जम्मू कश्मीर में जल्द लागू होंगे शिक्षा अधिकार कानून के नए नियम, NCERT की तर्ज पर बनेगा SCERT
सात नए मॉडल सेकेंडरी स्कूल और अतिरिक्त क्लास रूम बनाए जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में 38 ह जार रहबर-ए-तालीम अध्यापकाें को स्थायी किया गया है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में केंद्रीय शिक्षा अधिकार कानून 2009 काे अपना लिया गया है। जम्मू कश्मीर में गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए शिक्षा अधिकार कानून के तहत नियम तैयार किए जा रहे है। गुणवत्ता वाली शिक्षा और शिक्षा के बुनियादी ढांचे काे मजबूत करने में मदद मिलेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव असगर सेमून ने कहा कि जम्मू कश्मीर में एनसीइआरटी (NCERT) की तर्ज पर स्टेट काउंसिल फार एजूकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) की स्थापना की जाएगी। इसमें जम्मू कश्मीर के दो स्टेट इंस्टीट्यूट आफ एजूकेशन और 20 डिस्ट्रिक इंस्टीट्यूट आफ एजूकेशन एंड ट्रेनिंग को मिला दिया जाएगा। हम लगातार शिक्षा में व्यापक सुधार की तरफ बढ़ रहे है।
जम्मू कश्मीर के हाई स्कूलों में 2500 कंप्यूटर लैब बनाई जा रही है जिसमें एक हजार लैब जल्द पूरी होने वाली हैं। एलीमेंटरी शिक्षा में 1100 कंप्यूटर सिखाने वाले सेंटर खोले जाएंगे। कोशिश की जा रही है कि सभी सरकारी स्कूलों में पीने वाली पानी और बिजली काे उपलब्ध करवाना सुनिश्चित बनाया जाए। दूरदराज और ग्रामीण इलाकाें में लड़कियाें की शिक्षा को बढ़ावा देकर ड्राप आउट कम किया जा रहा है। इसके लिए 88 कस्तूरबा गांधाी बालिका स्कूल खोले गए है और 15400 छात्राओं के लिए 88 हॉस्टल भी तैयार किए गए हैं।
सात नए मॉडल सेकेंडरी स्कूल और अतिरिक्त क्लास रूम बनाए जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में 38 ह जार रहबर-ए-तालीम अध्यापकाें को स्थायी किया गया है। निशिता कार्यक्रम के तहत जम्मू कश्मीर के 86 हजार अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जम्मू कश्मीर के 23 हजार सरकारी स्कूलों में 15 लाख बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।कोरेाना से उपजे हालात के बीच भी बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया गया और जम्मू कश्मीर में 8.2 लाख बच्चों के घरों तक मिड डे मील योजना का राशन पहुंचाया गया। तीन लाख बच्चों के घरों तक स्टडी मैटेरियल पहुंचाया गया।
ऑनलाइन शिक्षा के जरिए और सामुदायिक शिक्षा से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। बारह लाख स्कूल हेल्थ कार्ड वितरित किए जा रहे हैं। जिन क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वहां के करीब दो लाख बच्चों को स्थानीय अध्यापक सामुदायिक शिक्षा दे रहे है।