कश्मीरियत की जिंदा मिसालः बुजुर्ग कश्मीरी पंडित महिला की अर्थी को मुस्लिम भाइयों ने दिया कंधा
अरश्द नामक एक युवक ने कहा कि जयकिशोरी हमारा हिस्सा थी यहां रहने वाले कश्मीरी पंडित कश्मीरी हैं। वह हमारी तहजीब का हिस्सा हैं। उनकी खुशी-गम हमारा खुशी-गम है।
श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के बांडीपोर में कश्मीरियत एक बार फिर उस समय जिंदा हो उठी, जब एक कश्मीरी पंडित बुजुर्ग महिला की अचानक मौत हो गई। स्थानीय मुस्लिम पड़ोसी तुरंत शोकाकुल परिवार के पास पहुंचे और उन्हें सांत्वना देते हुए दिवंगत के अंतिम दाह संस्कार का बंदोबस्त किया।
यहां मिली जानकारी के अनुसार, जिला बांडीपोर के अजर इलाके में तीन से चार कश्मीरी पंडित परिवार रहते हैं। इन लोगों ने आतंकियों की तमाम धमकियों के बावजूद पलायन नहीं किया था। इन्हीं परिवारों में दीनानाथ बट का परिवार भी शामिल है। मंगलवार की देर रात दीनानाथ की पत्नी जय किशोरी (80) का एक लंबी बीमार के बाद निधन हो गया। जय किशोरी के निधन की खबर मिलते उनके मुस्लिम पड़ोसी तुरंत उसके परिजनों के पास पहुंचे।
उन्होंने शोकाकुल परिवार को सांत्वना दी। इसके साथ ही वादी के अन्य हिस्सों और जम्मू में बसे उनके रिश्तेदारों को सूचित किया। इसके साथ ही मु़स्लिम समुदाय ने दिवंगत के अंतिम दाह संस्कार के लिए आवश्यक प्रबंध किए। उन्होंने दिवंगत की अर्थी को भी कंधा दिया। दीनानाथ के एक रिश्तेदार ने कहा कि हम बुधवार की सुबह ही पहुंचे थे। चारों तरफ बर्फ थी, ऐसे में वहां अंतिम दाह संस्कार का बंदोबस्त करना आसान नहीं था। लेकिन स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी। उन्हें पूरे परिवार को संभाला था।
अरश्द नामक एक युवक ने कहा कि जयकिशोरी हमारा हिस्सा थी, यहां रहने वाले कश्मीरी पंडित कश्मीरी हैं। वह हमारी तहजीब का हिस्सा हैं। उनकी खुशी-गम हमारा खुशी-गम है। हम यहां सभी आपस में भाईयों की तरह रहते हैं, ऐसे में हम जयकिशोरी मौत पर उनके परिवार को कैसे अकेला छोड़ सकते थे। हमने तो सिर्फ अपना फर्ज निभाया है, हमने कश्मीरियत की रिवायत को आगे बढ़ाया है।