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Kishtwar Terror Attacks: एक साल के भीतर हुए आतंकी हमलों की जांच का जिम्मा एनआइए ने संभाला

पुलिस जांच को कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रभावित किए जाने की आशंका भी थी क्योंकि प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री जीएम सरुरी के भाई के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 04:25 PM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 06:31 PM (IST)
Kishtwar Terror Attacks: एक साल के भीतर हुए आतंकी हमलों की जांच का जिम्मा एनआइए ने संभाला
Kishtwar Terror Attacks: एक साल के भीतर हुए आतंकी हमलों की जांच का जिम्मा एनआइए ने संभाला

जम्मू, राज्य ब्यूरो। भाजपा नेता अनिल परिहार व उनके भाई की हत्या की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने किश्तवाड़ में बीते एक साल के दौरान हुई अन्य आतंकी वारदातों की जांच का भी जिम्मा संभाल लिया है। एनआइए ही अब आरएसएस कार्यकर्ता चंद्रकांत शर्मा उनके अंगरक्षक की हत्या, जिला उपायुक्त किश्तवाड़ के अंगरक्ष से हथियार छीनने और पीडीपी के स्थानीय नेता को परिवार समेत बंधक बनाने व उनके अंगरक्षक के हथियार छीने जाने के मामले की जांच करेगी।

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संबधित अधिकारियों ने बताया कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर राज्य प्रशासन के आग्रह पर ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन मामलों की जांच एनआइए को सौंपी है। इसके साथ ही बीते एक साल के दौरान किश्तवाड़ में हुई चार प्रमुख आतंकी घटनाओं की जांच अब राज्य पुलिस क बजाय एनआइए ही करेगी। पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि चंद्रकांत शर्मा की हत्या, पीडीपी नेता व जिला उपायुकत के अंगरक्षकों से हथियार छीनने और रामबन में सुरक्षबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों का संबंध बीते साल पहली नवंबर को किश्तवाड़ में हुई भाजपा नेता अनिल परिहार व उनके भाई की हत्या में शामिल आतंकियों से था। यह सभी आतंकी एक ही गुट के हैं। पुलिस ने बीते एक साल के दौरान लगभग आठ से 10 आतंकियों को भी पकड़ा है।

गृहमंत्रालय के निर्देशानुसार एनआइए ने चंद्रकांत शर्मा, जिला उपायुक्त किश्तवाड़ के अंगरक्षक से हथियार छीने जाने और पीडीपी नेता को बंधक बनाए जाने के मामले में तीन अलग अलग एफआइआर दर्ज कर छानबीन शुरु कर दी है। चंद्रकांत शर्मा व उनके अंगरक्षक को इसी साल नौ अप्रैल को आतंकियों ने जिला अस्पताल किश्तवाड़ में मौत के घाट उतारा था। इससे पूर्व आठ मार्च को आतंकियों ने जिला उपायुक्त किश्तवाड़ के अंगरक्षक दिलीप कुमार के घर से ही उसकी सरकारी एसाल्ट राइफल छीनी थी। इसके बाद आतंकियों ने 13 सितंबर को किश्तवाड़ जिला में पीडीपी के जिला प्रधान शेख नासिर के पूरे परिवार को बंधक बनाया और उसके अंगरक्षक से भी एसाल्ट राइफल छीन भाग गए।

संबधित अधिकारियों ने बताया कि इन चारों वारदातों में हिजबुल मुजाहिदीन का एक ही गुट शामिल रहा है। इसलिए एक ही जांच एजेंसी को जांच का जिम्मा सौंपे जाने का फैसला किया गया है। इससे जांच में तेजी आएगी और अपराधियों तक जल्द पहुंचा जा सकेगा। किश्तवाड़ पुलिस को भी इन सभी मामलों की केस डायरी और अब तब पकड़े गए सभी आतंकियों और उनके आेवरग्राउंड वर्करों को एनआइए के हवाले करने के लिए भी कहा गया है। इन मामलों की जारी पुलिस जांच को कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रभावित किए जाने की आशंका भी थी, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री जीएम सरुरी के भाई के खिलाफ भी पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर रखी है।


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