DDC Election Jammu Kashmir: आतंक पर भारी विकास की आवाज, अब कश्मीर में लोगों का राज
कश्मीर के विभिन्न जिलों में प्रचार के तीन दिनों में 300 से अधिक छोटी बड़ी रैलियां चुनावी बैठकें हुई। इनमें से करीब दौ सौ प्रदेश भाजपा व पचास के करीब चुनावी कार्यक्रम नवगठित जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी ने आयोजित किए। इसके साथ निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी प्रचार किया।
जम्मू, विवेक सिंह । कश्मीर में ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत बनाने की बुलंद आवाज ने मुट्ठी भर आतंकवादियों, अलगाववादियों के देशविरोधी एजेंडे काे दफन कर दिया। शून्य से पांच डिग्री कम तापमान में जिला विकास परिषद चुनाव के आठ चरणाें में वोट डालने के लिए घरों से निकले लाखों कश्मीरियों ने परिवार राज के खात्मे व लोगों के राज की शुरूआत का शंखनाद कर दिया। केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म किया तो लोकराज कायम करने की मुहिम में कश्मीर के लोग भागीदाार बन गए। बर्फीली ठंड में घरों से बाहर निकाल करीब बारह लाख कश्मीरियों ने विकास की कमान अपने हाथ में लेने के लिए मताधिकार का प्रयोग किया।
30 दिनों में 250 से अधिक चुनावी कार्यक्रम, 12 लाख लोगों ने कड़ी ठंड में डाले वोट
इस बार लोगों का वोट उन्हें दशकों से गुमराह करने वाली ताकतों के खिलाफ था। ऐसे में आतंकवादियों को भी संदेश गया कि अब लोगों उनके खिलाफ हैं।जम्मू कश्मीर में नवंबर माह के दूसरे पखवाड़ में कश्मीर में ठंड बढ़ने के साथ चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई थी। ऐसे में कश्मीर के विभिन्न जिलों में प्रचार के तीन दिनों में 300 से अधिक छोटी, बड़ी रैलियां, चुनावी बैठकें हुई। इनमें से करीब दौ सौ प्रदेश भाजपा व पचास के करीब चुनावी कार्यक्रम नवगठित जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी ने आयोजित किए। इसके साथ निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी प्रचार किया।
वहीं सात दशक तक कश्मीर में राज करने वाली राजनीतिक पार्टियाें ने जमीनी सतह पर प्रचार नही किया।कश्मीर में शून्य से पांच डिग्री कम तापमान में 16 दिसंबर को मतदान के सातवें चरण में चालीस प्रतिशत मतदान हुआ। बांडीपोरा में 70.47 व कुपवाड़ा में 59. 23 प्रतिशत मतदान हुआ। अंतिम चरण के मतदान से दो दिन पहले आतंकवादियों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन की बीज बिहाड़ा रैली को निशाना बनाने के लिए दो ग्रेनेड हमले किए। इससे कुछ घंटे पहले मुठभेड़ में एक आतंकवादी को भी मार गिराया गया। ये ग्रेनेड हमले भी लोगों का उत्साह कम नही कर पाए। उन्नीस दिसंबर को करीब एक लाख मतदाताओं ने कश्मीर में वोट डाले। इस दौरान कुपवाड़ा में करीब 64 प्रतिशत व बांडीपोरा में करीब 57 प्रतिशत मतदान हुआ।जिस कश्मीर में कभी आतंकवादियों, अलगाववादियों की धमकियों के कारण एक प्रतिशत लोग ही हिम्मत जुटा कर वोट डालते थे, अब वहां लाखों का बाहर निकलना आतंकवाद के खात्मे का सबूत इसका सबूत है।
कश्मीर के लोगों ने बेहतर भविष्य के लिए विकास की कमान अपने हाथ ले ली। यह कहना है कश्मीर के करीब एक महीना डेरा डाल कर प्रचार करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शानवाज हुसैन का। उन्होंने जागरण को बताया कि 370 खत्म होने के साथ लोगों के दिलों से भ्रष्ट राजनीतिक दलों, आतंकवादियों व अलगाववादियों का भय निकल गया। ऐसे में परिवारवाद की राजनीतिक करने वाले दल खुद को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।अब कश्मीर में लोग आतंकवाद के खिलाफ हैं। उनकी पूरी कोशिश है कि आम लोगों को निशाना बनाकर हालात खराब करने वाले देशविरोधी तत्व को उनकेे किए की सजा मिले। अब उनके जनाजों में भीड़ नही उमड़ती है।जिस पुलवामा में कभी आतंकवादियों के फरमान पर लोग चुनाव से दूर रहते थे आज वहां विकास की मशाल जलाने के लिए लोग बर्फीली ठंड में जोश दिखाते हैं। पुलवामा में आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी का ददसारा गांव आज आतंकवाद मुक्त है। इस गांव से बंदूक उठाने वाले सभी 49 आतंकवादी मारे गए हैं। इस ब्लाक से चुनाव लड़ने वाले अल्ताफ ठाकुर का कहना है कि कश्मीर के लोग भय के माहौल को छोड़ , विकास के दौरे में सुकून भरी जिंदगी जीना चाहते हैं। इसी लिए वे कड़ी ठंड में डालने बाहर आ गए।-
छिप रहे एजेंडे की राजनीति करने वाले दल
कश्मीर में अटानमी, सेल्फ रूल जैसे एजेंडे लेकर चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दल जिला विकास परिषद चुनाव में लोगों के बीच जाने की हिम्मत नही जुटा पाए। इन दलों ने भविष्य बचाने के लिए समझौता कर पीपुल्स अलायंस फार गुपकार एजेंडा के बैनर तले चुनाव तो लड़ा पर मैदान में नही गए। ऐसे में कश्मीर में इन दलों के उम्मीदवारों के पोस्टरों में भी बड़े बड़े नेताओं के फोटो नदारद रहे। इन दलों ने पंचायतों के दो चरणों का बहिष्कार किया लेकिन अब खुद को सियासत में जिंदा रखने के लिए वे एकजुट होकर मैदान में आए लेकिन लोगों से दूर रहे।
इस वर्ष मारे गए 224 आतंकवादी
जम्मू कश्मीर में स्थायी शांति कायम करने की मुहिम के तहत जारी वर्ष में अब तक 224 आतंकवादी मारे गए हैं। पिछले साल प्रदेश में मारे गए आतंकवादियों की संख्या 163 थी। कश्मीर में मतदान की प्रक्रिया के चलते भी सेना , सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। कश्मीर में आतंकवादियों पर भारी दवाब बनाकर चुनाव को सुरक्षित बनाया गया। ऐसे में आतंकवादी ग्रेनेड दाग, सुरक्षा कर्मियों पर गोलियां चला भागते नजर आए।