World Hindi Day: विश्व हिन्दी दिवस पर नहीं रहीं हिन्दी साहित्य को समर्पित नीरू शर्मा
जम्मू की वरिष्ठ साहित्यकार नीरू शर्मा विश्व हिन्दी दिवस पर जम्मू के साहित्य जगत में एक बड़ा शून्य पैदा कर हम सबको छोड़कर चली गई हैं। नीरू शर्मा का रविवार सुबह तीन बजे नारायणा अस्पताल कटड़ा में देहांत हो गया। वह 62 वर्ष की थी।
जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू की वरिष्ठ साहित्यकार नीरू शर्मा विश्व हिन्दी दिवस पर जम्मू के साहित्य जगत में एक बड़ा शून्य पैदा कर, हम सबको छोड़कर चली गई हैं। नीरू शर्मा का रविवार सुबह तीन बजे नारायणा अस्पताल कटड़ा में देहांत हो गया। वह 62 वर्ष की थी। उनके दो बेटे हैं। उनके निधन से साहित्य, कला जगत में शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर लगभग सभी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक ग्रुपों में उनके देहांत पर शोक ही व्यक्त किया जा रहा है। हर कोई उनसे जुड़ी अपनी यादें साझा कर रहा है। आज हर आंख उनके लिए नम है।
कई युवाओं को लिखने के लिए प्रेरित किया
नीरू शर्मा एक साहित्यकार के साथ साहित्य की प्रचारक थी। उन्होंने कई युवाओं को लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्हें लिखने का मौका दिया। इसी कारण उन्हें बहुत से युवा साहित्यकार गुरू जी, नीरू दीदी, बड़ी बहन कहकर संबोधित करते थे। नीरू शर्मा की कहानियों में मानवी संवेदना की झलक मिलती ही थी। वह जीवन में भी एक सरल व्यक्तित्व थी। एक ऐसा कंधा, यहां कई लोग सिर रख कर रो लिया करते थे। जो भी उनसे बात करता, उसे लगता मानों अपनी बड़ी बहन से दुख दर्द साझा कर रहा हों। जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी से मुख्य संपादक के पद से सेवानिवृत हुई नीरू शर्मा अपने क्षेत्र के झुग्गी झोंपड़ी के बच्चों से साहित्य रचने का जिम्मा लिया। चुपचाप उनकी पढ़ाई का खर्च करती रही। उन्हें लिखने के लिए प्रेरित करती रही। अपने इन प्यारे बच्चों को गई गोष्ठियों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित किया।वह जम्मू-कश्मीर राष्ट्र भाषा प्रचार समिति की अध्यक्ष रही। अपने नेतृत्व में कई कार्यक्रमों का आयोजन करवाया।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने कहानी संग्रह 'पगडंडी' के लिए उन्हें बेस्ट बुक ¨हिंदीतर भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार से सम्मानित किया।'पगडंडी' 12 कहानियों का संग्रह है। इस कहानी संग्रह में जम्मू-कश्मीर की स्थानीय समस्याओं, सामाजिक रीति रिवाजों का क्रमानुसार निरूपण किया है ताकि इन्हें सहेजा जा सके। जीवन की सूक्ष्म अनुभूतियों में होने वाली संवेदनाओं का जिनका क्षेत्र बड़ा विशाल है, उभारने का प्रयत्न किया है।
नीरू शर्मा जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी से मुख्य संपादक के पद से सेवानिवृत्त हैं। डोगरी शब्दकोष, डोगरी हिंदी शब्दकोष, हिंदी-डोगरी शब्दकोष, हिंदी-डोगरी शब्दकोष, अंग्रेजी-डोगरी शब्दकोष, अंग्रेजी-डोगरी शब्दकोष में काम कर चुकी हैं। हमारा साहित्य, शिराजा का संपादन कर चुकी हैं। उनकी दर्जनभर पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। साहित्यिक एवं समाजिक सेवाओं के लिए उन्हें कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं।
सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया
नीरू शर्मा के आकस्मिक निधन पर सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया। डोगरी संस्था की उपाध्यक्ष प्रो. वीणा गुप्ता ने कहा कि दुख हो रहा है कि एक सुलझी हुई शख्सियत वाली डोगरी, हिन्दी लेखिका नीरू शर्मा आज हमारे बीच नहीं हैं। साहित्य में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। राष्ट्र भाषा प्रचार समिति ने अपनी पूर्व अध्यक्ष के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके द्वारा करवाए साहित्यिक कार्यों को याद किया जाएगा। उनके निधन पर शोक व्यक्त कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। डा. अशोक ने अपने शोक संदेश में लिखा ‘बड़ी बेबाकी ते साफगोई ने गल्लां करने आह्ली भैन अज्ज साढे च नेईं ऐ, एह् सुनियै सदमा पुज्जा।’