। सेना के श्वान दस्ते नशीले पदार्थों को खोजकर तस्करों को पकड़ाने में मदद करेंगे। आतंकरोधी अभियानों में अहम भूमिका निभाने वाले सेना के श्वान दस्ते अब नशीले पदार्थों की तस्करी भी रोकेंगे। नशीले पदार्थाें का पता लगाने में प्रशिक्षित खोजी कुत्तों को सेना ने अपने श्वान दस्ते में शामिल करना शुरू कर दिया है। इसी दस्ते के एक कुत्ते ने बीते दिनों एलओसी के साथ सटे टंगडार सेक्टर में हेरोइन की तस्करी का प्रयास नाकाम किया था।
घाटी में आतंकियों से लेकर विस्फोटकों का पता लगाने के लिए सेना श्वान दस्ते का प्रयोग करती है। अभी तक इस दस्ते में वह कुत्ते शामिल नहीं थे जो नशीले पदार्थों को खोज सकें, लेकिन अब इन्हें शामिल किया जा रहा है। उत्तरी कश्मीर में एलओसी पार से नशीले पदाथों की बढ़ती तस्करी को देखते हुए सेना ने यह फैसला किया है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नशीले पदार्थाें का पता लगाने में पूरी तरह प्रशिक्षित छह कुत्तों को श्वान दस्ते में शामिल किया गया है। इनके अलावा पहले से शामिल खोजी कुत्तों को जो विस्फोटकों का पता लगाने में समर्थ हैं, उन्हें भी नशीले पदार्थाें का पता लगाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
फिलहाल, हम इन सभी कुत्तों को उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे उन सभी अग्रिम इलाकों में सेना की पड़ताल चौकियों पर तैनात कर रहे हैं, जहां से अक्सर आम लोग अपने वाहनों को लेकर गुजरते हैं। हम बारूद और नशीले पदार्थाें का पता लगाने में समर्थ कुत्तों की संख्या बढ़ाते हुए उन्हें अन्य इलाकों में भी अपनी मोबाइल चेकिंग पोस्टों पर तैनात करेंगे। अगर नागरिक प्रशासन या किसी अन्य सुरक्षा एजेंसी को इस सिलसिले में हमारा सहयोग चाहिए तो हम देने को तैयार हैं।
कुपवाड़ा में तैनात एक सैन्याधिकारी ने बताया कि गत सप्ताह कुपवाड़ा-टंगडार सड़क पर साधना पास पर हमारे एक खोजी कुत्ते ने जोकि नशीले पदार्थाें का पता लगाने में प्रशिक्षित है, ने हेरोईन की तस्करी के एक प्रयास को नाकाम बनाया है। यह नशीला पदार्थ तस्करों ने सुरक्षाबलों की पढ़ताल चौकी से बचाकर निकालने के लिए इस वहीं सड़क पर एक जगह छिपाकर रखा हुआ था। गत बुधवार को कुपवाड़ा के दर्दपोरा इलाके में नशीले पदार्थाें संग एक युवक को सेना के खोजी कुत्ते की मदद से ही पकड़ा गया है।
आतंक पर खर्च होती है नशे से मिली रकम
दरअसल, बारामुला, कुपवाड़ा और बांडीपोरा में एलओसी पार से बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थाें को तस्करी की जाती है। इन इलाकों से नशीला पदार्थ विभिन्न तरीकों से जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से होता हुआ देश के प्रमुख शहरों व कस्बों में जाता है। इससे जुटाई जाने वाली रकम का एक बड़ा हिस्सा जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को ङ्क्षजदा रखने के लिए खर्च होता है। सबसे ज्यादा तस्करी जिला कुपवाड़ा और जिला बांडीपोरा में होती है। इन्हीं इलाकों में आतंकियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशें भी ज्यादा होती हैं।
आतंक के लिए आइएसआइ ले रही तस्करों का सहारा
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को ङ्क्षजदा रखने के लिए नशीले पदार्थाें की तस्करी का भी सहारा ले रही है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में नशीले पदार्थों की खपत लगातार बढ़ी है जो चिंता का विषय है। कई बार देखा है कि नशेड़ी युवक पत्थरबाजी और ग्रेनेड फेंकने की घटनाओं में लिप्त हो जाते हैं। इसलिए सेना इसे रोकने के लिए पुलिस व नागरिक प्रशासन का पूरा सहयोग कर रही है।