Terror Funding: टेरर फंडिंग मामले की यासीन सहित अन्य लगाववादी नेताआें की 13 मार्च को होगी सुनवाई
टेरर फंडिंग 2017 के मामले में एनआइए द्वारा दायर आरोप पत्र में अन्य कश्मीरी अलगाववादियों आसिया अंद्राबी शब्बीर शाह मसरत आलम भट्ट के नाम भी आरोपियों के रूप में हैं।
जम्मू, जेएनएन। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किए गए कश्मीरी अलगाववादियों यासीन मलिक, मसरत आलम, असिया अंद्राबी, शब्बीर शाह और पूर्व विधायक रशीद इंजीनियर के खिलाफ 13 मार्च को सुनवाई करेगी।
अलगाववादी यासीन मलिक को साल 2017 के आतंकी फंडिंग मामले के सिलसिले में एनआइए ने हिरासत में लिया है। सूत्रों का कहना है कि छापेमारी के दौरान एनआइए की टीम को अलगाववादी नेता यासीन मलिक के घर से एक डिजिटल डायरी मिली थी जिसमे आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा से पैसे लेने का जिक्र था। यही नहीं यासीन के हॉटमेल की आइडी से कई ऐसे मेल भी मिले थे जिससे यह साफ जाहिर होता है कि यासीन मलिक लश्कर और तहरीक-उल-मुजाहिद्दीन के सम्पर्क में भी था। इसी टेरर फंडिंग 2017 के मामले में एनआइए द्वारा दायर आरोप पत्र में अन्य कश्मीरी अलगाववादियों आसिया अंद्राबी, शब्बीर शाह, मसरत आलम भट्ट के नाम भी आरोपियों के रूप में हैं।
आपको बता दें कि जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज सईद है। जो वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड है। एनआइए ने जब इस कड़ी पर जाचं शुरू की तो अलगाववादी नेताओं के अलावा पूर्व विधायक इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद का भी नाम भी टेरर फंडिंग के आरोपियों की सूची में शामिल हो गया। एनआइए ने गत वर्ष अगस्त में उत्तरी कश्मीर के लंगेट के पूर्व विधायक शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद को गिरफ्तार किया था।
रशीद मुख्यधारा के राजनीतिक दलों से जुड़े पहले नेता हैं, जिन्हे एनआइए ने गिरफ्तार किया है। सूत्रों ने बताया कि आतंकियों तथा अलगाववादियों को धन की आपूर्ति किए जाने के मामले में गिरफ्तार कारोबारी जहूर वटाली ने भी पूछताछ के दौरान रशीद का नाम लिया था।
अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी के खिलाफ भी एनआइए ने काफी सबूत जुटा लिए हैं। कश्मीर यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक अंद्राबी चार साल पहले पाकिस्तानी झंडा फहराने और पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाने के कारण सुर्खियों में आई थी। यासीन मलिक के खिलाफ जांच कर रही एनआइए के सामने आसिया का नाम आया। जांच में यह खुलासा हुआ कि अंद्राबी पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी के जरिये लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के करीब आई। वह अधिकारी और कोई नहीं अंद्राबी का भतीजा है, जो पाकिस्तान सेना में कैप्टन रैंक का अधिकारी है। यही नहीं उसके पाकिस्तान में कुछ अन्य रिश्तेदार भी हैं जो पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ के संपर्क में है। जहां तक टेरर फंडिंग की बात है तो अंद्राबी ने इसमें दुबई और सऊदी अरब में रहने वाले अपने रिश्तेदारों की मदद ली। उन्हीं के जरिए वह पाकिस्तान से फंड प्राप्त करती थी और वह पैसा भारत के खिलाफ गतिविधियों में इस्तेमाल करती थी।