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Jammu Farmers: कृषि भूमि को लेकर परेशान सीमांत गांव निकोवाल के किसान, यह है इसकी वजह

भारत-सीमा से सटे गांव निकोवाला के किसान इन दिनों अपनी कृषि भूमि को लेकर परेशान है। किसानों की परेशानी का सबब यह है कि गांव के ज्यादातर किसानों की कृषि भूमि को सुरक्षा बल की ओर से सुरक्षा बांध व उसके साथ रास्ता बनने के लिए लिया जा रहा है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 07:57 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 08:33 PM (IST)
Jammu Farmers: कृषि भूमि को लेकर परेशान सीमांत गांव निकोवाल के किसान, यह है इसकी वजह
कृषि भूमि को सुरक्षा बल की ओर से सुरक्षा बांध, उसके साथ रास्ता बनने के लिए लिया जा रहा है।

आरएसपुरा, संवाद सहयोगी । भारत-सीमा से सटे गांव निकोवाला के किसान इन दिनों अपनी कृषि भूमि को लेकर परेशान है। किसानों की परेशानी का सबब यह है कि गांव के ज्यादातर किसानों की कृषि भूमि को सुरक्षा बल की ओर से सुरक्षा बांध व उसके साथ रास्ता बनने के लिए लिया जा रहा है।

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ऐसे में गांव के ज्यादातर किसान कृषि भूमि हीन हो जाएंगे। गांव के किसान बताते है कि उनके गांव के पास कारीब 4800 कनाल कृषि भूमी थी। इसमें करीब 2000 कनाल पहले सीमा पर तारबंदी के आगे आ चुकी है,जिस पर कोई खेती नहीं होती और ना ही किसी किसान को इसका मुआवजा दिया जा रहा है।

किसान बताते हैं कि अब सुरक्षा बल एक बार फिर से इस तारबंदी के पीछे सुरक्षा बांध व उसके साथ रास्ता बना रहे हैं जिसके लिए गांव की 30 प्रतिशत कृषि भूमि इसमें ओर आ रही है। ऐसे में गांव के किसानों के पास मात्र बीस प्रति कृषि भूमि ही खेती के लिए बचेंगी पर सिंचाई का कोई साधन ना होने के कारण वो बेकार हो जाएगी।

किसानों ने बताया कि उनके गांव सहित अन्य सीमांर्ती गांव में सुरक्षा बल कि ओर से सीमा पर तारबंदी लगाई गई थी लेेकिन बाकी गांव में सुरक्षा बल तारबंदी को उठाकर बिलकुल जीरो लाइन पर ले गई थी पर उनके गांव में तारबंदी को जस का तस रहने दिया। जिससे उनके गांव के किसानों की करीब दो हजार कनाल कृषि भूमि तारबंदी के तहत आ गई जो बंजर हो चुकी है। और अब एक फिर से सुरक्षा बल सीमा पर इस तारबंदी के पीछे सुरक्षा बल बांध बना रही है,जिससे उनके गांव की करीब 30 प्रतिशत जमीन चली जाएगी। ऐसे में किसान पूरी तरह से कृषि भूमि हीन हो जाएंगे।

किसानों ने सरकार से मांग की है कि वो इस ओर ध्यान दे और किसानों की जमीन बचने के लिए आगे आए। गांव निकोवाल के सरपंच विजय चौधरी बताते हैं कि पहले ही गांव की दो हजार कनाल कृषि भूमि तारबंदी के आगे बंजर पड़ी हुई है। उस पर किसी तरह की कोई खेती किसानों को नहीं करने दी जाती है। और अब उसी तारबंदी के पीछे सुरक्षा बल सुरक्षा बांध व रास्ता बना रही है। ऐसे में किसानों की करीब दो हजार कलान ओर कृषि भूमि इसमें चली जाएगी। उन्होंने बताया कि बतौर पंचायत सरपंच उन्होंने कितनी ही बार इस समस्या को देश के गृह मंत्री सहित सुरक्षा बल अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन के समक्षा रख चुके हैं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

गांव किसान नरेंद्र सिंह बताते है कि उनकी पूरी की पूरी जमीन पहले तारबंदी के आगे बंजर पड़ी हुई है और अब एक बार फिर से बची हुई जमीन सुरक्षा बल की ओर से सुरक्षा बांध के लिए इस्तेमाल करने के बाद वो बिलकुल ही भूमि हीन हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि पहले ही किसानों को उनकी जमीन का कोई मुआवजा नहीं दिया गया। रंजीत सिंह ने बताया कि गांव के किसानों के पास करीब 4800 कनाल कृषि भूमि थी और अब करीब कुछ प्रति जमीन ही किसानों के पास बचेंगी पर वो भी सिंचाई का कोई साधन ना होने के कारण बंजर हो जाएगी।

किसान ने कहा कि सरकार को चाहिए कि गांव के किसानों को या तो उचित मुआवजा दिया जाए या फिर उनको कृषि भूमि दी जाए। तहसीलदार सुचेतगढ़ निर्भय शर्मा ने बताया कि यह बात सही है कि निकोवाल में तारबंदी को आगे नहीं ले जाया गया और अब सुरक्षा बांध बनने के बाद किसान अपनी परेशानी बता रहे है। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस बारे में विभाग उच्चाधिकारियों को लिखित में अवगत करवाया है और जल्द ही अधिकारियों ने मौके पर जायजा लेने के लिए स्पाट पर जाने का फैसला लिया है। जिसके बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। 


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