Jammu : रामनगर में बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने फिर दिए मुआवजे के निर्देश, पढ़ें क्या है पूरा मामला
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आयोग को बताया कि मुआवजे का प्रस्ताव प्रशासनिक काउंसिल के समक्ष रखे जाने के लिए सामान्य प्रशासनिक विभाग के पास विचाराधीन है। ऊधमपुर जिला के रामनगर में घटिया दवाई पीने से बच्चों की मौत के मामले को सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश सी खजूरिया ने उठाया था।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। रामनगर में घाटिया दवाई पीने से बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने फिर से जम्मू कश्मीर सरकार को आदेश दिए हैं कि आठ सप्ताह के भीतर पीड़ित परिवारों को तीन तीन लाख का मुआवजा दिया जाए। आयोग ने 21 सितंबर 2021 की कार्रवाई में जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि पीड़ित परिवारों को दिए जाने वाले मुआवजे की फाइनल रिपोर्ट 26 नवंबर 2021 तक सौंपी जाएं।
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आयोग को बताया कि मुआवजे का प्रस्ताव प्रशासनिक काउंसिल के समक्ष रखे जाने के लिए सामान्य प्रशासनिक विभाग के पास विचाराधीन है। ऊधमपुर जिला के रामनगर में घटिया दवाई पीने से बच्चों की मौत के मामले को सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश सी खजूरिया ने उठाया था। खजूरिया ने याचिका में आरोप लगाया था कि घटिया दवाई पीने से रामनगर में बच्चों की मौतें हुई हैं। दिसंबर 2019 से लेकर जनवरी 2020 के बीच रामनगर में खांसी की घटिया दवाई पीने से बच्चों की मौतें हुई थी।
आयोग ने 7 सितंबर 2020 को अपनी कार्रवाई में कहा था कि जम्मू-कश्मीर का ड्रग विभाग बाजार में घटिया दवाइयों की निगरानी करने में विफल रहा है। आयोग ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि पीड़ित परिवारों को तीन तीन लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और इसकी अनुपालन रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर सौंपी जाए।सरकार ने आयोग के फैसले को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच में मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और सिंधु शर्मा ने आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था। खजूरिया का कहना है कि एक तरफ सरकार यह जताने की कोशिश कर रही है कि वह पीड़ित परिवारों को मुआवजा देगी तो दूसरी तरफ उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष लीव याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों के साथ इंसाफ होना चाहिए।