India China Border Issue : लद्दाखियों का हौंसला, सेना की ताकत बढ़ा रही दूरदराज इलाकों में नई सड़कें
India China Border Issue क घाटी में बेहतर सड़क संपर्क के लिए हनुथांग-हंदनब्रोक-जुंगपाल-तुरतुक तक 26.6 किलोमीटर सड़क बन रही है। यह सड़क बनने से लेह से तुरतुक तक का सफर नौ घंटे से कम होकर 3.5 घंटे रह जाएगा।
जम्मू्, विवेक सिंह : सामरिक दृष्टि से महत्वूपर्ण पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट तेजी से बन रही सड़कें दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों व पर्यटकों के लिए सुविधा के साथ सेना की ताकत बढ़ा रही हैं।
लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने और पूर्वी लद्दाख के गलवन में चीन की सेना के साथ खूनी संघर्ष के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बुनियादी ढांचे को लगातार मजबूत किया जा रहा है। नई सड़कों से न सिर्फ पर्यटक दूरदराज के इलाकों में खुशहाली का सबब बनेंगे बल्कि खून जमाने वाली सर्दी में दुश्मन के सामने खड़ी सेना का साजो सामान भी जल्द मोर्चे तक पहुंचेगा।
नवंबर की ठंड में चुनौतीपूर्ण हालात के बीच विश्व प्रसिद्ध पैंगांग झील के पास स्पांगमिक से कास्केत इलाके तक 11.41 करोड़ रुपये की लागत से 28 किलोमीटर सड़क का निमार्ण किया गया है। अभी करीब 11 किलोमीटर सड़क बनाना बाकी है।
बेहतर सड़कें क्षेत्र के लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ाने के साथ आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाएंगी। वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में इस समय दोगुनी गति से विकास हो रहा है। एक ओर सीमा सड़क संगठन सैन्य दृष्टि से अहम इलाकों में सड़क संपर्क बेहतर बना रहा है, तो दूसरी ओर लद्दाख प्रशासन प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से दूरदराज इलाकों की कायाकल्प करने की राह पर है।
255 किलोमीटर सड़क व 45 पुल बनाने का काम जारी : लद्दाख विजन-2050 के तहत प्रदेश के दूरदराज इलाकों में मौजूदा वर्ष में करीब 130 किलोमीटर सड़क का निमार्ण किया जा चुका है। लद्दाख के प्रशासनिक सचिव अजीत साहु ने बताया कि दूरदराज इलाकों में बनी सड़कों पर अब तक 121 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। वास्तविक नियंत्रण रेख पर बन रहे पांच सड़कों के प्रोजेक्टों से 255 किलोमीटर सड़क बनाने का काम जारी है। इसके साथ 45 पुल बनाने का काम चल रहा है। ये पुल वर्ष 2022 में पूरा होंगे।
ये बन रही हैं नई सड़कें : श्योक घाटी में बेहतर सड़क संपर्क के लिए हनुथांग-हंदनब्रोक-जुंगपाल-तुरतुक तक 26.6 किलोमीटर सड़क बन रही है। यह सड़क बनने से लेह से तुरतुक तक का सफर नौ घंटे से कम होकर 3.5 घंटे रह जाएगा। इसके साथ खल्तसी से बटालिक तक 78 किलोमीटर, कारगिल से दुमगिल तक 50 किलोमीटर व खालसर से श्योकविया तक 70 व तांग्तसे से लुकंग तक 31 किलोमीटर सड़क शामिल है। इन सड़कों के बनने से हुंदर, तुरतुक, श्योक, पैंगांग त्सो, दाह, गारकोन व दारचिक गांवों के लोगों को लाभ होगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन से लगते इलाकों में पिछले एक साल में सीमा सड़क संगठन की ओर से बनाई गई करीब 1200 किलोमीटर सड़कों में से अधिकतर लद्दाख में बनी हैं।
हर साल हजारों पर्यटक आते हैं पैंगांग झील को निहारने : लेह में 134 किलोमीटर लंबी पैंगांग झील का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा भारत में है। पांच झीलों में बंटी पैंगांग झील को लेकर चीन की नीयत ठीक नहीं है। हर साल हजारों पर्यटक पैंगांग झील की खूबसूरती का नजारा लेने के लिए लेह पहुंचते हैं। ऐसे में पर्यटन पर निर्भर लोगों के साथ लेह से पर्यटकों को पैंगांग तक लाने वाले टैक्सी चालकों के लिए भी नई सड़क नई उम्मीदें लाएगी।