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India China Border: चीन की चुनौती से निपटने में सहायक साबित होगी नीमो-पदम-दारचा सड़क

298 किलोमीटर के इस महत्वाकांक्षी सड़क प्रोजेक्ट की निगरानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कर रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 03:46 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 04:10 PM (IST)
India China Border: चीन की चुनौती से निपटने में सहायक साबित होगी नीमो-पदम-दारचा सड़क
India China Border: चीन की चुनौती से निपटने में सहायक साबित होगी नीमो-पदम-दारचा सड़क

विवेक सिंह, जम्मू। चीन के आक्रमक तेवर देख भारत-चीन सीमा पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार के लिए नीमो-पदम-दारचा सड़क मार्ग को जल्द से जल्द पूरा करना और भी जरूरी हो गया है। कोरोना प्रकोप का असर इस सड़क के निर्माण पर भी पड़ा है। देश के अन्य राज्यों की तरह लद्दाख व हिमाचल में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने पर इस मार्ग पर काम प्रभावित हो गया था। श्रमिक वापस लौट गए थे। अब इस मार्ग की महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने मार्ग का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए श्रमिकों को भेजना शुरू कर दिया है। झारखंड से बुलाए गए श्रमिक कल लद्दाख पहुंच जाएंगे और अगले कुछ ही महीनों में इस सड़क को वाहनों के चलने लायक बना दिया जाएगा। वहीं लद्दाख से सांसद जामयांग सेरिंग नांग्याल ने भी यह माना कि यह सड़क लद्दाख में सीमा की सुरक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। 

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लद्दाख को हिमाचल प्रदेश से सीधे जोड़ने वाली नीमो-पदम-दारचा सड़क केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाएगी। चीन और पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भारतीय सेना के जवान हिमाचल के दारचा के रास्ते पदम और फिर नीमो होते हुए कुछ ही घंटों में लेह और कारगिल तक पहुंच जाएंगे। अगले कुछ महीनों में इसके खुलने की पूरी उम्मीद है। 298 किलोमीटर के इस महत्वाकांक्षी सड़क प्रोजेक्ट की निगरानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कर रहे हैं। 

कारगिल व लेह तक पहुंचाना होगा आसान: दारचा-पदम-नीमो सड़क हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के दारचा को कारगिल जिले के जंस्कार के पदम इलाके को जोड़ेगी। दारचा से पदम की दूरी करीब 148 किलोमीटर है। पदम के बाद यह सड़क नीमो के रास्ते लेह मार्ग से जुड़ जाएगी। सूत्रों का कहना है कि इस सड़क पर काफी काम होना बाकी है। यहां पुल का निर्माण होना अभी बाकी है, जिसकी वजह से अभी इस पर वाहनों का चलना संभव नहीं हैँ। ऐसे में सरकार का पूरा प्रयास रहेगा कि जल्द से जल्द इसे पूरा किया जाए ताकि आपातकालीन स्थिति पर इस मार्ग पर सेना के वाहनों की आवाजाही शुरू हो सके। इस सड़क के बनने से सेना का साजोसामान कारगिल व लेह तक पहुंचाना आसान हो जाएगा। पहले जंस्कार जाने के लिए तीन गुना अधिक सफर करना पड़ता था।

16500 फीट की ऊंचाई पर कारगिल जिले के जंस्कार को हिमाचल से जोड़ने वाली इस सड़क अगले एक दिनों के भीतर फिर से काम शुरू हो जाएगा। झारखंड से बुलाए गए मजदूर यहां पहुंचना शुरू हो गए हैं। उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में यह सड़क खुल जाएगी। सड़क बनने से हिमाचल प्रदेश के रास्ते सेना को जल्द कारगिल व लेह तक पहुंचने के लिए एक बेहतर विकल्प मिल जाएगा।

इस सड़क को बना रहा है सीमा सुरक्षा बल: उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार यह प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। ट्रायल भी हो चुका है, लेकिन कुछ हिस्सों में खस्ताहाल मार्ग को पक्का व चौड़ा करने में वक्त लग रहा है। सीमा सड़क संगठन इस सड़क को बना रहा है। उम्मीद है कि शिकूला पास में जमी बर्फ हटने के बाद जल्द सड़क खुल जाएगी। मशीनों से बर्फ हटाई जा रही है।

मनाली से पदम की दूरी 600 किमी कम होगी: पुराने ट्रैकिंग रूट को पहले मोटरेबल रोड और अब उसे अच्छी सड़क बनाने से मनाली की ओर से पदम पहुंचने का सफर करीब 600 किलोमीटर कम हो जाएगा। इस समय मनाली से लेह होते हुए पदम पहुंचने का सफर करीब 900 किलोमीटर का है।

सेना के लिए सुरक्षित है सड़क: 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने हाईवे को निशाना बनाकर भारतीय सेना के लिए मुश्किलें पैदा की थीं। कारगिल में ऊंचाई पर बैठा दुश्मन आसानी से हाईवे पर सेना की मूवमेंट को देखने के साथ उसे निशाना बना सकता था। इसलिए सेना इस क्षेत्र में एक सुरक्षित सड़क की जरूरत महसूस कर रही थी। इसके बाद सेना ने लेह और कारगिल तक पहुंचने के लिए अन्य सड़कों के विकल्प तलाशना शुरू किए। इसके फलस्वरूप दारचा-पदम-नीमो सड़क सामने आई।


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