Terror Funding Case: इंटरनेट प्रोटोकोल डिटेल रिकॉर्ड से लगेगा वहीद पारा के सीमा पार संबंधों का पता
पारा के घर से बरामद उसके मोबाइल फोन व अन्य उपकरणों को जांच के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों के पास भेजा गया है । इनका आंकलन करने के बाद यह पुष्टि होगी कि पारा किन देश विरोधी किन लोगों के साथ संपर्क में थे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू कश्मीर पुलिस गिरफ्तार किए गए पीडीपी के युवा इकाई के प्रधान वहीद उर रहमान पारा के देश विरोधी तत्वों से संबंधों का खुलासा इंटरनेट प्रोटोकोल डिटेल रिकॉर्ड के आंकलन से होगा।
इस समय मामले की तह तक पहुंचने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस पारा के मोबाइल फोन से की गई काल व भेजे गए संदेश आदि का लेखा जोखा जुटा कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह किन लोगों के संपर्क में था। इंटरनेट प्रोटोकोल डिटेल रिकॉर्ड तकनीक टूजी में भी बेहतर काम करती है। पुलिस ने पारा को देशविरोधी तत्वों व अलगाववादियों के संपर्क में होने के मामले में पकड़ा है।
जम्मू कश्मीर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पारा का सारा काल डाटा रिकॉर्ड का आंकलन किया जा रहा है। इस दौरान कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस ने यह खुलासा किया था कि काल डाटा की नई तकनीक से जांच की जा रहा है।
पुलिस ने श्रीनगर में एनआईए स्पेशल कोर्ट को यह जानकारी दी थी कि पारा के घर से बरामद उसके मोबाइल फोन व अन्य उपकरणों को जांच के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों के पास भेजा गया है । इनका आंकलन करने के बाद यह पुष्टि होगी कि पारा किन देश विरोधी किन लोगों के साथ संपर्क में थे।
आपको बता दें जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा विंग के नेता वहीद-उर-रहमान पारा पर कथित तौर पर 2019 में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन को हथियार खरीदने के लिए 10 रूपये देने का आरोप है। एनआइए ने अपनी जांच में यह भी बताया है कि पारा ने आतंकी संगठन को यह राशि इस शर्त के साथ दी थी कि संगठन का कोई भी आतंकी लोकसभा चुनाव में पीडीपी नेता व कार्यकर्ता को निशाना नहीं बनेगा। यही नहीं चुनाव जीतने में उनकी मदद भी करेगा।
पारा ने हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन तक यह राशि निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह के जरिए पहुंचाई थी। डीएसपी उस समय श्रीनगर एयरपोर्ट पर तैनात था। जिला विकास परिषद का चुनाव जीतने वाले पारा इस समय एनआइए की हिरासत में है। एनआइए ने अपनी जांच में यह भी बताया है कि फरवरी 2019 में जब नावेद बाबू और एडवोकेट इरफान शफी मीर कथित तौर पर दविंदर सिंह के ठिकानें पर रह रहे थे, तो मीर ने ही हिजबुल की मदद के लिए पारा से कहा था। पारा और मीर काफी सालों से एक दूसरे को जानते थे।