Kashmir Terroist: तालिबान से चलता है कश्मीर सुलगाने का खेल, एनआइए के हाथ पुलवामा हमले की जांच में मिलीं पुख्ता जानकारियां
कश्मीर में सक्रिय प्रमुख कई कमांडर अफगानिस्तान में ले चुके हैं ट्रेनिंग कई अभी भी मौजूद आइएसआइ आतंकी संगठनों को अपनी अनाधिकृत फौज की तरह इस्तेमाल कर रही
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पुलवामा हमले की साजिश की परतें खुलने के साथ एक बार फिर जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा व तालिबान की साठगांठ सामने आ चुकी है। इस खेल का असली मास्टर माइंड पाकिस्तान कश्मीर सुलगाने के लिए तालिबान और अल कायदा का भी सहारा ले रहा है। आइएसआइ आतंकी संगठनों को अपनी अनाधिकृत फौज की तरह इस्तेमाल कर रही है। वह आतंकियों और उनके ओवरग्राउंड वर्करों का इस्तेमाल भारतीय सेना के प्रतिष्ठानों व सुरक्षाबलों की आवाजाही का पता लगाने के लिए करती है।
एनआइए के आरोप पत्र बताते हैं कि कश्मीर में सक्रिय कई आतंकी कमांडर अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ले चुके हैं। इस समय अफगानिस्तान में कैंपों में कई कश्मीरी आतंकी मौजूद हैं। पुलवामा हमले के मुख्य आरोपित मोहम्मद उमर फारूक कश्मीर आने से पहले अफगानिस्तान में अल कायदा के कैंप में रहा था। कश्मीर में सक्रिय अन्य जैश का पाक कमांडर इस्माइल अफगानिस्तान में अल-कायदा और तालिबान के ट्रेनिंग कैंपों में दो साल बिता चुका है। उमर पुलवामा हमले के कुछ दिन बाद अन्य साथी कामरान संग मारा गया था।
एनआइए के आरोपपत्र में बताया कि जैश के सरगना अजहर मसूद ने भतीजे उमर को कश्मीर भेजने से पहले अफगानिस्तान में अल कायदा के हेल्मंड कैंप में ट्रेनिंग के लिए 2017 को भेजा था। आरोपपत्र में एनआइए ने उमर की अल कायदा व तालिबान के कैंप में ली वह तस्वीर अदालत को सौंपी है जिसमें वह संबंधी अम्मार अल्वी और अन्य आतंकी के साथ है। स्वचालित राइफल के साथ उमर की तस्वीर अल कायदा व तालिबान के कैंप की है। उसके मोबाइल फोन के डाटा में तालिबान व अल कायदा के ट्रेनिंग कैंपों का वीडियो भी मिला है।
सूत्रों ने बताया कि पुलवामा हमले की साजिश हल करते हुए एनआइए के हाथ कई ऐसे सुुबूत लगे हैं जिससे साफ होता है कि जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में जैश, अल कायदा और तालिबान काम कर रहे हैं। इनकी आइएसआइ हर संभव मदद कर रही है। इस समय अफगानिस्तान के मुहम्मद दारा, दूर बाबा व शहरदर में तालिबान व अल-कायदा के कैंपों में जैश के 800 आतंकी मौजूद हैं। इनमें कुछ कश्मीरी मूल हैं।
सूत्रों ने बताया कि आइएसआइ कश्मीर में आतंकी हिंसा के लिए किस तरह नेटवर्क जिहादी संगठनों को उपलब्ध कराती है ये सभी जानकारियां जमा की हैं। उमर समेत जैश के कई आतंकी कमांडरों ने घुसपैठ के लिए सांबा का रास्ता चुना है। सभी आतंकी सांबा पार शक्करगढ़ में आइएसआइ द्वारा संचालित लांचिंग पैड से निकले थे।
अल-कायदा और आइएसआइ में अंतर नहीं :
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ अशकूर वानी ने कहा कि कश्मीर में आतंकी संगठनों का संरक्षक पाक ही है। अल-कायदा व आइएसआइ में ज्यादा अंतर नहीं है। आइएसआइ इस्लाम के नाम पर हिंसा फैलाकर पाक का दबदबा बनाना चाहती है।