खादी विलेज इंडस्ट्री बोर्ड में पिछले दरवाजे से नियुक्ति मामले में महबूबा के ममेरे भाई को कोर्ट से राहत नहीं
साहनी ने डीजी सीआइडी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम के पीआरओ ने उम्मीदवारों से पांच-पांच लाख लेकर नियुक्तियां करवाईं।
जम्मू, जागरण संवाददाता। खादी विलेज इंडस्ट्री बोर्ड में पिछले दरवाजे से हुई चुनिंदा नियुक्तियों के मामले में जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को किसी प्रकार की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। नियुक्तियों में पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का ममेरा भाई भी शामिल है।
यह याचिका उम्मीदवारों की ओर से एडवोकेट अभिनव शर्मा ने दायर की, जिसमें उन्होंने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार ने बोर्ड में हुई नियुक्तियों को पहले से ही खारिज कर दिया है। लिहाजा, उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की जाए। याचिका शुभम थापा और उनके साथियों ने दायर की है।
सरकार की ओर से एडीशनल एडवोकेट जनरल असीम साहनी और उनके सहयोगी वकील भानू जसरोटिया ने जिरह में कहा कि नियुक्तियां अवैध तरीके से हुई हैं। सरकार ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। नियुक्तियों में कई आला अधिकारियों और मंत्रियों की संलिप्तता सामने आ रही है। इन नियुक्तियों में महबूबा मुफ्ती का ममेरा भाई अरूत मदनी भी शामिल है। साहनी ने डीजी सीआइडी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम के पीआरओ ने उम्मीदवारों से पांच-पांच लाख लेकर नियुक्तियां करवाईं। साहनी ने कहा कि नियुक्तियों में उच्च पदस्थ लोगों की साजिश है, जिन्होंने भर्ती नियमों को ताक पर लगा दिया। नियुक्तियों में अगर लेनदेन हुआ तो यह एक बड़ा घोटाला है।
उन्होंने कोर्ट से कहा कि जिस साजिश में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और डिप्टी सीएम के पीआरओ का नाम आ रहा है, तो यह मामला काफी संगीन है। लिहाजा उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत न दी जाए। कोर्ट में आइएएस अधिकारी आरके गोयल की जांच रिपोर्ट को भी पेश किया गया। राज्य सरकार में प्रधान सचिव आरके गोयल खादी इंडस्ट्री बोर्ड में हुई धांधलियों की जांच कर रहे हैं।
हाई कोर्ट के जस्टिस ताशी रबस्तान ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद खादी विलेज इंडस्ट्री बोर्ड सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर उन्हें किसी प्रकार की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। बोर्ड में आठ अक्टूबर, 2016 को विभिन्न पदों के लिए चुनिंदा नियुक्तियां हुईं थीं। नियुक्तियों में हुए घोटाले के बाद सरकार ने इन्हें रद कर दिया था।