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National Family Health Survey: जानिए क्‍यों जम्‍मू-कश्‍मीर के बच्‍चे हो रहे एनीमिया के शिकार, इन राज्‍यों से भी हैं पीछे, लद्दाख की हालत सबसे बदतर

जम्मू कश्मीर में बिहार और बंगाल की तुलना में ज्‍यादा बच्‍चे एनीमिया (रक्‍त अल्‍पता) के शिकार हैं। हीमोग्‍लाेबिन के मामले में लद्दाख की स्थिति सबसे बदतर है और 896 फीसद के साथ यह दर देश में सबसे अधिक है। केरल और मणिपुर के बच्‍चे सबसे बेहतर स्थिति में हैं।

By VikasEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 01:11 PM (IST)
National Family Health Survey: जानिए क्‍यों जम्‍मू-कश्‍मीर के बच्‍चे हो रहे एनीमिया के शिकार, इन राज्‍यों से भी हैं पीछे, लद्दाख की हालत सबसे बदतर
जम्‍मू कश्‍मीर में बिहार और बंगाल की तुलना में ज्‍यादा बच्‍चे एनीमिया (रक्‍त अल्‍पता) के शिकार हैं।

रोहित जंडियाल, जम्मू । स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में जम्मू कश्मीर भले ही कई राज्यों से बेहतर स्थिति में है, लेकिन यहां बिहार और बंगाल की तुलना में ज्‍यादा बच्‍चे एनीमिया (रक्‍त अल्‍पता) के शिकार हैं। हीमोग्‍लाेबिन के मामले में लद्दाख की स्थिति और भी बदतर है और 89:6 फीसद के साथ यह दर देश में सबसे अधिक है। केरल और मणिपुर के बच्‍चे सबसे बेहतर स्थिति में हैं।

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राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) की हाल की रिपोर्ट इस स्थिति को बयां कर रही है। देश के 17 प्रदेशों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों में बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में यह सर्वेक्षण किया गया। इसके अनुसार लद्दाख में छह महीने से पांच वर्ष तक आयु के सबसे अधिक 89.6 फीसद बच्चे एनीमिया से पीडि़त हैं। इनमें शहरी क्षेत्रों के 84.1 फीसद और ग्रामीण क्षेत्रों के 95.1 फीसद बच्चे शामिल हैं। इसके बाद गुजरात के 79.7 फीसद और फिर दादर नगर हवेली के 75.8 फीसद बच्चे आते हैं। जम्मू कश्मीर के 72.7 फीसद बच्चों में सामान्‍य से कम हीमोग्‍लाबिन पाया गया। यह आंकड़ा पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश समेत बिहार और बंगाल जैसे राज्यों से काफी अधिक है।

जम्मू कश्मीर में 73.5 फीसद ग्रामीण और 70.1 फीसद शहरी बच्चे एनीमिया से पीडि़त हैं। इसका एक कारण जन्म के एक घंटे के बाद सिर्फ 55.6 फीसद बच्चों को ही मां द्वारा स्तनपान कराना शामिल है। यही नहीं, जन्म के छह महीने तक 62 फीसद बच्चों को ही मां का दूध मिलता है। जन्म के छह से आठ महीने के बीच स्तनपान और सेमी सॉलिड खाना 41.8 फीसद बच्चे ही खाते हैं।

छह से 23 महीनों के बीच के सिर्फ 13.6 फीसद बच्चे ही पर्याप्त खाना खाते हैं। यही स्थिति लद्दाख में है। लद्दाख में तीन वर्ष से कम आयु वर्ग के 57.9 फीसद बच्चों को ही जन्म के एक घंटे बाद स्तनपान करवाया गया है। जन्म के छह महीनों तक 70.1 फीसद बच्चों को स्तनपान करवाया जाता है। छह से 23 महीनों के बीच 24 फीसद बच्चे ही पर्याप्त खाना खाते हैं।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव ढींगरा का कहना है कि बच्चे को पहले छह महीने मां का दूध, फिर खिचड़ी, फल और सब्जियां दी जाएं तो बच्चा कुपोषण से पीडि़त नहीं होगा। पैदा होने के बाद कई बच्चों का वजन कम होता है, लेकिन उन्हें सामान्य बनाने के लिए अभिभावक भी डॉक्टरों की सलाह नहीं मानते हैं।

अगर मां बच्चे के जन्म के छह महीने तक सिर्फ उसे स्तनपान करवाए तो भी एनीमिया और कुपोषण की समस्या से बचा जा सकता है। कई बार बच्चों को दूध, सब्जियां व फल नहीं मिलते। इस कारण उनमें कई समस्याएं होती हैं। बच्चों में विटामिन और मिनरल्स की बहुत कमी है। आयरन की कमी से हीमोग्‍लाबिन कम होता है।

रक्‍त अल्‍पता और राज्‍य

  • प्रदेश                   पीडि़त बच्चे
  • लद्दाख                  89.6 फीसद
  • गुजरात                 79.7 फीसद
  • दादर नगर हवेली    75.8 फीसद
  • जम्मू कश्मीर          72.7 फीसद
  • तेलंगाना                 70 फीसद
  • बिहार                    69.4 फीसद
  • बंगाल                    69 फीसद
  • महाराष्ट्र                 68.9 फीसद
  • असम                   68.4 फीसद
  • कर्नाटक               65.5 फीसद
  • आंध्रप्रदेश             63.2 फीसद
  • हिमाचल प्रदेश       55.4 फीसद
  • अंडमान निकोबार  46.9 फीसद
  • लक्षदीप                 43.1 फीसद
  • मणिपुर                 42.8 फीसद
  • केरल                   39.4 फीसद

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