KL Sehgal Birth Anniversary : घर में ही बेगाने हुए केएल सहगल, मिट गया स्मारक, जयंती पर नहीं होगा कोई कार्यक्रम
लिंक रोड चौक पर केएल सहगल का एक स्मारक तो बनाया गया था लेकिन धीरे-धीरे यह स्मारक भी मिट गया। आज दुनिया के इस महान कलाकार का स्मारक बनाने की मांग कलाकार कई बार कर चुके हैं।महान कलाकार का स्मारक बनाने की मांग कलाकार कई बार कर चुके हैं।
केएल सहगल के जन्मदिन पर विशेष
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू के लिंक रोड में वर्ष 1904 में जन्मे केएल सहगल के अपने संगीत और अभिनय के दम पर देश दुनिया में जम्मू का गौरव बढ़ाया, लेकिन जम्मू ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वह हकदार थे। उनका संगीत सुनने वाले तो आज भी हैं, लेकिन युवा पीढ़ी को उनके बारे में बताने के लिए जम्मू में उनका एक स्मारक तक नहीं है। लिंक रोड चौक पर उनका एक स्मारक तो बनाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह स्मारक भी मिट गया। आज दुनिया के इस महान कलाकार का स्मारक बनाने की मांग कलाकार कई बार कर चुके हैं। दुनिया भर में संगीत के क्षेत्र में जम्मू का नाम रोशन करने वाले केए सहगल आज अपने घर में बेगाने होकर रह गए हैं। काेरोना के कारण रविवार को उनकी जयंती पर भी कोई कार्यक्रम नहीं होगा।
वर्ष 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने स्मारक की मरम्मत करवाने का आदेश दिया था, लेकिन लिंक रोड चौक पर स्थित केएल सहगल का स्मारक की हालत में आज तक कोई सुधार नहीं हुआ। अधिकारी और मंत्री समय-समय पर आश्वासन जरूर देते रहे हैं। सरकार के उदासीन रवैये को लेकर कला प्रेमियों में रोष है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं। अपने पन्द्रह वर्ष के करियर में 36 फिल्मों में अभिनय करने, 185 गाने लिखने और उन्हें गाने वाले केएल सहगल का बचपन जम्मू में बीता। उन्होंने अभिनय का सफर सनातन धर्म नाटक समाज दीवान मंदिर में सीता की भूमिका से शुरू कर दुनिया भर में जम्मू का नाम रोशन किया।
उनका गाया गीत ‘गम दिए मुस्तिकिल कितना नाजुक है, दिल हाय-हाय यह जालिम जमाना...’ ‘जब दिल ही टूट गया...’ तेरे द्वार खड़ा भगवान...’ ‘बाबूल मोरा...’ आदि गीत, भजन आज भी जब गूंजते हैं तो हर कोई इस कलाकार की तारीफ करते नहीं थकता और जोश में कह उठता है कि सहगल जम्मू के ही थे। युवा पीढ़ी पहले तो इसे मानने को तैयार नहीं होती और होती भी है तो एक ही सवाल पूछती है कि उनकी याद में जम्मू वालों ने क्या किया?
वरिष्ठ नाट्य निर्देशक एवं गायक डा. सुधीर महाजन ने कहा कि केएल सहगल का जन्म जम्मू में हुआ इस पर हम सभी को गर्व होना चाहिए। दुखद है कि आज तक उनका स्मारक तक नहीं बन पाया। हां, जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी ने जरूर उनकी याद में केएल सहगल हाल बनाया हुआ है। कोशिश होनी चाहिए कि उनके नाम पर एक आर्ट गैलरी बनाई जाए ताकि युवा पीढ़ी उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सके। उनसे जुड़ा हुआ महसूस करे।
जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सचिव डा. अरविंद्र सिंह अमन ने बताया कि अकादमी हर वर्ष उनकी जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन करती रही है लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पिछले वर्ष भी कार्यक्रम नहीं हो सका और इस बार भी कार्यक्रम करवाना उचित नहीं है। उनकी जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में दर्शकों की उपस्थिति से ही अहसास हो जाता है कि वह आज भी लोगों के दिलों में राज करते हैं।