Jammu Kashmir: अंगुली की स्याही से धुल गया दामन से रिफ्यूजी का दाग
पश्चिमी पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी लोग जम्मू कश्मीर के नागरिक बन गए और इनको वोट डालने का अधिकार भी मिल गया। इसलिए शुक्रवार को मढ़ में जिला विकास परिषद चुनाव के लिए वोट डालने के लिए तारो देवी पहुंची तो पूरा परिवार उनको देख रहा था।
जम्मू, गुलदेव राज: 82 साल की तारो देवी ने जब जिला विकास परिषद के चुनाव में वोट डाला, तो आंखें नम हो आई। आखिर 70 साल बाद यह सुखद समय आया। आज तक उसने कभी भी विधानसभा, पंचायत या स्थानीय निकाय, परिषद के लिए वोट नही डाला। क्योंकि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के चलते तब इन लोगों को वोट डालने का अधिकार ही नहीं था। मगर इस अनुच्छेद के खत्म होते ही इन रिफ्यूजी लोगों के लिए नई सुबह खुशियां लेकर आई।
पश्चिमी पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी लोग जम्मू कश्मीर के नागरिक बन गए और इनको वोट डालने का अधिकार भी मिल गया। इसलिए शुक्रवार को मढ़ में जिला विकास परिषद चुनाव के लिए वोट डालने के लिए तारो देवी पहुंची तो पूरा परिवार उनको देख रहा था। थोड़ी देर में वोट डाल कर मतदान केंद्र से जब वह बाहर आई तो खुशी से उसकी आंखें नम थी। वहीं जब अपने दोनों बेटों, बहू बेटियों को भी वहां देखा, जो पहले से ही वोट डाल चुके थे और अपने हाथ में लगी नीली स्याही दिखा रहे थे, को देखकर तारो देवी खुशी से झूम पड़ी।
मगर परिवार को इस बात का भी मलाल है कि 70 साल तक विधानसभा जहां तक कि पंचायत स्तर के छोटे चुनाव में भी रिफ्यूजियों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया गया। देश विभाजन के समय ठूठा राम को पाकिस्तान के जिला सियालकोट के गांव खाने पाउ से परिवार समेत जम्मू के मढ़ स्थित गांव चट़ठा गुजरा में आकर रहना पड़ा। तब यहां की सरकारों ने यही कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा है। जहां पूरे अधिकार रिफ्यूजी लोगों को दिए जाएंगे। लेकिन बाद में यही सरकारें अपने वायदों से फिर गई।
आज ठूठा राम इस दुनियां में नहीं है, लेकिन उनकी पत्नी तारो देवी को खुशी है कि देरी से ही सही हक तो मिले।केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसलेे के उपरांत आज 70 साल बाद हमें असल आजादी का अहसास हुआ है। शक्ति कुमार व राधे श्याम जोकि तारो देवी के पुत्र हैं, आज वोट डालकर बहुत खुश हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिफ्यूजी लोगों के साथ जो वायदे किए थे, आज पूरे हो गए हैं।