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Jammu Kashmir: प्रभावित होने लगा नया अकादमिक सत्र, ऑनलाइन शिक्षा फिर बनी सहारा, छात्र परेशान

ऑफलाइन कक्षाएं लगाने की उम्मीद लगाए विद्यार्थियों को झटका लगा है। अकादमिक सत्र के प्रभावित होने का असर पढ़ाई पर पड़ेगा चाहे ऑनलाइन शिक्षा नियमित तौर पर होती रहे। कई प्राइवेट स्कूल बच्चों को घरों में वर्दियां पहन कर ऑनलाइन कक्षाएं लगाने के लिए कह रहे हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 05:28 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 05:29 PM (IST)
Jammu Kashmir: प्रभावित होने लगा नया अकादमिक सत्र, ऑनलाइन शिक्षा फिर बनी सहारा, छात्र परेशान
कई प्राइवेट स्कूल बच्चों को घरों में वर्दियां पहन कर ऑनलाइन कक्षाएं लगाने के लिए कह रहे हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए जम्मू कश्मीर में शिक्षण संस्थानों को पंद्रह मई 2021 तक बंद किए जाने के बाद विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा ही फिर से सहारा बनी है। अप्रैल में नया अकादमिक सत्र लगने से उम्मीद बंधी थी कि नया सत्र इस बार ऑफलाइन ही लगेगा लेकिन कोरोना से हालात लगातार बिगड़ने के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को 15 मई तक बंद रखने के आदेश दिए है। जिस तरह से कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, उससे यह संभावना बनी है कि शिक्षण संस्थान आगे भी कुछ समय के लिए बंद रहेंगे। इस बार नया अकादमिक सत्र भी आन लाइन शिक्षा के साथ शुरू हो गया है।

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ऑफलाइन कक्षाएं लगाने की उम्मीद लगाए विद्यार्थियों को झटका लगा है। अकादमिक सत्र के प्रभावित होने का असर पढ़ाई पर पड़ेगा, चाहे ऑनलाइन शिक्षा नियमित तौर पर होती रहे। हालत यह हो गई है कि कई प्राइवेट स्कूल बच्चों को घरों में वर्दियां पहन कर ऑनलाइन कक्षाएं लगाने के लिए कह रहे हैं। कॉलेजों में नया अकादमिक सत्र अभी लगा नहीं है जबकि जम्मू विश्वविद्यालय में पिछले साल 2020 का अकादमिक सत्र इस साल गत मार्च में लगा था। कोचिंग व ट्यूशन सेंटर भी बंद किए जा चुके है। अब बच्चों को जो भी पढ़ाई करनी है, वो घर पर ही करनी पड़ेगी।

जम्मू विश्वविद्यालय के बाटनी विभाग के प्रो. यशपाल शर्मा का कहना है कि सरकार ने तो बच्चों की सुरक्षा के लिए ही शिक्षण संस्थानों को बंद किया है मगर ऑनलाइन शिक्षा कभी भी क्लास रूम शिक्षा का स्थान नहीं ले सकती है। इसमें कोई शक नहीं है कि बच्चों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है। ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई को बेहतर ढंग से समझा नहीं जा सकता लेकिन इसके सिवाए कोई चारा नहीं है। शिक्षाविद्ध प्रो. देश बंधु का कहना है कि जो पढ़ाई क्लास रूम में अध्यापक के सामने रूबरू होकर हो सकती है, वो ऑनलाइन नहीं हो सकती। भले ही सूचना तकनीक के युग में ऑनलाइन शिक्षा से सत्र चलाए जा रहे है मगर विद्यार्थियों का मनोबल तो गिरा ही है। कोरोना से विद्यार्थियों की सुरक्षा जरूरी है। यह सिलसिला कितनी देर तक चलेगा, कहा नहीं जा सकता। बताते चले कि जम्मू कश्मीर में 24 हजार से अधिक स्कूल, 200 के करीब डिग्री कॉलेज, 130 बीएड कालेज और 11 विश्वविद्यालय है जो इस समय बंद है।

सामुदायिक शिक्षा भी इस साल नजर नहीं आ रही पिछले साल कोरोना के कारण जब शिक्षण संस्थान बंद थे तो ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में सामुदायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया गया था। शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव असगर सेमून ने सामुदायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया था और करीब चार लाख विद्यार्थियों को सामुदायिक शिक्षा दी गई थी। इसमें कई अध्यापक स्वयं ही सामने आए थे। कई पढ़े लिखे लोग भी उत्साह के साथ बच्चों को शिक्षा देने के लिए आए थे। खुले में बैठ कर शारीरिक दूरी का पालन सुनिश्चित बनाते हुए बच्चों को पढ़ाया गया।


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