Corona Deaths in Jammu: जीएमसी जम्मू में हुई 50% से अधिक कोविड-19 मरीजों की मौत, मरने वालों में पुरुष अधिक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 61 मरीजों के घरों में मरने का एक कारण उन्हें अस्पतालों में इलाज के लिए लाने में परहेज करना है। लोग ऐसे हैं जो कि अस्पतालों में मरीजों को इसीलिए नहीं लाते हैं कि यहां पर इलाज नहीं हैं। परंतु ऐसा नहीं है।
जम्मू, रोहित जंडियाल: जम्मू-कश्मीर में अभी तक साढ़े चौदह सौ से अधिक लोगों की कोविड 19 से माैत हो चुकी हैं। इनमें साढ़े नौ सौ के करीब मौतें कश्मीर में और 487 मौतें जम्मू संभाग में हुई हैं। जममू में कोविड 19 से मरने वालों में कई मरीज अस्थमा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और निमोनिया से पीड़ित थे। मरने वालों की औसत आयु भी पचास साल से अधिक है। यही नहीं जम्मू संभाग में हुई पचास फीसद से अधिक मौतें राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल में हुई हैं।
स्वास्थ्य विभाग तथा नेशनल हेल्थ मिशन विभाग द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार अभी तक जम्मू संभाग में अभी तक 487 मरीजों की मौत हुई है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इनमें से 61 मरीजों की मौत घर में ही हो गई थी। इन मरीजों को जब तक अस्पतालों में लाया गया, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। कुल मौतों में 56 फीसद मौतें मेडिकल कालेज जम्मू में हुई। आंकड़ों के अनुसार आठ फीसद मौतें श्री माता वैष्णो देवी नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल जम्मू में हुई। जबकि तीन फीसद मौतें आचार्य श्री चंद्र मेडिकल कालेज और अस्पताल में हुईं। इसके अलावा अस्पताल के बाहर आठ फीसद मौतें हुईं जबकि केंद्र शासित प्रदेश के अन्यअस्पतालों में 23 फीसद मौतें हुई हैं।
सेना के अस्पताल में एक फीसद मरीजों की मौत हुई। सबसे अधिक मौतें सितंबर महीने में हुई। इस महीने 53 फीसद मौतें हुईं। 27 फीसद मौतें अगस्त महीने में हुईं। इसके अलावा करीब उस से बारह लोग ऐसे थे जिनकी मौत आक्सीजन सप्लाई न होने के कारण हुईं। मरने वालों में 336 पुरुष और 151 महिलाएं थीं। डाक्टरों के अनुसार मरने वालों में अधिकांया की उम्र 58 साल से अधिक थी। हालांकि कुछ युवा भी थे लेकिन इनकी उम्र कम थी।मरने वालों में एक डाक्टर सहित पांच स्वास्थ्य कर्मी हैं जबकि सुरक्षाबलों के पांच जवानों की भी अभी तक जम्मू संभाग में कोविड 19 के कारण मौत हो चुकी है।
अच्छी बात यह है कि अक्टूबर महीने में कोविड 19 से मरने वालों की संख्या में कमी आई। अब जम्मू संभाग में भी कम मौतें हो रही हें। पहले जहां हर दिन आठ से दस मौतें हो रही थी। वहीं अब तीन से चार माैतें ही औसतन हो रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 61 मरीजों के घरों में मरने का एक कारण उन्हें अस्पतालों में इलाज के लिए लाने में परहेज करना है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो कि अस्पतालों में मरीजों को इसीलिए नहीं लाते हैं कि यहां पर इलाज नहीं हैं। परंतु ऐसा नहीं है।
अगर अब भी किसी भी मरीज में आक्सीजन का स्तर कम होता है तो उसे तुरंत अस्पताल में लाना चाहिए। वहीं पचास फीसद से अधिक मौतें जीएमसी में होने का एक प्रमुख कारण सभी गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यही पर लाना है। विशेषज्ञों का कहना है कि गंभीर रूप से बीमार मरीज पूरे जम्मू संभाग से अभी भी इसी अस्पताल में लाए जा रहे हैं।