एनजीटी के प्रतिबंध को ठेंगा, शहर में जलाया जा रहा कचरा
जागरण संवाददाता ऊधमपुर खुले में कचरा जलाने से वायु प्रदूषण होता है। कचरे के जलने से नि
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : खुले में कचरा जलाने से वायु प्रदूषण होता है। कचरे के जलने से निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों के हवा में मिलने से सांस लेने वाली हवा इस कद्र प्रदूषित हो जाती है कि वह सिर्फ इंसानो के लिए ही नहीं बल्कि पशु और पक्षियों के लिए भी खतरनाक है। पर्यावरण को होने वाले इस नुकसान को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खुले में कचरा जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इस प्रतिबंध का असर ऊधमपुर में आज तक देखने को नहीं मिला। यहां इस प्रतिबंध की खुलेआम धज्जियां उड़ती नजर आती है।
डंपिंग स्टेशनों से लेकर शहरभर में लगे कूड़ेदानों में कचरा जलाया जाता है। इन जगहों पर सुबह, दोपहर यहां तक रात को भी कचरा जलता नजर आज जाता है। खुले में कचरा जलाने के प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू करना नगर परिषद की जिम्मेदारी है, लेकिन आज तक नगर परिषद ऊधमपुर इस जिम्मेदारी को निभाने में विफल रही है। इतना ही नहीं, नगर परिषद के सफाई कर्मचारी खुद ही जगह जगह पर कचरे को आग के हवाले कर देते हैं, जबकि नगर परिषद की जिम्मेदारी शहर में खुले में कचरे को जलाने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने की है। मगर नगर परिषद खुले में जलाए जाने वाले कचरे पर रोक लगा पाने में असमर्थ रही है।
अंबियार में कचरा डंपिंग साइट पर भी जलाया जाता है कचरा शहर के अंदर जगह-जगह पर तो कचरा जलाया ही जाता है, लेकिन शहर के बाहर जहां पर कचरा फेंकने के लिए डंपिंग साइट बनाई गई है। वहां पर भी बड़े पैमाने पर कचरे को जलाया जाता है। हाईवे किनारे कचरा जलाने से कई बार हाईवे पर इतना ज्यादा धुआं हो जाता है कि वाहन चालकों को वाहन चलाने में भी परेशानी होती है। इस बात का संज्ञान एनजीटी के जज खुद ऊधमपुर दौरे के दौरान ले चुके हैं। उन्होंने पीसीबी से कचरा जलाने को लेकर अपनी रिपोर्ट भी सौंपने को कहा था। पीसीबी अपनी विडियोग्राफी और फोटोग्राफी सहित अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है, लेकिन अभी तक खुले में जलने वाले कचरे पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा सके हैं।
आग लगाने पर कचरे से निकलते हैं विषैले कण : पीसीबी पीसीबी अधिकारियों के मुताबिक पार्टीकुलेट कण जो विषैले कण होते हैं जिनका आकार इतना सूक्ष्म होता है कि वह सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों को नुकसान पहुंचने में सक्षम है। कचरे में प्लास्टिक की बोतलों, इलेक्ट्रॉनिक सहित केमिकल यूक्त चीजों सहित सभी प्रकार की चीजें होती है। इनके जलने से कार्बन डाईआक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसे निकलती है। यह हवा को जहरीला बना कर लोगों को सांस के साथ कई प्रकार के रोगों का शिकार बनाती है। इस वजह से एनजीटी ने खुले में कचरे को जलाने को प्रतिबंधि किया है। कचरा जलाना पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह कचरा जलाना पर्यावरण के लिए बेहद नुकसान दायक है। इससे कार्बन मोनोऑक्साइड व कार्बन डाईऑक्साइड सहित अन्य कई विषैली गैसें उत्सर्जित होकर वायुमंडल में मिल कर उसे प्रदूषित व विषैला बनाती है। यह धुआं इंसानों के साथ जीव जंतुओं के लिए भी नुकसानदायक है। खुले में कचरा जलाने को लेकर पीसीबी कई बार नगर परिषद को चेतावनी देने के साथ उच्चाधिकारियों को भी इस स्थिति से अवगत कास चुकी है। पीसीबी के उच्चाधिकारियों ने भी नगर परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को इस लापरवाही के लिए केस करने के लिए लिखा है। मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। एक माह पहले खुले में कचरा जलाने पर रिपोर्ट मांगी गई थी। विडियो और फोटो सहित यह सौंप दी गई है। मगर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
नप के दफ्तर में जलाया गया था कचरा : टीएस चिब टीएस चिब, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी टीएस चिब ने कहा कि जिस नगर परिषद पर खुले में कचरा जलाने पर रोक लगाने की जिम्मेदारी है। उसके अपने ही दफ्तर परिसर में पड़े लोहे के बड़े कूड़े दान में कचरा जलाया गया था। यह कचरा तब जलाया गया, जब बैंक्वेट हॉल के अंदर शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था। इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए डीसी ऊधमपुर रविंद्र कुमार के अलावा सभी पार्षद और जिला पुलिस के अधिकारी भी आए थे। जिस जगह पर उनके वाहन खड़े थे। उससे थोड़ी दूरी पर परिसर में पड़े कूड़ेदान से लगातार धुआं उठ रहा था। मगर किसी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, या फिर ध्यान देना नहीं चाहा। शायद रोजमर्रा की बात होने की वजह से उन्होंने इसे देख कर अनदेखा कर दिया हो।
सुबूत के अभाव में नहीं होती कार्रवाई : सीईओ नगर परिषद ऊधमपुर के सीईओ संतोष कोतवाल ने कहा कि ऊधमपुर शहर से रोजाना तकरीबन 35 क्यूबिक टन कचरा निकलता है। सारा कचरा उठा कर साफ किया जाता है। उन्होंने कहा कि नगर परिषद ने सेनेटरी इंस्पेक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह सफाई कर्मचारियों को हिदायत दें कि कचरे को खुले में न जलाएं। निजी कंपनी लोगों के घरों से कचरा एकत्रित करती है। कचरे में आग कौन लगाता है, इसके सुबूत न होने की वजह से नगर परिषद कार्रवाई नहीं कर पा रही है। लोगों को खुले में कचरा न जलाने के लिए लगातार जागरूक किया जाता है। उन्होंने कहा कि हर समय शहर में हर कूड़ेदान और डंपिंग साइट पर नजर रख पाना नगर परिषद के कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है। लोगों को भी इस पर रोक लगाने के लिए आगे आना होगा, कचरा जलाने वाले आम लोगों और सफाई कर्मचारियों की कचरा जलाते हुए तस्वीरें खींच कर नगर परिषद को उपलब्ध कराएं। सुबूत मिलने पर कचरा जलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। खुले में कचरा न जले, यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।