बैसाखी पर नमंदर मेले में उमड़ी भीड़, भांगड़ा डाला
संवाद सहयोगी, विजयपुर : सांबा जिले के सुंजवां व चक रामचंद क्षेत्र में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से
संवाद सहयोगी, विजयपुर : सांबा जिले के सुंजवां व चक रामचंद क्षेत्र में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित पवित्र देविका एवं वसंत दरिया के संगम स्थल प्राचीन धार्मिक स्थल नमंदर में रविवार को बैसाखी मेले का आयोजन किया गया। मेले में हजारों की संख्या में लोग उमड़े। मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि महंत काशी दास जी ने देवस्थान के महंतों नानक दास व राम चरण के साथ मिलकर किया।
इस मौके पर सरपंच सुखदेव सिंह, सरपंच तारा चंद, सरपंच रीना चौधरी, इलाके के पंचायत प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक व बाबा परिवार के सदस्य भी मुख्य रूप से मौजूद थे। मेले में उमड़ी भीड़ देख लोगों को पिछले जमाने की याद ताजा हो गई। बैसाखी मेले पर लोक संस्कृति की झलक दिखी। जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू के कलाकारों रतन लाल, बोध राज, कृष्ण लाल, राम पाल आदि कलाकारों ने अपनी मधुर एवं जादुई आवाज से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर ऐसा समां बांधा कि मेला देखने आए लोग भी नाचे बिना नहीं रह सके। कलाकारों के ग्रुप व युवाओं ने जब भांगड़ा डालना शुरू किया तो आयोजन स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इससे पूर्व सुबह से ही देवस्थान पर लोगों की भीड़ आनी शुरू हो गई थी। दोपहर तक हजारों लोगों ने मेले में शिरकत की। लोगों ने तीर्थस्थल नमंदर स्थित सदियों पुराने हरि मंदिर, सीता-राम मंदिर में माथा टेका और पूजा-अर्चना कर बाद में मेले का भरपूर लुत्फ उठाया। मेले में बच्चों व लोगों के मनोरंजन के लिए बाजार सजा था। पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे।
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बाबा परिवार के प्रयासों से एक बार फिर नमंदर मेले का सफल आयोजन
विजयपुर : किसी जमाने में प्रमुख तीर्थ स्थल नमंदर के ऐतिहासिक धरोहर की महत्ता को समझकर इसके संरक्षण को आगे आए जिले के लोगों व बाबा परिवार के प्रयास रंग ला रहे हैं। तीर्थस्थल की देखभाल करने वाले बाबा परिवार की मेहनत व प्रयासों और इलाकावासियों के सहयोग से एक बार फिर मंदिर में सफल मेले का आयोजन किया गया। मेले के सफल आयोजन ने आयोजकों का सपना सच कर दिया। मेला देखने आए लोगों में पूर्व सरकारों के खिलाफ रोष व्याप्त है। दर्शन लाल, मोहन लाल, राम पाल, सुभाष, मोहन सिंह ने कहा कि 11 साल पहले 40 साल के बाद नमंदर में मेले का आयोजन शुरू हुआ। राज्य की पूर्व सरकारों ने इसके विकास के लिए कुछ नहीं किया। सिर्फ दावे, घोषणाएं की। उन्हें अमलीजामा नहीं पहनाया गया।