Move to Jagran APP

जम्मू-कश्मीर ही नहीं, बल्कि देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग; एलोपैथिक डिस्पेंसरी को एनटीपीएचसी में बदला जा रहा

NTPHC In Kashmir जम्मू-कश्मीर में एनटीपीएचसी पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की देन है। स्वास्थ्य सेवा निदेशक (कश्मीर) डा. मुश्ताक अहमद राथर ने कहा कि एनटीपीएचसी विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा ढांचे को बेहतर बनाने में क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 07:48 AM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 12:03 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर ही नहीं, बल्कि देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग; एलोपैथिक डिस्पेंसरी को एनटीपीएचसी में बदला जा रहा
यह ग्रामीण इलाकों में छोटे अस्पताल की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें मेडिकल आफिसर भी तैनात रहता है।

मामूसा (बारामुला), राज्य ब्यूरो : इरशाद अहमद अपने बाग में काम कर रहा था कि अचानक वह गिर पड़ा। स्वजन उसे गांव में स्थापित न्यू टाइप प्राइमरी हेल्थ सेंटर (एनटीपीएचसी) में ले गए। उसका एक्सरे किया गया तो पता चला कि एड़ी की हड्डी अपनी जगह से खिसक गई है। इसके बाद उसी समय उसका उपचार किया गया। अगर एनटीपीएचसी उसके गांव में न होता तो उसे करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल में जाना पड़ता। इससे उसका जेब खर्च भी बढ़ता।

loksabha election banner

एनटीपीएचसी से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा दिनोंदिन सेहतमंद हो रही है। यह जम्मू कश्मीर में ही नहीं, शायद पूरे देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। इसके तहत सभी एलोपैथिक डिस्पेंसरी को आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाकर चिकित्सा केंद्रों में बदला जा रहा है। इन केंद्रों में डाक्टर, नर्स, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, टेस्ट और एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध है। सामान्य तौर पर डिस्पेंसरी में सिर्फ सामान्य बुखार, प्राथमिक उपचार की ही सुविधा रहती है।

जम्मू-कश्मीर में एनटीपीएचसी पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की देन है। स्वास्थ्य सेवा निदेशक (कश्मीर) डा. मुश्ताक अहमद राथर ने कहा कि एनटीपीएचसी विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा ढांचे को बेहतर बनाने में क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं। अब डिस्पेंसरी नहीं, बल्कि एनटीपीएचसी तैयार किए जा रहे हैं। यह ग्रामीण इलाकों में छोटे अस्पताल की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें मेडिकल आफिसर भी तैनात रहता है। यह 24 घंटे क्रियाशील रहते हैं।

इस समय प्रदेश में 300 से अधिक एनटीपीएचसी हैं। कई पुरानी डिस्पेंसरी को एनटीपीएचसी में बदल दिया गया है। इनमें एक्सरे, ब्लड टेस्ट, शूगर टेस्ट समेत पैथालाजी की विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब लोग अपने इलाके में डिस्पेंसरी या प्राथमिक चिकित्सा केंद्र नहीं, बल्कि एनटीपीएचसी की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के आधार पर एनटीपीएचसी स्थापित होता है।

अनंतनाग में करीब डेढ़ दर्जन एनटीपीएचसी: अनंतनाग में करीब डेढ़ दर्जन एनटीपीएचसी हैं। एक नया एनटीपीएचसी खेरीबल में 1.68 करोड़ की लागत से बन रहा है। यह करीब 20 हजार की आबादी को सेवाएं देगा। जिला उपायुक्त डा. पीयूष सिंगला ने कहा कि इसमें रात्रिकालीन चिकित्सा सेवाएं भी रहेंगी। इमारत जल्द तैयार होगी। स्टाफ की नियुक्ति कोई समस्या नहीं है। इसके बनने से जिला अस्पातल पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।

कोरोना से निपटने में रही भूमिका : कोविड-19 सेे उपजे हालात में एनटीपीएचसी भी बहुत कारगर साबित हुए हैं। सेवानिवृत्त डा. अशोक ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में कई जगह एनटीपीएचसी ने ही कोविड केयर सेंटर की भूमिका निभाई है। अन्यथा ग्रामीण इलाकों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी बहुत ज्यादा होता है। इन केंद्रों में कोरोना वैक्सीन की सुविधा भी है।

अभी बहुत कुछ करना बाकी: कई जगह एनटीपीएचसी में पर्याप्त सुविधाओं की मांग है। बांडीपोरा जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित एनटीपीएचसी में डाक्टर उपलब्ध नहीं है। सिर्फ दो फार्मासिस्ट और एक नर्स है। एनटीपीएचसी में चिकित्सा उपकरण भी नहीं हैं। स्वास्थ्य सेवा निदेशक मुश्ताक अहमद ने कहा कि यह वही केंद्र हैं जो बीते चार-छह माह में स्थापित किए गए हैं। इनमें सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.