Jammu: जम्मू में बढ़ रहा कुत्तों का आतंक, शहर में 40 हजार से ज्यादा कुत्ते
कॉरपोरेटर सुच्चा सिंह राजेंद्र शर्मा प्रीतम सिंह का कहना है कि कुत्तों के कारण लोग हमारी जान खा रहे हैं। नसबंदी का ठेका किसी प्राइवेट कंपनी को देकर समाधान करवाना चाहिए।
जम्मू, अंचल सिंह: मंदिरों के शहर जम्मू में कुत्तों का अातंक बढ़ता ही जा रहा है। शाम ढलते ही शहर की गलियों में कुत्तों की टोलियां ऐसे घूम रही होती हैं, मानों लोगों को चेता रही हों कि बाहर निकलना मना है। जम्मू नगर निगम इन पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुआ है।
हालत यह है कि मौजूदा समय में शहर में 40 हजार से ज्यादा कुत्ते घूम रहे हैं। इन कुत्तों को मारा तो नहीं जा सकता है लेकिन नियमों के अनुरूप निगम इनकी नसबंदी जरूर कर सकता है। अफसोस की बात यह है कि जिस गति से फिलहाल निगम की नसबंदी प्रक्रिया चल रही है, वैसे तो बीस वर्षों में भी इनकी आबादी पर नियंत्रण नहीं किया जा सकेगा। मार्च से लेकर अगस्त तक जम्मू नगर निगम करीब 170 कुत्तों की ही नसबंदी कर पाया है। निगम के अनुसार इस समय शहर के 75 वार्डों में 40 हजार के करीब कुत्ते हैं और इनकी रोकथाम नसबंदी से ही संभव है। इसके विपरीत शहर में कुत्तों ने लोगों का जीना हराम कर रखा है। गलियों में इन कुत्तों का कारण निकलना मुश्किल हो जाता है। लोग चाहते हैं कि निगम इन कुत्तों से उन्हें छुटकारा दिलाए।
ज्वलंत समस्या है, स्थायी समाधान हो: शहर के कॉरपोरेटर भी कुत्तों की समस्या के कारण बेहाल हैं। लोग उन्हें शिकायतें करते हैं लेकिन हो कुछ नहीं पाता। कॉरपोरेटर सुच्चा सिंह, राजेंद्र शर्मा, प्रीतम सिंह का कहना है कि कुत्तों के कारण लोग हमारी जान खा रहे हैं। नसबंदी का ठेका किसी प्राइवेट कंपनी को देकर समाधान करवाना चाहिए। जब प्राइवेट कंपनी काम करेगी तो छह-आठ महीनों में समस्या कम हो जाएगी। धीरे-धीरे इनकी आबादी बढ़ना बंद होगी। शाम के समय लोग घरों से बाहर निकलते डरते हैं। गलियों में कुत्तों की टोलियां बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं पर झपट पड़ती हैं। यह एक ज्वलंत समस्या बन गई है।
नसबंदी का निजीकरण हो सकता है उपाय: कुत्तों की बढ़ती संख्या रोकने के लिए निगम के पास इस व्यवस्था का निजीकरण है लेकिन फंड्स के अभाव में निगम इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठा पाया है। वर्ष 2017 में निगम ने नासिक आधारित नंदेद सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल को कुत्तों की नसबंदी व वेक्सिनेशन का ठेका सौंपा दिया। करीब 12 हजार कुत्तों की नसबंदी ही सोसायटी कर पाई थी कि सोसायटी का ठेका रद कर दिया गया। सोसायटी के दस्तावेजों में हेरफेर के चलते मामला सीबीआई में चला गया था। जानकारों का मानना है कि जब तक नसबंदी की प्रक्रिया किसी राष्ट्रीय कंपनी को नहीं दी जाती, यह समस्या खत्म नहीं हो सकती।
क्या कहते हैं अधिकारी: 'सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए कुत्तों की नसबंदी, वेक्सिनेशन कर उन्हें दोबारा उसी स्थान पर छोड़ा जाता है। फिलहाल पशुपालन विभाग के दो डाक्टरों की टीम रूपनगर स्थित एनिमल केयर सेंटर में नसबंदी करती है। अभी तक करीब 14 हजार कुत्तों की नसबंदी, वेक्सिनेशन हुई है। हफ्ता पहले ही दो डाक्टर लगाए गए। कुछ महीने यह पद खाली ही रहे। इस कारण भी नसबंदी आगे नहीं बढ़ी। फिलहाल हम उन्हीं कुत्तों को उठा रहे हैं जो किसी को काट रहे हों या जख्मी हों। लोगों की शिकायत पर यही किया जा पा रहा है। कुत्तों को बाहर नहीं छोड़ सकते। न ही इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कर सकते हैं।' -डॉ. सुशील शर्मा, म्यूनिसिपल वेटनरी आफिसर, जम्मू नगर निगम