Jammu Kashmir Weather: हवा के कम दवाब के कारण जम्मू में पिछड़ गया मानसून, जुलाई के अंत तक 40 फीसद हुई बारिश
शेर ए कश्मीर कृषि एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय जम्मू के प्रो मोहिंदर सिंह का कहना है कि वर्ष 1987 में देश भर में आकाल पड़ा था।
जम्मू, जागरण संवाददाता: जम्मू कश्मीर में मानसून हवा के कम दवाब के कारण उत्तर मध्य भारत सहित जम्मू कश्मीर में पूरी तरह से सक्रिय नही हो पा रहा है। प्रदेश में जुलाई के अंत तक 40 फीसदी मानसून कम रहा है।ऐसी उम्मीद की जा रही है अगस्त के दूसरे सप्ताह में उत्तर और मध्य भारत में हवा का दवाब बढ़ेगा और राज्य में मानसून के सक्रिय होने की संभावनाएं बढ़ेगी। यह कहना है मौसम विभाग के डायरेक्टर सोनम लोटस का।
सोनम का कहना है कि पश्चिम बंगाल की खाड़ी से नमी का दवाब लेकर हवाएं उत्तरी भारत के कई प्रदेशों में सक्रिय होती है, उनका दवाब इस ओर कम है। जबकि इन हवाओं का दवाब बिहार, पूर्व उत्तरी राज्यों में बना हुआ है। जिससे इन इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं।हवा के कम दवाब के कारण हवा अपने साथ नमी नही ला पा रही है। जिससे जम्मू कश्मीर और लद्दाख में 40 फीसदी बारिश अब तक संभव हो पाई है। कम बारिश के बावजूद किसानों ने जम्मू कश्मीर में धान की प्रमुख फसल की रोपाई कर ली है। लेकिन कुछेक इलाके है, जहां बारिश बेहद कम हुई है। जिसमें जम्मू और सांब के कंडी क्षेत्र शामिल है।
पंजाब के कुछ इलाकों में भी बारिश कम रही। वहीं शेर ए कश्मीर कृषि एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय जम्मू के प्रो मोहिंदर सिंह का कहना है कि वर्ष 1987 में देश भर में आकाल पड़ा था। लेकिन उस समय जम्मू कश्मीर में मानसून की बारिशें हुई थी, और यहां आकाल की स्थिति नही थी। जम्मू कश्मीर में इस वर्ष भी पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले कम बारिश हुई है।अगस्त के दूसरे स्पताह में हवा के दवाब के सक्रिय होने से बारिशों की उम्मीद बंधी है।ऐसी उम्मीद हे कि आने अगस्त और सिंतबर माह में प्रदेश में मानसून अपनी कसर पूरी कर लेगा।