Srinagar: मेयर जुनैद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित, शेख इमरान हो सकते हैं अगले मेयर
मेयर जुनैद ने इस बार भी कांग्रेस और नेकां से मदद ली लेकिन तब भी कुर्सी नहीं बचा पाए। नेकां के सदस्यों के अलावा निर्दलियों और भाजपा के सदस्यों ने उनके खिलाफ मतदान किया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। श्रीनगर नगर निगम में मेयर के पद को लेकर बीते सप्ताह से जारी उठा-पटक मंगलवार को समाप्त हो गई। आखिरकार मौजूदा मेयर जुनैद अजीम मट्टु के खिलाफ अविश्वास मत प्रस्ताव पारित हो गया। पूर्व डिप्टी मेयर शेख इमरान अब अगले मेयर बन सकते हैं। अविश्वासमत के हक में 42 वोड पड़े जबकि 28 पार्षदों ने तो वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। जुनैद अजीम मट्टु व शेख इमरान दोनों ही राजनीतिक रूप से पीपुल्स कांफ्रेंस के साथ जुड़े हुए हैं।
बीते छह माह के दौरान यह दूसरा मौका है जब जुनैद अजीम मट्टु के खिलाफ अविश्वासमत प्रस्ताव लाया गया। इससे पूर्व दिसंबर 2019 में भाजपा ने मेयर व तत्कालीन डिप्टी मेयर शेख इमरान को हटाने के लिए दो अलग-अलग अविश्वासमत प्रस्ताव लाए थे। डिप्टी मेयर को हटाने के बाद भाजपा ने मेयर के खिलाफ अविश्वासमत प्रस्ताव काे वापस ले लिया था। इस तरह से जुनैद अजीम मट्टु अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे। उस समय उन्होंने नेकां व कांग्रेस का सहारा लिया था। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस और नेकां से मदद ली, लेकिन तब भी कुर्सी नहीं बचा पाए। नेकां के सदस्यों के अलावा निर्दलियों और भाजपा के सदस्यों ने उनके खिलाफ मतदान किया।
मेयर के पद से पदाच्युत होने पर जुनैद अजीम मट्टु ने कांग्रेस व पीपुल्स कांफ्रेंस के साथ के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि अब मैं मेयर नहीं हूं, लेकिन श्रीनगर के लोगों की आगे भी सेवा करता रहूंगा। बीते छह माह से मैंने अपने परिवार के साथ भी ठीक से समय नहीं बिताया है। अब उनके साथ खूब सारा वक्त गुजारूंगा। मैं अपनी बेटी को भी समय नहीं दे पाया था। निगम में बतौर मेयर अपने अनुभवों और विभिन्न दलों द्वारा मुझे हटाने के लिए किए गए गठजोड़ की मुझे उम्मीद नहीं थी, पर जल्द ही लिखूंगा।
पूर्व डिप्टी मेयर शेख इमरान की आड़ में जुनैद अजीम मट्टु को हराने की रणनीति पूरी तरह भाजपा ने तैयार की थी। इसमें भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री अशोक कौल का पूरा साथ रहा है। यहां यह बताना असंगत नहीं होगाकि वर्ष 2018 में शेख इमरान ने बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद मेयर पद पाने के लिए कांग्रेस के साथ अपनी किलेबंदी की थी, लेकिन भाजपा के सहयोग से जुनैद अजीम मट्टु मेयर बनने में कामयाब रहे थे। बाद में मटटु ने शेख इमरान को भी पीपुल्स कांफ्रेंस के साथ जोड़ लिया था।
पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में सियासी समीकरण भी बदल गए। पीपुल्स कांफ्रेंस द्वारा नेकां और पीडीपी का अनुच्छेद 370 पर साथ देने से भाजपा ने सज्जाद गनी लोन व उनके साथियों से दूरी बना ली। इसके साथ ही भाजपा ने श्रीनगर नगर निगम पर अपने किसी दूसरे समर्थक को बैठाने की कवायद शुरु कर दी थी। पहला प्रयास दिसंबर में किया गया था, लेकिन जुनैद मट्टु द्वारा कांग्रेस, नेकां और कुछ निर्दलियों को अपने साथ जाेड़ते देख भाजपा ने प्रस्ताव पर जोर नहीं दिया और प्रस्ताव पर काेई वोटिंग नहीं हुई थी।
जुनैद अजीम मट्टु द्वारा दिसंबर में लाए गए अविश्वासमत प्रस्ताव के दौरान साथ नहीं दिए जाने से शेख इमरान काफी आहत थे। वह तभी से बदला लेने के मूड में थे। उन्होंने भाजपा में अपने कुछ पुराने मित्रों से संपर्क किया और जुनैद अजीम मट्टु के खिलाफ जमीन तैयार कर ली। शेख इमरान आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी के करीबियों में गिने जाते हैं। शेख इमरान ने निर्दलीय पार्षदों के अलावा कांग्रेस और नेेकां के भी कई सदस्यों को अपने साथ जोड़ा और पीडीपी से संबध रखने वाले पार्षद रफीक डार ने 43 सदस्यों के हस्ताक्षर पर आधारित अविश्वासमत प्रस्ताव श्रीनगर निगमायुक्त गजनफर अली मीर को सौंप दिया। जुनैद मट्टु ने इससे बचने के लिए अदालत का भी सहारा लिया और कहाकि छह माह से पहले अविश्वासमत प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। अदालत में उनकी यह दलील नहीं चली क्योंकि श्रीनगर निगम के रिकार्ड में कहीं भी उनके खिलाफ दिसंबर में अविश्वासमत प्रस्ताव नहीं लाया गया था।
मट्टु ने अविश्वासमत प्रस्ताव के मुद्दे पर भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना से लड़ रही है और भाजपा यहां ओछी सियासत कर रही है। मट्टु के इस आरोप के बाद भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर और मंजूर राजा अपने पहले बयान से पलट गए। उन्होंने कहा कि अविश्वासमत प्रस्ताव निर्दलियों ने लाया है। अविश्वासमत से बचने के लिए जुनैद अजीम मटटु ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर से भी मुलाकात की थी। नेशनल कांफ्रेंस के कई नेताओं से भी संपर्क साधा था। कांग्रेस ने उन्हें यकीन दिलाया था कि वे वोटिंग में शामिल नहीं होंगे। नेकां ने भी भाजपा से दूर रहने का दावा किया था।
अलबत्ता, आज सुबह 11 बजे बैंक्वेट हाल श्रीनगर में नगर निगम का एक विशेष सत्र शुरू हुआ। रफीक डार ने अविश्वासमत प्रस्ताव पेश किया। श्रीनगर निगमायुक्त ने इस पर वोटिंग करायी। वाेटिंग में 42 सदस्यों ने भाग लिया। इन सभी अविश्वासमत के हक में वोट दिया। 28 सदस्य जिनमें कांग्रेस के 17 सदस्य हैं, सत्र में शामिल नहीं हुए। मेयर जुनैद अजीम मट्टु को कुर्सी छोड़नी पड़ी।