पीडीपी के रुख में बदलाव: अनुच्छेद 370 को छोड़ जमीन-नौकरियों पर हक, राजनीतिज्ञों की रिहाई की मांग उठाई
बेग ने अलगाववादी खेमे की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि कश्मीर मसला तभी हल होगा जब पाकिस्तान यहां बंदूकबाजों को भेजना बंद करते हुए एक सार्थक बातचीत की प्रक्रिया शुरू करे।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में लगातार बदल रहे सियासी हालात के बीच पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी अब अनुच्छेद 370 को नजरअंदाज करना शुरु कर दिया है। उसके लिए अब यह कोई मुद्दा नहीं है। मुद्दा है तो केंद्र शासित जम्मू कश्मीर राज्य में स्थानीय लोगों के जमीन पर मालिकाना हक, प्रदेश स्तर की नौकरियां, जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा और तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत हिरासत में रखे गए मुख्यधारा के सभी राजनीतिक लोगों की रिहाई। अपने इस एजेंडे और मांगों को पूरा कराने के लिए वह टकराव भी नहीं चाहती है। वह इस बात को मानती है कि तहजीब और आग्रह के साथ लोकतांत्रिक तरीके से ही केंद्र सरकार से यह सब प्राप्त करना होगा। पीडीपी के रवैये में इस बदलाव की पुष्टि पूर्व उपमुख्यमंत्री और पार्टी संरक्षक मुजफ्फर हुसैन बेग ने वीरवार को खुद की है।
आज यहां पत्रकारों से बातचीत में मुजफ्फर हुसैन बेग ने अनुच्छेद 370 का दो बार और अनुच्छेद 35ए का एक बार जिक्र किया। इसके अलावा उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 371 का भी एक ही बार जिक्र किया परंतु वह भी नागालैंड, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश में स्थानीय लोगों के अधिकारों के संरक्षण के संदर्भ में। उन्होंने जम्मू कश्मीर की मौजूदा संवैधानिक और राजनीतिक व्यवस्था के लिए पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, अलगाववादी खेमे को भी लताड़ा। उन्होंने कहा कि अगर यह लोग भड़काऊ बयानबाजी न करते तो आज जम्मू कश्मीर दो टुकड़ों में विभाजित न होता।
हमारा राज्य का दर्जा बरकरार रहता। उन्होंने अलगाववादी खेमे की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कश्मीर मसला तभी हल होगा, जब पाकिस्तान यहां बंदूकबाजों को भेजना बंद करते हुए एक सार्थक बातचीत की प्रक्रिया शुरू करे।